किरीट शक्तिपीठ

By: Sep 16th, 2017 12:07 am

देवताओं की अरदास सुनकर भगवान विष्णु ने देवी सती के शव को अपने चक्र से  51 टुकड़ों में बांट दिया था। इन्हीं टुकड़ों में से पहला देवी का मुकुट जहां गिरा, वही स्थल आज किरीट माता के शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है…

Aasthaशिव की अद्धांगिनी माता देवी सती यानी मां पार्वती अपने दिव्य रूपों में अलग-अलग जगह पर मौजूद हैं। जहां-जहां मां के इन तेजस्वी और जाग्रत रूप मौजूद हैं, वे सारे स्थल शक्तिपीठों के नाम से जाने जाते हैं। यही नहीं, देवीपुराण में इन 51 शक्तिपीठों का वर्णन भी मिलता है। देवी का पहला और जाग्रत शक्तिपीठ, जिसे किरीट शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है। पश्चिम बंगाल के हुगली नदी के तट, जिसका नाम लालबाग कोट है, वहां पर देवी का यह स्थल मौजूद है। कहते हैं अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ में बिना बुलाए पहुंच जाने पर जब देवी सती का राजा दक्ष द्वारा अपमान किया गया था, तो इससे आहत होकर देवी सती ने उसी हवन कुंड में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए थे। इस बात का जब भगवान शिव को पता चला तो वह देवी सती के शव को कुंड से निकालकर तांडव करने लगे थे। उनके तांडव के कारण पूरे ब्राह्मांड को खतरा हो गया था, जिससे बचने के लिए सभी देवता गण ने भगवान विष्णु के आगे अपनी अरदास लगाई और भगवान शिव को शांत करने के लिए कहा। देवाताओं की अरदास सुनकर भगवान विष्णु ने देवी सती के शव को अपने चक्र से  51 टुकड़ों में बांट दिया था। इन्हीं टुकड़ों में से पहला देवी का मुकुट जहां गिरा, वही स्थल आज किरीट माता के शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है। कहते हैं कि यहां की शक्ति विमला अथवा भुवनेश्वरी तथा भैरव संवर्त हैं। शक्ति का मतलब माता का वह रूप जिसकी पूजा की जाती ह और भैरव का मतलव शिवजी का वह अवतार जो माता के इस रूप के साथ है।


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