चुटकुलों को गंभीर बनाने की त्रासदी

By: Sep 16th, 2017 12:05 am

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री

लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्रीसोनिया कांग्रेस के लोगों  के अनुसार राहुल गांधी ने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में अपनी बौद्धिक क्षमता का जो प्रकटीकरण किया है, उससे बड़े-बड़े बुद्धिजीवियों ने दांतों तले अंगुलियां दबा ली हैं। दिल्ली में एक और टिप्पणी घूम रही है। उसके अनुसार दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संघ के चुनावों में छात्रों ने राहुल गांधी के कैलिफोर्निया वाले भाषण को पढ़ कर ही उनकी पार्टी को विश्वविद्यालय के छात्र संघ के चुनाव में जिता दिया। अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका कि यह टिप्पणी गंभीरता से की गई है या चुटकुला समझ कर, क्योंकि आजकल चुटकुलों से गंभीर बातें कही जा रही हैं और गंभीर बातों को चुटकुले बनाया जा रहा है…

पिछले दिनों सोनिया कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी बर्कले स्थित कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के छात्रों को विश्व में दरपेश समस्याओं के समाधान के बारे में बताने के लिए वहां गए थे। वैसे यह अभी भी रहस्य बना हुआ है कि ऐसे जटिल विषय पर बोलने के लिए उन्हें वहां किसने और क्यों निमंत्रित किया? लेकिन यहां हमें इस रहस्य की गुत्थियां सुलझाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह रहस्य उन वैश्विक समस्याओं से भी ज्यादा गहरा है, जिनका समाधान बताने के लिए राहुल गांधी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय गए थे। वहां उन्होंने अमरीका के विद्यार्थियों से जो गप्पबाजी की, वह भारत में चर्चा और मनोरंजन का विषय बन गई है। राहुल गांधी के प्रदर्शन में जो कसर रह भी गई थी, उसे पूरा करने का जिम्मा पार्टी ने नेताओं ने संभाल लिया। राहुल की गप्पबाजी के तुरंत बाद पार्टी के छोटे-बड़े नेताओं द्वारा हास्यास्पद व विचित्र किस्म की व्याख्याएं की जाने लगीं। गौरतलब हो कि वहां राहुल गांधी ने कहा कि विश्व की सबसे बड़ी समस्या तो अब यह बन गई है कि भारत में दलित और अल्पसंख्यकों का जीवन खतरे में पड़ गया है। उनके साथ भेदभाव तो किया ही जा रहा है, उन्हें मारा भी जा रहा है। उनका कहने का तरीका और मंशा यही थी कि जब से भारत में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आ गई है, तब से यह सब कुछ होना शुरू हुआ है और भारत अपना पंथनिरपेक्ष चरित्र खोता जा रहा है। कैलिफोर्निया में इस बात को लेकर राहुल गांधी बहुत दुखी दिखाई दे रहे थे। उनके चेहरे से चाहे वे भाव प्रकट नहीं हो रहे थे, लेकिन उनकी भाषा से यही भाव निकल रहा था। वैसे उनकी गप्पबाजी सुन कर वहां बैठे कुछ भारतीय छात्रों को यह भय सताने लगा था कि कहीं राहुल गांधी वहां के छात्रों और युवा वर्ग से यह अनुरोध न कर दें कि उन्हें अमरीका में भारतीय अल्पसंख्यकों और दलितों के अधिकारों के पक्ष में एक जबरदस्त आंदोलन चलाना चाहिए।

अतीत के अनुभवों के लिहाज से भारतीय छात्रों का यह डर कुछ सीमा तक सच्चा भी था, क्योंकि एक बार सोनिया कांग्रेस के ही दो मोटे सलाहकार (गुजराती में बड़े को मोटे कहते हैं) सुल्तान खुर्शीद और मणिशंकर अय्यर पाकिस्तान जाकर यह गुहार लगा चुके हैं कि भारत से नरेंद्र मोदी सरकार को हटाने के लिए पाकिस्तान को सहायता करनी चाहिए। ऐसे में डर था कि राहुल गांधी अमरीका में भी भावावेश में आकर छात्रों से यह अपील कर सकते थे। यही कारण था कि राहुल गांधी जितनी देर बोलते रहे, भारतीय छात्र उतनी देर एक तरह की असहज स्थिति में बैठे सुनते रहे। उसके बाद राहुल गांधी ने अमरीका के छात्रों को अपने और अपने वंश के बारे में बताया। यह एक प्रकार का उनका अपना दुखद रोना ही था। उन्होंने वहां बैठे गोरे छात्रों को बताया कि भारत में लोग मेरे पीछे पड़े रहते हैं कि मैं राजनीति में अपने वंश के कारण हूं, अन्यथा मुझ में कुछ योग्यता नहीं है। इसका उन्होंने जोरदार खंडन किया। उनका कहना था कि अकेले मुझे ही क्यों घेरा जाता है? अमिताभ बच्चन का बेटा अभिषेक बच्चन भी तो अपने बाप के कारण ही फिल्म इंडस्ट्री में डटा हुआ है। मुलायम सिंह का बेटा अखिलेश यादव भी तो अपने पिता के कारण ही मुख्यमंत्री बना। तो फिर मुझे ही निशाना क्यों बनाया जाता है। राहुल गांधी ने उन्हें बताया कि हिंदोस्तान में तो इसी प्रकार वंशवाद चलता आया है। अमरीका के जो छात्र भारतीय इतिहास में रुचि रखते हैं, वे तो अपने टर्म पेपर लिखते हैं कि भारत दुनिया का सबसे पुराना देश है, जिसके अनेक भागों में सहस्रों साल पहले गणतंत्रों की परंपरा थी और राहुल गांधी बता रहे थे कि भारत की सत्ता में वंश परंपरा का चलन रहा है। गोरे छात्र बेचारे सकते में हैं। राहुल गांधी अपने एक ही प्रवास से उनकी सारी मेहनत पर पानी फेर गए। उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में मुझसे एक ही गुण ज्यादा है कि वह अच्छा बोलते हैं। बाकी कुछ नहीं।

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में पढ़ रहे भारतीय छात्रों को राहुल गांधी की इस गप्पबाजी से एक और संकट का सामना करना पड़ रहा है। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में पहले ही गोरे छात्र भारतीय छात्रों को यह कह कर चिढ़ाया करते थे कि हिंदोस्तान तो सांपों का देश है, मदारियों का देश है, अब राहुल गांधी की इस गप्पबाजी से उनका नाम भी इस लिस्ट में जुड़ गया है। भारत तो राहुल गांधी जैसे युवाओं का देश है। भारतीय छात्रों को यह समझाने में अत्यंत कठिनाई आ रही है कि भारत केवल राहुल गांधी जैसे युवाओं का देश नहीं है, वह करोड़ों मेधावी युवाओं से भरा पड़ा है। वैसे भी अब राहुल गांधी भी युवा नहीं हैं। वह भी खुदा के फजल से लगभग अधेड़ होने की उम्र तक पहुंच गए हैं। राहुल गांधी तो अपनी गप्पबाजी करके वापस भारत आ गए, लेकिन कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में वह भारतीय छात्रों को संकट में डाल आए हैं। लोगों के प्रश्नों का उत्तर देते देते वे थक गए हैं। लेकिन इधर अपने वतन हिंदोस्तान में सोनिया कांग्रेस के लोग राहुल गांधी की इस गप्पबाजी को विश्व के बौद्धिक जगत की महान उपलब्धि बताते नहीं थकते। उनके अनुसार राहुल गांधी ने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में अपनी बौद्धिक क्षमता का जो प्रकटीकरण किया है, उससे बड़े-बड़े बुद्धिजीवियों ने दांतों तले अंगुलियां दबा ली हैं। कइयों ने तो उत्साह में आकर इतनी जोर से दबा लीं कि अंगुली कट गई और खून रुकने का नाम नहीं ले रहा। उधर भाजपा के लोग डरे बैठे हैं कि अंगुली से खून निकलने का दोषारोपण भी कहीं दिग्विजय सिंह उन्हीं पर न थोप दें। काफी देर चुप्पी रहने के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री भी उत्साह में आ गए हैं। वह भी राहुल गांधी की इस गप्पबाजी को उत्कृष्ट बता रहे हैं। इधर दिल्ली में एक और टिप्पणी घूम रही है। उसके अनुसार दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संघ के चुनावों में छात्रों ने राहुल गांधी के कैलिफोर्निया वाले भाषण को पढ़ कर ही उनकी पार्टी को विश्वविद्यालय के छात्र संघ के चुनाव में जिता दिया। अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका कि यह टिप्पणी गंभीरता से की गई है या चुटकुला समझ कर, क्योंकि आजकल चुटकुलों से गंभीर बातें कही जा रही हैं और गंभीर बातों को चुटकुले बनाया जा रहा है।

ई-मेल : kuldeepagnihotri@gmail.com


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