जमीनी पेंच में फंस गई औषधीय खेती
हमीरपुर — क्लस्टर लेवल पर होने वाली औषधीय पौधों की खेती जमीन के पेंच में फंस गई है। सात क्लस्टर चयनित करने के बाद किसान अपनी भूमि का विवरण विभाग को नहीं दे रहे हैं। इस कारण अब क्लस्टर स्तर पर होने वाली औषधीय खेती पर संकट मंडरा गया है। आयुर्वेदा विभाग ने किसानों से भूमि का विवरण मांगा है, लेकिन किसानों ने औषधीय खेती से पहले ही हाथ पीछे खींचना शुरू कर दिया है। ऐसे में अब विभाग भी चिंतित है। हालांकि राज्य स्तर से हमीरपुर के लिए सात क्लस्टर को मंजूरी मिली है। क्लस्टर स्तर पर होने वाली औषधीय पौधों की खेती के लिए किसानों की मदद ली जानी है। एक क्लस्टर में कई किसान शामिल होंगे। औषधीय पौधों की खेती से किसानों को काफी लाभ होगा, वहीं औषधियों के भंडार के लिए भी अब हमीरपुर में ही शैड उपलब्ध होंगे। नेरी हर्बल गार्डन में इसकी व्यवस्था की जा रही है। यहां करीब 20 लाख की राशि से शैड का निर्माण किया जा रहा है। बताते चलें कि हमीरपुर में क्लस्टर लेवल पर औषधीय पौधों की खेती करने की योजना है। अश्वगंघा, सफेद मुसली सहित अन्य औषधियां हमीरपुर में ही उगाई जाएंगी। आयुर्वेद की तरफ बढ़ रहे लोगों के रुझान को देखते हुए हमीरपुर में बड़े स्तर पर औषधियां उगाने की योजना हैं। इसके लिए राज्य स्तर से मंजूरी मिल गई है। हमीरपुर में सात क्लस्टर को औषधियां उगाने की मंजूरी मिली है। यह योजना वर्ष, 2016 से चल रही है। अब किसानों की भूमि के फेर में योजना फंस गई है। जमीन का पूरा विवरण न देने के कारण अब तक एक भी क्लस्टर में औषधीय पौधों की बिजाई नहीं हो पाई है। जाहिर है कि हमीरपुर में उगाई जाने वाली औषधियों से किसानों की आर्थिकी सुदृढ़ होगी। जहां किसानों को लाभ होगा वहीं हमीरपुर में उगने वाली औषधियों से कई प्रकार के रोगों की दवाइयां बनेंगी, इसके साथ ही किसानों को औषधीय पौधों के संरक्षण की चिंता भी नहीं सताएगी। औषधीय भंडारण के लिए नेरी में शैड का निर्माण होगा। यहां वैज्ञानिक तरीके से औषधियों को भंडारित किया जाएगा, ताकि इनकी गुणवत्ता बरकरार रहे। फिलहाल विभाग किसानों द्वारा भूमि सभी औपचारिकताएं पूरी होने का इंतजार कर रहा है।
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