टेररिस्तान पर ‘सुषमा स्ट्राइक’

By: Sep 25th, 2017 12:02 am

आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान कब तक अंतरराष्ट्रीय तमाचे खाता रहेगा? कब तक बेनकाब होकर भी झूठ बोलता रहेगा? बीते साल भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना ही आतंकी देशों को चिह्नित करने का आग्रह किया था, लेकिन इस बार पाकिस्तान का बार-बार नाम लेकर संवेदनशील सवाल उठाए। संयुक्त राष्ट्र आम सभा के मंच से उन्होंने कहा कि जो देश हैवानियत की हदें पार कर लोगों को मार रहा है, वह हमें इनसानियत और मानवता का पाठ पढ़ाएगा? सुषमा स्वराज ने पूछा कि क्या पाकिस्तान के नेताओं ने कभी अकेले में सोचा है कि दोनों देश एक साथ आजाद हुए थे, लेकिन आज भारत की पहचान आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी) की एक सुपर पावर के तौर पर है और पाकिस्तान की पहचान एक आतंकी, दहशतगर्द मुल्क की है? हमने आईआईटी, आईआईएम, एम्स और अंतरिक्ष के विश्वस्तरीय केंद्र बनाए, लेकिन पाकिस्तान ने क्या बनाए-लश्कर-ए-तोएबा, जैश-ए-मोहम्मद, हक्कानी नेटवर्क और आतंकी कैंप…! हमने डाक्टर, वैज्ञानिक, इंजीनियर बनाए, लेकिन पाकिस्तान ने दहशतगर्द और जेहादी पैदा किए। डाक्टर मरते हुए लोगों की जिंदगी बचाते हैं और आतंकी जिंदा लोगों को मौत के घाट उतारते हैं। बेशक पाकिस्तान हैवानियत का गढ़, एक आतंकी देश है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के इस कथन पर सभागार में खूब तालियां बजाई गईं। सुषमा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने तमाम विरोधों को दरकिनार करते हुए पाकिस्तान की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया था, लेकिन पूरी दुनिया जानती है कि कहानी किसने बदरंग की। इसका जवाब वजीर-ए-आजम शाहिद खाकान अब्बासी को देना है। विदेश मंत्री ने सवाल उठाया कि 1996 में भारत द्वारा प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के समग्र समझौते पर अभी तक सहमति नहीं बन पाई है। सुषमा ने कहा-‘यदि दुनिया में आतंकवाद की परिभाषा पर एक राय नहीं बन पाई है। यदि मेरे और तेरे आतंकवाद से सोचेंगे, तो इससे कैसे लड़ा जा सकेगा? कोई भी कारण कितना भी बड़ा क्यों न हो, वह हिंसा का औचित्य नहीं बन सकता।’ सुषमा ने नसीहत देने के अंदाज में कहा कि पाकिस्तान को आतंकवाद की बजाय मुल्क की तरक्की पर पैसा खर्च करना चाहिए। विदेश मंत्री ने अपने संबोधन में जलवायु परिवर्तन, साइबर सुरक्षा, परमाणु प्रसार जैसी वैश्विक चुनौतियों का भी उल्लेख किया। उन्होंने मोदी सरकार की जन-धन, मुद्रा, उज्ज्वला, स्टैंड अप, स्टार्ट अप सरीखी योजनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि 30 करोड़ उन लोगों के बैंक खाते खुलवाए गए हैं, जिन्होंने कभी बैंक में झांक कर भी नहीं देखा था। यह अमरीका की आबादी के बराबर है। बहरहाल विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस बार विश्व के सर्वोच्च मंच से पाकिस्तान पर इतने ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ किए कि उसकी बखिया ही उधेड़ कर रख दी। विदेश मंत्री से काफी पहले पाकिस्तान के कामचलाऊ प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने भाषण दिया था। उसके पलटवार में ‘भारत की बेटी’, मिशन में प्रथम सचिव, एनम गंभीर ने पाकिस्तान को नया नाम दिया-टेररिस्तान। यह बड़ा सार्थक नाम भी है। दरअसल जिस देश में अलकायदा का सरगना लादेन छिपाया गया हो, जहां तालिबान का ‘एक आंखी’ मुल्ला उमर को पनाह मिली हो, जिस देश में लश्कर-ए-तोएबा का संस्थापक हाफिज सईद राजनीतिक पार्टी बनाकर और चुनाव लड़कर वजीर-ए-आजम बनने के ख्वाब पाल रहा हो, जिस धरती पर लखवी, मसूद अजहर से लेकर ‘डॉन’ दाऊद इब्राहिम तक रहते हों, जो देश आतंकवाद और आतंकियों की फैक्टरी चला रहा हो, उस देश को पाक (पवित्र) कैसे कहा जा सकता है? निश्चित रूप से वह ‘टेररिस्तान’ ही है। उसके प्रधानमंत्री अब्बासी पहली बार संयुक्त राष्ट्र में बोलने आए थे, लेकिन कश्मीर के अलावा न तो वह देश सोच सकता है और न ही उसके नेता कोई नया तथ्य पेश कर सकते हैं। टेररिस्तान के प्रधानमंत्री मंच पर अपना भाषण पढ़ रहे थे और संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के बाहर बलूचिस्तान और सिंध के कार्यकर्ता विरोधी नारे लगा रहे थे। वे शिद्दत से मांग करते रहे हैं कि उन्हें टेररिस्तान से आजादी दिलाई जाए। वे एक नापाक और आतंकी देश से ‘मुक्त’ होना चाहते हैं। बलूचिस्तान और सिंध ही नहीं, पख्तून, खैबर और पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) भी टेररिस्तान से पिंड छुड़ाना चाहते हैं। क्या किसी पाक देश की स्थिति ऐसी होती है? क्या पाकिस्तान के टुकड़े-टुकड़े होने की नौबत आ गई है? कश्मीर में जुल्म, अत्याचारों और मानवाधिकार उल्लंघन की बात पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने भी कही। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और प्रथम सचिव ने बारी-बारी से उसका सार्थक जवाब भी दिया-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा। पाकपरस्त आतंकवादी कश्मीरियों की ही हत्या करने में जुटे हैं। जम्मू-कश्मीर में 1990-2017 के अंतराल में 40,961 मासूम लोग और सैनिक  आतंकवाद की भेंट चढ़ाए जा चुके हैं। इनमें 13,000 से ज्यादा आम नागरिक थे और 5000 से ज्यादा सुरक्षाकर्मी थे, जो आतंकी हमलों में मारे गए। यह घिनौना और हिंसक चेहरा ‘टेररिस्तान’ का ही हो सकता है। संयुक्त राष्ट्र के मंच से अफगानिस्तान, ईरान, बांग्लादेश ने भी पाकिस्तान को घेरा। अफगानिस्तान ने तो यहां तक कहा कि पाकिस्तान उनके देश में 20 अंतरराष्ट्रीय आतंकी गुटों की घुसपैठ करा चुका है और यह सिलसिला जारी है। बहरहाल दुनिया के सबसे बड़े मंच पर पाकिस्तान की जितनी फजीहत होनी थी, वह हो चुकी है, सिर्फ इतना शेष है कि उसे ‘आतंकी देश’ घोषित कर बिलकुल अलग-थलग किया जाए, ताकि वह दाने-दाने को मोहताज हो सके।


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