दुष्कर्मियों का बढ़ता दुस्साहस

By: Sep 27th, 2017 12:05 am

जग मोहन ठाकन

लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं

अधिकतर लोग पहले ही धारणा बना लेते हैं कि दुष्कर्म का मामला झूठा ही होगा। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर  की यह टिप्पणी कि अधिकतर बलात्कार के केस झूठे ही होते हैं, समाज की प्रतिध्वनि प्रतीत होती है। हमें इस पूर्व कल्पित धारणा को बदलना होगा तथा महिलाओं को भी इतना सक्षम बनाना होगा कि वे चंडीगढ़ की आईएएस अधिकारी की पुत्री वर्णिका कुंडू की तरह अपना बचाव खुद कर ले अन्यथा समाज के बिगड़ैल विकास यूं ही बलात्कार तथा अपहरण हेतु पीछा करते रहेंगे…

हमारे देश में हर घंटे में चार बलात्कार हो जाते हैं यानी प्रतिदिन 96। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार वर्ष 2013 में 33707, वर्ष 2014 में 36735 तथा वर्ष 2015 में 34651 बलात्कार के मामले दर्ज हुए थे और लोक लाज तथा इज्जत के भय से दर्ज न होने वाले बलात्कार के मामलों को भी अगर जोड़ दिया जाए, तो स्थिति और भी भयावह नजर आएगी। न केवल नाबालिग रेप के मामले बढ़ते जा रहे हैं, अपितु बलात्कारियों के हौसले इतने बुलंद होते जा रहे हैं कि पीडि़ताओं को या तो मार दिया जाता है या लोक लाज के भय एवं परिवार की तिरछी नजर से देर सवेर आत्महत्या करने को विवश कर दिया जाता है। एक समाचार के अनुसार हरियाणा के कैथल की एक 14 वर्षीय नौवीं कक्षा की स्कूली छात्रा के गैंगरेप की शिकार होने का मामला  सामने आया है। दुष्कर्म से आहत कैथल की रहने वाली इस लड़की ने महिला पुलिस थाना में शिकायत दी है, जिसमें उसने बताया है कि 13 सितंबर को वह सुबह साढ़े सात बजे स्कूल जा रही थी, तभी स्कूल के सामने दो युवकों ने उसे कार के अंदर खींच कर अपहरण कर लिया। कुछ दूरी के बाद दो अन्य युवक भी कार में बैठ लिए। आरोपी उसे कुरुक्षेत्र रोड पर ले गए, जहां उन्होंने कार में ही उससे बलात्कार किया और जान से मारने की धमकी देकर कैथल छोड़ गए। पुलिस ने अपहरण, दुष्कर्म तथा धमकी देने का केस दर्ज कर लिया है। इस घटना से पीडि़ता इतनी भयभीत हुई कि उसने पुलिस में भी एक सप्ताह बाद शिकायत दर्ज करवाई थी।

एक अन्य ताजा सितंबर माह का ही उदाहरण एक स्कूल का है, जहां हम अपने बच्चों को शिक्षित व संस्कारित करने हेतु भेजते हैं। समाचार हरियाणा के पंचकूला जिला के पिंजौर ब्लाक के गांव धतोगडा के सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल का है, जहां की दसवीं कक्षा की पांच छात्राओं ने अपने ही स्कूल के एक अध्यापक पर अश्लील हरकतें करने का आरोप लगाया है। आरोप के मुताबिक यह अध्यापक गत छह माह से ऐसी गलत हरकतें कर रहा था और लड़कियों को इसके बारे घर पर बताने पर वह धमकी भी देता था। खैर देर-सवेर अध्यापक की करतूत सामने आ गई और लड़कियां बलात्कार की शिकार होने से बच गईं। अगस्त, 2017 में घटित एक बलात्कार के मामले में हरियाणा के ही जींद जिला के उचाना थाना क्षेत्र के अधीन बलात्कारियों ने तो सभी हदें पार कर दीं। प्राप्त जानकारी के अनुसार पीडि़ता के ही गांव के ही तीन नवयुवकों ने अगस्त माह में एक दलित परिवार की लड़की को कुएं पर पानी लेने जाते समय अगवा कर बलात्कार किया और फिर गांव के बाहर लड़की को छोड़ कर चले गए। लड़की के पिता के अनुसार लड़की ने सारी घटना से परिवार को उसी समय अवगत करवा दिया था, परंतु लोकलाज के भय से परिवार वालों ने कोई केस दर्ज नहीं करवाया। करीब एक माह बाद  बलात्कारियों ने लड़की के घर की खिड़की पर एक पत्र चिपका दिया, जिस पर उसे दोबारा घर से बाहर आकर बलात्कारियों से मिलने की धमकी दी गई थी। सामाजिक प्रतिष्ठा के भय तथा रेपिस्ट की दोबारा बलात्कार करने की धमकी भरा पत्र पीडि़ता के घर पर इश्तहार के रूप में चिपकाने की घटना ने पीडि़ता को जहर खाकर अपनी जीवन लीला समाप्त करने को विवश कर दिया। उसने जहर खाकर अपना जीवन समाप्त करना बेहतर समझा तथा दूसरे दिन अस्पताल में उसकी मौत हो गई। आखिर उस दर्द को किन शब्दों में बयां किया जाए? पुलिस के अनुसार पुलिस द्वारा केस दर्ज कर तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।

आरोपियों पर केस भी दर्ज हो गया है, गिरफ्तार भी हो गए हैं, कोर्ट केस भी चलेगा और संभावित है कि कड़ी सजा भी हो जाएगी, परंतु आखिर क्यों बलात्कारियों के हौसले इतने बुलंद हुए कि एक बार बलात्कार के बाद दोबारा बलात्कार करने हेतु लड़की के घर के आगे इश्तहार चिपका दिया गया? क्यों उन्हें समाज, कानून या पुलिस का भय नहीं लगा? वे कैसे इतने बेखौफ हो गए? क्या सोचता है जनसामान्य? इस विषय पर की गई एक राय शुमारी में लोगों का आक्रोश व हताशा झलक कर सामने आई है। 1980 के दशक के छात्र नेता रहे जगदीश चौधरी का मानना है कि सामाजिक लोक लाज का भय और कानून का सही काम न करना इन जैसे लोगों को इतना बेखौफ बना देता है। एक राष्ट्रीय हिंदी दैनिक से जुड़े एक हिमाचली पत्रकार संजीव ठाकुर कहते हैं कि लोक लाज के लिए कुछ परिवार इसका विरोध नहीं करते, इससे अपराधियों की ताकत और बढ़ती है। अगर किसी के साथ भी गलत होता है, तो उसका पूर्ण विरोध करें, न कि उसे छिपाएं। एक मिसाल बनें तथा औरों के लिए आदर्श का काम करें। अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले, ताकि भविष्य में कोई ऐसा काम न करे। हरियाणा के एक बैंक अधिकारी सज्जन गौतम का विचार है कि सोशल मीडिया पर घटिया सामग्री समाज में वासना और विलासिता को बढ़ावा दे रही है। समाज में इस प्रकार के अत्याचार पर अंकुश की आवश्यकता है। निरंतर इस प्रकार की घटनाएं सुनने को मिल रही हैं। इन्हें रोकना होगा। मिलेनियम स्कूल की घटना तथा इस प्रकार की अन्य घटनाओं पर निश्चित रूप से मंथन होना चाहिए।

दिल्ली निवासी हिंदी साहित्यकार आदित्या श्योकंद के स्वर में थोड़ी हताशा झलकती है। वह कहती हैं, क्या टिप्पणी करें सर? हम टिप्पणी करते रहेंगे और गंदे लोग अपराध करते रहेंगे। अपराधियों को कठोर सजा मिलनी चाहिए। जब तक ऐसे मामलों में सख्त कदम नहीं उठाएंगे, ये अपराध बंद नहीं होंगे। हरियाणा शिक्षा विभाग में कार्यरत शिक्षक विकास उज्ज्वल इनसाफ को ही संदेह की दृष्टि से देखते हैं। कहते हैं इनसाफ होता है, यह भरोसा खत्म होता जा रहा है। आखिर क्यों झलकती है आम आदमी के मन से इनसाफ के प्रति संदेह की कालिमा? क्या लोगों को ऐसे अपराधों में न्याय मिलता प्रतीत नहीं हो रहा है? जरा बलात्कार से संबंधित कुछ आंकड़ों  पर गौर करें। हरियाणा में जुलाई, 2016 से दिसंबर, 2016 के बीच बलात्कार के दर्ज 622 केसों में से 170 केस झूठे सिद्ध हुए यानी 27.3 प्रतिशत। आखिर इतने अधिक रेप के मामले झूठे सिद्ध क्यों हो रहे हैं? वकील राजेश भारद्वाज के अनुसार रेप के  मामलों में  कोर्ट व पुलिस स्टेशन में पीडि़ता से इस प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं, जैसे उसका दोबारा बलात्कार हो रहा हो। पीडि़ता लोक लाज वश ऐसे प्रश्नों के चक्कर में ऐसी परेशान हो जाती है कि वह कुछ की कुछ कह जाती है और वह केस हार जाती है। समाज में भी बलात्कार पीडि़ता को हेय दृष्टि से देखा जाता है और उसे ही इस दुष्कर्म के लिए दोषी मान लिया जाता है तथा उसके चाल-चलन पर हमेशा ही संदेह मंडराता रहता है। अधिकतर लोग पहले ही धारणा बना लेते हैं कि मामला झूठा ही मिलेगा। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर  की यह टिप्पणी कि अधिकतर बलात्कार के केस झूठे ही होते हैं, समाज की प्रतिध्वनि प्रतीत होती है। हमें इस पूर्व कल्पित धारणा को बदलना होगा तथा महिलाओं को भी इतना सक्षम बनाना होगा कि वे चंडीगढ़ की आईएएस अधिकारी की पुत्री वर्णिका कुंडू की तरह अपना बचाव खुद कर ले अन्यथा समाज के बिगड़ैल विकास यूं ही बलात्कार तथा अपहरण हेतु पीछा करते रहेंगे।


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