न सम्मान मिला, न ही नौकरी
पांवटा साहिब — पेसापालो वर्ल्ड कप में भारत की टीम का प्रतिनिधित्व करने वाली सिरमौर जिला के गिरिपार की शमाह गांव की शालू शर्मा का सम्मान करना शायद प्रदेश सरकार भूल गई है। तभी तो भारत टीम की कप्तान और प्रतियोगिता में बेस्ट प्लेयर रही शालू को अभी तक न तो सरकार ने सम्मान दिया है और न ही कोई नौकरी, जबकि शालू के परिजन इस बाबत प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से दो बार मिल चुके हैं। सरकार द्वारा अनदेखी के कारण अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी शालू काफी आहत है। जानकारी के मुताबिक जुलाई माह में फिनलैंड में हुए पेसापालो विश्व कप में हिमाचल की शालू शर्मा भी टीम इंडिया का हिस्सा बनी। वह भारत की टीम की कप्तान थी और उसकी कप्तानी में पहली बार टीम इंडिया ने कांस्य पदक पर कब्जा किया था। इस दौरान शालू पूरे विश्व की बेस्ट प्लेयर चुनी गई थी, जिससे देश ही नहीं बल्कि हिमाचल प्रदेश का सम्मान भी बढ़ा था, लेकिन प्रदेश सरकार ने प्रदेश का मान बढ़ाने वाली बेटी की अभी तक कोई सुध नहीं ली है। जानकारी मिली है कि शालू के साथ हिमाचल की अन्य लड़की को एक लाख रुपए की सम्मान राशि भी मिल चुकी है, लेकिन कप्तान और बेस्ट प्लेयर रही शालू को न तो सम्मान राशि मिली और न ही सरकारी नौकरी। क्षेत्र के खेल प्रेमियों का मानना है कि इस प्रकार अंतरराष्ट्रीय खिलाडि़यों की अनदेखी अन्य उभरते खिलाडि़यों के मनोबल को भी गिराते है। प्रदेश सरकार को शालू को उचित सम्मान और नौकरी प्रदान करनी चाहिए जिससे बाकी खिलाडि़यों का भी उत्साह बढ़े और वह खेलों में प्रदेश का नाम देश व विश्व स्तर पर रोशन कर सके।
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