पर्यटन के सहारे आगे बढ़े हिमाचल

By: Sep 27th, 2017 12:02 am

बचन सिंह घटवाल

लेखक, मस्सल, कांगड़ा से हैं

newsसंयुक्त राष्ट्र महासभा हर साल विश्व पर्यटन दिवस की विषय-वस्तु तय करती है। विश्व पर्यटन दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य पर्यटन और उसके सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक व आर्थिक मूल्यों के प्रति विश्व समुदाय को जागरूक करना है…

विश्व पर्यटन दिवस हर साल 27, सितंबर को मनाया जाता है। विश्व में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 1980 से संयुक्त राष्ट्र महासभा ने विश्व पर्यटन दिवस आयोजित करने की शुरुआत 27 सितंबर को की थी। तब से आज तक निरंतर विश्व पर्यटन दिवस सभी विश्व के संगठन के देश मनाते चले आ रहे हैं। विश्व पर्यटन दिवस के लिए 27 सितंबर का दिन चुना गया क्योंकि इसी दिन 1970 में विश्व पर्यटन संगठन का संविधान स्वीकार किया गया था। संयुक्त राष्ट्र महासभा हर साल विश्व पर्यटन दिवस की विषय-वस्तु तय करती है। विश्व पर्यटन दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य पर्यटन और उसके सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक व आर्थिक मूल्यों के प्रति विश्व समुदाय को जागरूक करना है। विश्व पर्यटन दिवस का मुख्य उद्देश्य पर्यटन को बढ़ावा देना और पर्यटन के द्वारा अपने देश की आय को बढ़ाना है। भारत में केवल गोवा, केरल, राजस्थान और मध्यप्रदेश में ही पर्यटन के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति नहीं हुई है, बल्कि हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ के पर्यटन को भी अच्छा लाभ पहुंचा है। हिमाचल प्रदेश में पिछले वर्ष पौने दो करोड़ से ज्यादा पर्यटक गए थे। आंकड़ों के लिहाज से देखें तो प्रदेश ने अपेक्षा से कहीं अधिक सफल प्रदर्शन किया है।

हिमाचल की धरा का विशाल पहाड़ीनुमा आवरण व घने वन्य क्षेत्रों में पेड़ों की क्रमबद्ध कतारें, पहाड़ी प्रदेश को एक नया स्वरूप प्रदान करती हैं। प्रकृति का यह मनोरम क्रीड़ा स्थल हिमालय की गोद में बसा अत्यंत प्राचीन क्षेत्र है। इसकी पांच बड़ी पर्वत शृंखलाएं-शिवालिक, धौलाधार, पीरपंजाल, वृहद हिमालय तथा जास्कर का ठोस जमावड़ा प्रदेश को अद्भुत स्वरूप प्रदान करता है। पर्यावरणीय दृष्टि से हिमाचल की आबोहवा यहां के जनजीवन में अजीब सी रंगत प्रदान करती है। पक्षियों का कलरव, वायु वेग से झूमते पेड़ व व झरनों का सम्मोहित कर देने वाला कोलाहल यहां के प्राकृतिक सौंदर्य में अतिरिक्त वृद्धि कर देता है। यही वजह है कि हिमाचल को निहारने के लिए आस-पड़ोस के राज्यों के सैलानियों संग विदेश से भी पर्यटकों का विशाल समूह हिमाचल की तरफ आकर्षित होता हुआ नजर आता है। प्रदेश में परिवर्तन व विकास का घूमता पहिया हिमाचल के स्वरूप में दिन-प्रतिदिन नया निखार ला रहा है। पर्वतीय दुर्गम इलाकों में आवागमन के साधनों ने सुदूर सुंदर दृश्यों को नजदीकियों में परिवर्तित कर दिया है। हिमाचल के सौंदर्य को निखारने में यहां की बर्फ से आच्छादित सफेद चोटियां व हरियाली को समेटे देवदार व चीड़ के वन अहम भूमिका निभाते हैं। इतना ही नहीं, यहां के दुर्लभ विहंगम दृश्यों को सहेजने के लिए हर व्यक्ति आतुर नजर आता है। दिव्य स्वप्न लोक की झांकी प्रस्तुत करता हुआ हिमाचल अपने  शक्तिपीठों की वजह से वर्ष भर में लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। यही वजह है कि जो व्यक्ति एक बार हिमाचल के दृश्य को निहार लेता है, वह हर वर्ष यहां दर्शनार्थ आता है।

आज जिस तरह आतंक से ग्रसित हमारे पड़ोसी राज्य जम्मू-कश्मीर के सौंदर्य को आतंकियों ने धूमिल करने का प्रयत्न जारी रखा है, आतंक के उस तांडव की वजह से मानवीय जिज्ञासाओं पर कुठाराघात हो रहा है। प्राकृतिक सौंदर्य का रसपान करने वाले सैलानी वहां से विमुख होकर हिमाचल के सौंदर्य की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। पहाड़ी प्रदेश होने के नाते यहां पर्यटन आमदनी का प्रमुख जरिया है। वर्तमान में विकास की ऊंचाइयां छूता हिमाचल फल उत्पादन के साथ-साथ औद्योगिक इकाइयों की शृंखला से भी जुड़ता हुआ आगे बढ़ रहा है। पर्यावरण की दृष्टि से हिमाचल अग्रणीय राज्य है, परंतु विकास के बदलते आयामों की वजह से थोड़ा-बहुत असर जरूर नजर आता है। स्वच्छता के क्षेत्र में और ज्यादा प्रयास करने की जरूरत है, क्योंकि शहरों के आसपास गंदगी के पसरते ढेरों बदनुमा धब्बे के रूप में प्रदेश को बदरंग करते जा रहे हैं। पहाडि़यों को कुरेदने के क्रम पर अंकुश लगाना भी निहायत जरूरी है। पहाडि़यों के साथ छेड़छाड़ किसी भी हालत में पर्यावरण हितैषी नहीं है। सौंदर्य के प्रयासों में धारणीय विकास का क्रम ही इसकी सुंदरता को स्थायित्व प्रदान कर सकता है।

यहां की झीलें नवीन प्रयासों के तहत सैरगाहों में परिवर्तित होने के क्रम में शामिल हैं। हिमाचल यहां पर भ्रमण हेतु आए सैलानियों को नौका विहार, संग सुंदर पक्षियों का दीदार व मत्स्य आखेट का आनंद प्रदान कर रहा है। हालांकि प्रयासों की परिधि में अब तक किए गए प्रयत्नों में सौंदर्यीकरण हेतु बहुत कुछ करना शेष है। इसमें दूरदराज के नए स्थानों तक सैलानियों की पहुंच बनाने हेतु सड़कों को विकसित करना शामिल है। इसमें संदेह नहीं है कि आज हिमाचल में सड़कों के जाल में अभूतपूर्व परिवर्तन आया है, परंतु सड़कों के आसपास के इलाकों को नवीन रूप प्रदान करने की आवश्यकता है, जिससे हिमाचल के सुंदर नजारों का आनंद सैलानी ले सकें। आज हिमाचल के मुख्य शहरों में आधुनिकीकरण व स्मार्ट सिटी बनाने की कवायद ने जोर पकड़ लिया है। नवीनीकरण और आधुनिकता के आकर्षण में हमें प्राकृतिक सौंदर्य के अनुपम दृश्यों से ज्यादा छेड़छाड़ से बचना होगा। कुछ सुंदर स्थल अपनी प्राकृतिक अवस्था में ही सुंदरता को समेटे हुए हैं। नदियों के प्राकृतिक प्रवाहों के साथ-साथ रोमांचक दृश्यों को सुरक्षित बनाने हेतु भी प्रयत्न जारी रखने चाहिएं। अकसर नदियों के उफनते वेग में रोमांचित सैलानी मृत्यु का ग्रास भी बन जाते हैं। ऐसे असुरक्षित ठिकानों को सुरक्षित करते हुए उनका कायाकल्प करना बहुत जरूरी है। इस हेतु जहां जरूरी हो, वहां पर सुरक्षा कर्मियों की मुस्तैदी व सुरक्षा पट्टिकाएं लगानी होंगी।


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