पांच गांवों-250 परिवारों की कुर्बानी देकर बना सैंज प्रोजेक्ट
सैंज — प्रदेश सरकार एवं राज्य विद्युत परिषद के संयुक्त उद्यम प्रदेश पावर निगम द्वारा बनाई गई सौ मेगावाट की सैंज जल विद्युत परियोजना प्रदेश के विकास में एक नई सौगात लाएगी। मंगलवार को सैंज में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने प्रोजेक्ट को राष्ट्र के हवाले किया। पिन पार्वती नदी पर बनाए गए इस हाइडल प्रोजेक्ट का जैसे ही मुख्यमंत्री ने बटन दबाया, सैंज घाटी की पांच पंचायतों के प्रत्येक घर बिजली से जगमग हो गए। प्रदेश पावर निगम परियोजना प्रभावित करीब 250 परिवारों को प्रतिमाह सौ यूनिट बिजली मुफ्त में प्रदान करेगी। यहां उल्लेखनीय यह है कि सैंज हाइडल प्रोजेक्ट के निर्माण में पांच गांवों निहारनी, डोडा बिहाली, जंगला, करयह व सांभा आद गांवों की बलि चढ़ी। जबकि लगभग 250 परिवारों ने राष्ट्रहित में अपनी-अपनी कुर्बानी दी। शायद प्रदेश पावर निगम ऊर्जा नीति के तहत विस्थापितों को अच्छा पैकेज देकर बसा भी लेगा, परंतु विस्थापित बन चुके ग्रामीणों की पीड़ा को शायद ही कोई समझ सके। सैंज प्रोजेक्ट में ऊर्जा उत्पादन शुरू होते ही ग्रामीणों के माथे पर चिंता की लकीरे खिंच गई हैं, वहीं खुशी के आंसू भी, क्योंकि परियोजना के विस्थापित लोगों ने भले ही पैसा मिलने के बाद अपनी गाडि़यां आदि खरीद ली हों, लेकिन पूर्वजों की धरती छोड़ने का गम उनके चेहरे पर हमेशा दिखेगा।
सैंज प्रोजेक्ट एक नजर में
जन सुनवाई- 19 जून 2007, शिलान्यास 27 नवंबर 2009, उद्घाटन 12 सितंबर 2017। स्थान-न्यूली कुल्लू उत्पादन क्षमता- 100 मेगावाट, अनुमानित लागत 746 करोड़। बांध- 25 मीटर ऊंचा, पावर हाउस-भूमिगत भूमि-अधिग्रहण- 109 बीघा निजी भूमि, 220 बीघा वन भूमि।
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