पावन-पवित्र नवरात्र

By: Sep 22nd, 2017 12:02 am

(रमेश सर्राफ, झुंझुनू )

भारतीय जनजीवन में धर्म की महत्ता अपरंपार है। यह भारत की गंगा-जमुनी तहजीब का ही नतीजा है कि सब धर्मों को मानने वाले लोग अपने-अपने धर्म को मानते हुए इस देश में भाईचारे की भावना के साथ सदियों से एक साथ रहते चले आ रहे हैं। यही कारण है कि पूरे विश्व में सनातन हिंदू धर्म सर्वोत्तम माना गया है। विभिन्न धर्मों के साथ जुड़े कई पर्व भी हैं, जिन्हें भारत के कोने-कोने में श्रद्धा, भक्ति और धूमधाम से मनाया जाता है। उन्हीं में से एक है नवरात्र। नवरात्र पर्व के नौ दिनों के दौरान आदिशक्ति जगदंबा के नौ विभिन्न रूपों की आराधना की जाती है। ये नौ दिन वर्ष के सर्वाधिक शुद्ध एवं पवित्र दिवस माने गए हैं। वर्ष के इन दिनों का भारतीय धर्म एवं दर्शन में ऐतिहासिक महत्त्व है। इन्हीं दिनों में बहुत सी दिव्य घटनाओं के घटने की जानकारी हिंदू पौराणिक ग्रंथों में मिलती है। नवरात्रि से हमें अधर्म पर धर्म और बुराई पर अच्छाई की जीत की सीख मिलती हैं। यह हमें बताती है कि इनसान अपने अंदर की मूलभूत अच्छाइयों से नकारात्मकता पर विजय प्राप्ति और स्वयं के आलौकिक स्वरूप से साक्षात्कार कैसे कर सकता है। ऐसा माना जाता है कि महिषासुर का नाश करने के लिए सभी देवताओं ने अपने-अपने अस्त्र देवी दुर्गा को दिए थे। इन देवताओं के सम्मिलित प्रयास से देवी दुर्गा और बलवान हो गई थीं। देवी दुर्गा के निर्माण में सारे देवताओं का एक समान बल लगाया गया था। इन नौ दिन देवी-महिषासुर संग्राम हुआ और अंततः महिषासुर वध कर महिषासुर मर्दिनी कहलाईं। देवता, मानव, दानव सभी देवी की कृपा के बिना पंगु हैं, इसलिए सभी देवता, राक्षस, मनुष्य, गंधर्व इनके कृपा प्रसाद के लिए लालायित रहते हैं।


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