फूड प्वाइजनिंग

By: Sep 20th, 2017 12:07 am

फूड प्वाइजनिंगफूड प्वाइजनिंग आपको तब शिकार बनाता है जब आप ऐसा फूड खाते हैं जो या तो प्राकृतिक रूप से विषैले हों या फिर वे किसी बैक्टीरिया या अन्य टाक्सिंस द्वारा प्रदूषित हो गए हों। वैसे तो इन विषैले पदार्थों के स्रोत के शरीर से बाहर निकलते ही कष्टदायक लक्षण भी अपने आप खत्म होने लगते हैं परंतु कुछ ऐसे एक्शंस भी होते हैं जिन्हें इस दौरान करने से आपको आराम भी मिलता है और साथ ही रिकवरी भी तेज हो जाती है। बहुत से मामलों में आपको चिकित्सीय सहायता भी लेने की आवश्यकता पड़ सकती है। फूड प्वाइजनिंग किसी भी मौसम में खाने-पीने की खराबी के कारण हो सकती है, लेकिन इसके सबसे ज्यादा मामले मानसून में देखने को मिलते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण बैक्टीरिया और ठीक तरह से साफ-सफाई न रखना होता है। चटपटा, स्पाइसी और टेस्टी खाने के चक्कर में अकसर यह समस्या होती है। इसकी वजह से पेट में दर्द, मरोड़, एसिडिटी और बुखार जैसी कई परेशानियां शुरू हो जाती हैं। बीमारियां फैलाने वाले बैक्टीरिया ज्यादातर मीट, सी फूड और डेयरी प्रोडक्ट्स में पाए जाते हैं, लेकिन इसके अलावा लेट्यूस, फलों और सब्जियों में भी बैक्टीरिया पनप सकते हैं। फूड प्वाइजनिंग का सबसे पहला लक्षण पेट दर्द होता है। समस्या बढ़ जाने पर दवा और इलाज की जरूरत होती है, लेकिन कुछ घरेलू और आसान नुस्खे भी हैं, जिनसे वक्त रहते राहत पाई जा सकती है।

फूड प्वाइजनिंग होने पर क्या बरतें सावधानियां

अदरक  एक प्राकृतिक एंटीबायोटिक है जो कि खराब पेट को सही कर देता है। आप चाहें तो इसकी चाय भी पी सकते हैं या फिर खाने में इसका प्रयोग कर सकते है। खाना बनाने से पहले या बाद में अपने हाथों को धोएं। खास कर कच्चा मांस छूने के बाद हरी सब्जियों को पकाने से पहले या फिर खाने से पहले जरूर धोएं। भोजन को तब तक पकाएं जब तब उसके विषैले तत्त्व बाहर न निकल जाएं। साथ ही खाने को हमेशा साफ  कंटेनर में ही रखें। भोजन करने के तुरंत बाद ही बचा हुआ भोजन फ्रिज में रखें। ऐसा खाना न खाएं, जो काफी देर से खुले में रखा हो और उसमें से महक आने लगी हो। इसके अलावा अगर पैकेट पर  डेट एक्सापायर हो गई हो, तो भी उसे न खाएं। टायलट से आने के बाद अपने हाथों को जरूर धोएं। अगर अपने घर पर पालतू जानवर हैं तो भी उसे छूने के बाद हाथों को धोएं। ट्रैवल के दौरान अपने साथ घर का बना  गर्म और ताजा खाना ही ले जाएं। ठंडा और कच्चा खाना तब तक न रखें  जब तक वह छिलके वाला न हो, जैसे केला आदि।


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