रोजगार एवं समाज सेवा का साधन एनजीओ

By: Sep 21st, 2017 12:05 am

अनुज कुमार ( अनुज कुमार आचार्य  लेखक, बैजनाथ  से हैं )

एनजीओज में काम करने के लिए पहली शर्त तो यही है कि युवा में सेवाभाव होना चाहिए। अगर आप में स्वार्थ रहित सेवाभाव का जज्बा है, तो किसी एनजीओ से जुड़ें। आपको रोजगार के साथ-साथ जीवन जीने का लक्ष्य भी मिल जाएगा। हर युवा सरकारी नौकरी की चाह दिल में पाले बैठा है। भला सरकार कितने युवाओं को नौकरी दे सकती है…

भारत में अमूमन नेताओं को समाजसेवा के उद्देश्य से प्रेरित होकर राजनीति में उतरने की बात कहते हुए सुना जाता है। पहले खुद के संसाधनों अथवा दान वगैरह के बूते भी लोगों को समाजसेवा करते हुए पाया जाता है, लेकिन पिछली शताब्दी के आठवें दशक से समाजसेवा का सुकून, बढि़या रोजगार तथा धनोपार्जन करने के उद्देश्य से एनजीओज अर्थात गैर सरकारी संगठनों का प्रचलन शुरू हुआ तो अब ऐसे संगठनों की भरमार सी हो गई है। यदि दूसरे शब्दों में कहें तो गैर सरकारी संगठन चलाने का मतलब आम के आम गुठलियों के दाम हो गया है। अगर इस क्षेत्र में रोजगार की परख करें तो आज दुनिया भर में लगभग दो करोड़ लोग अर्थात पेशेवर व्यक्ति एनजीओज से जुड़कर कार्य करने के एवज में बाकायदा वेतन ले रहे हैं। इसके अलावा उल्लेखनीय कार्य प्रदर्शन के लिए राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुस्कार तो मिलते ही हैं, वहीं वाहवाही अलग से मिलती है। विश्व बैंक की परिभाषा के अनुसार गैर सरकारी संगठन ऐसे निजी संगठन हैं, जो गरीबों की परेशानियों को दूर कर उनके हित को बढ़ावा देते हैं, पर्यावरण सुरक्षा और मूलभूत सामाजिक सुविधाओं और विकास हेतु कार्य करते हैं।  विश्व बैंक के प्रमुख दस्तावेज ‘वर्किंग विद एनजीओज’ में एनजीओज को अलाभकारी संस्था और सरकार से स्वतंत्र बताया गया है, जो नैतिक मूल्यों पर आधारित दान या चंदे से चलती है। 20वीं शताब्दी के आठवें दशक में एनजीओज सेक्टर ने अपनी बढ़त बनाना शुरू किया था।

ये संस्थाएं उस खाली स्थान को भरने के लिए सामने आईं, जिनको सरकारें या तो करना नहीं चाहती थीं या कर नहीं पा रही थीं। आम तौर पर गैर सरकारी संगठन जागरूकता फैलाने, सरकारी नीतियों को जनोन्मुखी बनाने, बदलाव हेतु दबाव बनाने, आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर पिछड़े वर्गों की उन्नति, बेहतरी और विकास के लिए समुदाय में सकारात्मक परिवर्तन लाने की दिशा में काम करने के अलावा बाल विकास, कृषि, पर्यावरण, शिक्षा-संस्कृति, मानवाधिकार, स्वास्थ्य, महिला समस्याओं, नशीले पदार्थों की रोकथाम, ट्रैफिक नियमों का अनुपालन, वृद्धों की सेवाएं, रक्तदान शिविर लगाने, गरीब परिवारों की मदद, लड़कियों की शादी में जरूरी सामान मुहैया करवाने, गरीब बीमारों को दवाइयां और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ इत्यादि कार्यों को आगे बढ़ाने में सरकार एवं प्रशासन को सहयोग करते हैं।

हिमाचल प्रदेश के कस्बों, शहरों में भी कई एनजीओज कार्यरत हैं और समाजसेवा के कई कार्यों को सिरे चढ़ा रहे हैं। अकेले बैजनाथ की बात करें तो यहां प्रयत्न, कोशिश, संकल्प, भारत विकास परिषद, अर्पण साई सेवा समिति, जनकल्याण और निर्मल खन्ना मेमोरियल सोसायटी जनहित से जुड़े कार्यों में सक्रिय भागीदारी निभा रही हैं। इतना ही नहीं, एनजीओज प्रयत्न के सभी सदस्य केंद्र एवं राज्य सरकार के विभिन्न विभागों से सेवानिवृत्त कर्मचारी हैं और यह संस्था बिना कोई सरकारी सहयोग लिए अपने सौ से ज्यादा सदस्यों के आर्थिक सहयोग से कई कार्यों को आगे बढ़ा रही है। पूरे विश्व में इस समय 44 हजार से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय एनजीओज हैं, तो वहीं भारत में इनकी संख्या लगभग 20 लाख के आसपास बताई जाती है। आज भारत के कई संस्थानों और विश्वविद्यालयों में एनजीओज प्रबंधन के महत्त्व को देखते हुए कई पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जिनमें सामुदायिक विकास, सामाजिक उद्यमशीलता, वैश्विक मुद्दों की समझ, पर्यावरण शिक्षा, सूचना प्रबंधन और नेतृत्वशीलता आदि की पढ़ाई-सिखलाई भी सम्मिलित है। आर्थिक रूप से सुदृढ़ और सेवानिवृत्त नागरिक जहां स्वेच्छा से किसी भी एनजीओज से जुड़कर अपनी सेवाएं एवं आर्थिक सहयोग कर सकते हैं, वहीं समूह में रहकर अपने दायरे को व्यापक बनाते हुए अपना क्वालिटी समय भी व्यतीत कर स्वयं को हमेशा व्यस्त, तरोताजा एवं ऊर्जावान बनाए रखकर स्वस्थ एवं दीर्घायु जीवन जी सकते हैं, तो वहीं रोजगार की तलाश में घूम रही हमारी युवा पीढ़ी गैर सरकारी संगठनों जुड़े पाठ्यक्रम से पढ़ाई कर नामी-गिरामी एनजीओज के लिए पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रूप में अपनी सेवाएं देकर देश-विदेश में घूम भी सकते हैं और उत्तम आजीविका भी कमा सकते हैं। एनजीओज समाज के युवाओं के लिए इस तरह रोजगार के बेहतर अवसर भी पैदा करती हैं।

एनजीओज में काम करने के लिए पहली शर्त तो यही है कि युवा में सेवाभाव होना चाहिए। अगर आप में स्वार्थ रहित सेवाभाव का जज्बा है, तो किसी एनजीओ से जुड़ें। आपको रोजगार के साथ-साथ जीवन जीने का लक्ष्य भी मिल जाएगा। हर युवा सरकारी नौकरी की चाह दिल में पाले बैठा है। भला सरकार कितने युवाओं को नौकरी दे सकती है। इसलिए इस भ्रम को त्यागें और इस डगर पर डग भरें। कुछ एनजीओज(सभी नहीं) वित्तीय अनियमितताओं के कारण बदनाम हो जाती हैं, जिसकी वजह यही होती है कि कुछ शरारती और स्वार्थी तत्त्व अपने हित साधने के लिए यह सब करते हैं। ऐसे लोग सेवाभावी नहीं होते। अतः इस बारे में सतर्क रहने की भी खासी जरूरत रहती है।


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