शब्द वृत्ति

By: Sep 25th, 2017 12:02 am

सुखदायी मां

(डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर )

माई चिंतपूर्णी चिंता दूर भगाएंगी,

स्वास्थ्य और सौभाग्य सभी के घर लाएंगी।

वैभव, धन-धान्य, ज्ञान मां नयना देंगी,

क्लेश, दुख-दर्द सभी के हर लेंगी।

क्रोध, स्वार्थ, मद, लोभ अगर त्यागेंगे,

मां चामुंडा के दर्शन से, सब दुख भागेंगे।

अद्भुत रंग-रूप, छटा इसकी निराली है,

बज्रेश्वरी माई सब पर प्यार लुटाने वाली हैं।

सभी मनोकामनाओं को वह पूर्ण करती हैं,

ज्वाला माई तो सबकी झोलियां भरती हैं।

जो मांगोगे, हर मुराद पूरी कर देंगी,

चुटकी में चिंता अपने भक्तों की हर लेंगी।

इच्छा, तृष्णा, भूख नित बढ़ती जाती,

झूठ, लूट अब मुझको सर्वाधिक भाती।

अब इन अवगुणों से मां निजात दिलाओ,

जो भी सांसें बचीं, उन्हें नेक कर्म में लगाओ।

कमर झुकी, पापों की गठरी है भारी,

रुग्ण हुआ अति, अब चलने की तैयारी है।

सब दुष्टों को तार रही आभा तेरी,

शर्मा पर भी कृपा करो, अब क्या देरी।


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