शिव के धाम कैलाश पर्वत के अनजाने रहस्य

By: Sep 9th, 2017 12:05 am

इस पवित्र पर्वत की ऊंचाई 6714 मीटर है। यह पास की हिमालय सीमा की चोटियों जैसे माउंट एवरेस्ट के साथ रेस तो नहीं लगा सकता, पर इसकी भव्यता ऊंचाई में नहीं, लेकिन उसके आकार में है। उसकी छोटी सी आकृति विराट शिवलिंग की तरह है जिस पर सालभर बर्फ की सफेद चादर लिपटी रहती है…

पौराणिक कथाओं के अनुसार मानसरोवर के पास स्थित कैलाश पर्वत पर शिव-शंभु का धाम है। कहा भी जाता है-‘परम रम्य गिरवरू कैलासू, सदा जहां शिव उमा निवासू।’ आप यह तो जानते होंगे कि कैलाश पर्वत पर भगवान शिव अपने परिवार के साथ रहते हैं, पर यह नहीं जानते होंगे कि वह इस दुनिया का सबसे बड़ा रहस्यमयी पर्वत है जो कि माना जाता है कि अप्राकृतिक शक्तियों का भंडार है।

कई शक्तियां हैं आस-पास

एक्सिस मुंडी को ब्रह्मांड के केंद्र या दुनिया की नाभि के रूप में समझें। यह आकाश और पृथ्वी के बीच संबंध का एक बिंदु है जहां चारों दिशाएं मिल जाती हैं। यह नाम, असली और महान, दुनिया के सबसे पवित्र और सबसे रहस्यमयी पहाड़ों में से एक कैलाश पर्वत से संबंधित है। एक्सिस मुंडी वह स्थान है जो अलौकिक शक्ति का प्रवाह होता है और आप उन शक्तियों के साथ संपर्क कर सकते हैं। एक वैज्ञानिक ने वह स्थान कैलाश पर्वत बताया है। इस पवित्र पर्वत की ऊंचाई 6714 मीटर है। यह पास की हिमालय सीमा की चोटियों जैसे माउंट एवरेस्ट के साथ रेस तो नहीं लगा सकता, पर इसकी भव्यता ऊंचाई में नहीं, लेकिन उसके आकार में है। उसकी छोटी सी आकृति विराट शिवलिंग की तरह है जिस पर सालभर बर्फ की सफेद चादर लिपटी रहती है। कैलाश पर्वत पर चढ़ना निषिद्ध है, पर 11वीं सदी में एक तिब्बती बौद्ध योगी मिलारेपा ने इस पर चढ़ाई की थी। कैलाश पर्वत चार महान नदियों के स्रोतों से घिरा है ः सिंध, ब्रह्मपुत्र, सतलुज और कर्णाली या घाघरा। दो सरोवर इसके आधार हैं – पहला मानसरोवर जो दुनिया की शुद्ध पानी की उच्चतम झीलों में से एक है और जिसका आकर सूर्य के समान है। दूसरा, राक्षस झील जो दुनिया की खारे पानी की उच्चतम झीलों में से एक है और जिसका आकार चंद्र के समान है।

मानसरोवर झील और राक्षस झील

मानसरोवर झील और राक्षस झील, ये दोनों झीलें सौर और चंद्र बल को प्रदर्शित करती हैं जिसका संबंध सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा से है। जब इन्हें दक्षिण की तरफ से देखते हैं तो एक स्वस्तिक चिन्ह वास्तव में देखा जा सकता है।

ओउम की ध्वनि

पुराणों के अनुसार यहां शिवजी का स्थायी निवास होने के कारण इस स्थान को 12 ज्येतिर्लिंगों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। कैलाश में बर्फ से सटे 22028 फुट ऊंचे शिखर और उससे लगे मानसरोवर को ‘कैलाश मानसरोवर तीर्थ’ कहते हैं और इस प्रदेश को मानस खंड कहते हैं। कैलाश-मानसरोवर उतना ही प्राचीन है, जितनी प्राचीन हमारी सृष्टि है। इस अलौकिक जगह पर प्रकाश तरंगों और ध्वनि तरंगों का समागम होता है, जो ‘ओउम’ की प्रतिध्वनि करता है।

जब आती है मृदंग की आवाज…

गर्मी के दिनों में जब मानसरोवर की बर्फ पिघलती है, तो एक प्रकार की आवाज भी सुनाई देती है। श्रद्धालु मानते हैं कि यह मृदंग की आवाज है। मान्यता यह भी है कि कोई व्यक्ति मानसरोवर में एक बार डुबकी लगा ले, तो वह ‘रुद्रलोक’ पहुंच सकता है। कैलाश पर्वत, जो स्वर्ग है, उस पर कैलाशपति सदाशिव विराजे हैं। इसके नीचे मृत्यलोक है, इसकी बाहरी परिधि 52 किलोमीटर है।

मानसरोवर झील में है विष्णु का वास

मानसरोवर पहाड़ों से घिरी झील है, जो पुराणों में ‘क्षीर सागर’ के नाम से वर्णित है। क्षीर सागर कैलाश से 40 किलोमीटर की दूरी पर है व इसी में शेष शैय्या पर विष्णु व लक्ष्मी विराजित हो पूरे संसार को संचालित कर रहे हैं।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App