समझें अपने बच्चों को

By: Sep 24th, 2017 12:05 am

बच्चों का मन कोमल और भावुक होता है। उन्हें समझने की जरूरत है और माता-पिता से बेहतर उन्हें कौन समझ सकता है। अपनी आकांक्षाओं को उन पर लादने के बजाय उनका मन टटोलें। लगातार मिलने वाली हार से परेशान बच्चा कई बार निरुत्साहित होकर प्रयास करना ही छोड़ देता है। ऐसे में यह बेहद जरूरी हो जाता है कि आप उन्हें विश्वास में लें। उन्हें बताएं, जताएं कि आप उनके वैलविशर हैं। आप उनकी हर तरह से मदद करेंगे, लेकिन प्रयास तो उन्हें स्वयं ही करना है।

बच्चे का एटीच्यूड देखें

किसी एक ही क्षेत्र में न उलझे रहें। बच्चे की प्रतिभा परखें और तदनुसार उसे आगे बढ़ाएं। क्या हुआ अगर वह डिबेट में अपना सिक्का नहीं जमा पाया। अगर आर्ट्स में वह अच्छा है, एक नन्हा सा आर्टिस्ट उसमें सिर उठाए आगे बढ़ने को तत्पर है, तो उसे ड्राइंग कंपीटीशन में भाग लेने के लिए प्रेरित करें। जरूरत यह है कि बच्चे को किसी भी तरह की हताशा होने से बचाएं।

हर समय लेक्चर न दें

बच्चों को सबसे ज्यादा एलर्जी होती हैं मां-बाप के अनवरत दिए जाने वाले  लेक्चर से। स्कूल में भी लेक्चर, घर पर भी लेक्चर। भले ही यह उनकी भलाई की खातिर दिए जाते हैं, लेकिन बहुत ज्यादा भलाई फिर भलाई नहीं रह जाती जब इससे बच्चे का व्यक्त्वि ही आहत होने लगे। समझाएं जरूर पर एक दोस्त की तरह।

बच्चे का मनोबल बढ़ाएं

कई बच्चे बेहद प्रतिभाशाली होते हैं। उनमें कई गुण छिपे होते हैं जिन्हें छुपे रुस्तम कहते हैं। कुछ इसी तरह लेकिन नेचर से कुछ शर्मीले और  दब्बू किस्म के होने के कारण उनमें आत्मविश्वास की कमी आ जाती है। अपने से धाकड़ मगर प्रतिभा में शून्य सहपाठियों के आगे वे मात खा जाते हैं। सिर्फ इसलिए कि उनमें वे किलर इंस्टिंक्ट नहीं होती, जो प्रतियोगिता जीतने के लिए जरूरी है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App