सोशल मीडिया की दोधारी तलवार

By: Sep 14th, 2017 12:08 am

पीके खुराना

लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं

newsभाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने रविवार को अहमदाबाद में आयोजित एक सभा में युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि वह भाजपा विरोधी प्रोपेगेंडा से सतर्क रहें, अपना दिमाग लगाएं और सोशल मीडिया पर चल रही चर्चाओं पर ध्यान न दें। मोदी और शाह ने कभी नहीं सोचा होगा कि जिस हथियार से वे अपने राजनीतिक विरोधियों पर वार कर रहे हैं, वह हथियार कभी उनके खिलाफ भी इस्तेमाल हो सकेगा…

नरेंद्र मोदी कई मामलों में अभिनव कार्य करने के लिए जाने जाते हैं। जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने विदेशों से एफडीआई यानी सीधे निवेश के लिए प्रयत्न किए, गुजरात में विकास के कई कार्यक्रम चलाए, नौकरशाही पर पकड़ बनाई और एक अच्छे प्रशासक के रूप में नाम कमाया। अपने हर काम से मोदी यह सिद्ध करने का भरसक प्रयास करते हैं कि वह एक ‘कारगर तानाशाह’ हैं और सत्ता के अकेले केंद्र वह स्वयं ही हैं। मोदी ने अपनी नई छवि गढ़ने के लिए एक बड़ी विदेशी कंसल्टेंसी को ठेका दिया। धीरे-धीरे हालात ऐसे बनते चले गए कि भाजपा को उन्हें प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में स्वीकार करना पड़ा। इस स्थिति तक पहुंचने के लिए मोदी ने बहुत मेहनत से अपनी रणनीति पर काम किया और हर चुनौती को भी अवसर में बदल दिया। जब एक कांग्रेसी नेता ने उन्हें चाय बेचने वाला बताया तो उन्होंने तुरंत ‘चाय पर चर्चा’ नाम से एक मेगा इवेंट खड़ी कर दी और अपनी लोकप्रियता में चार चांद लगा दिए। तत्कालीन कांग्रेस सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार और निर्णयहीनता ने उनका काम और आसान कर दिया, तो भी मोदी ने कुछ भी रामभरोसे नहीं छोड़ा। एक सोची-समझी रणनीति के तहत उन्होंने सोशल मीडिया कर्मियों की टीम बनाई, जो विरोधियों को नीचा दिखाने के लिए अपमानजनक चुटकले गढ़ती थी और उन्हें फेसबुक, व्हाट्सऐप, ट्विटर, इंस्टाग्राम आदि सोशल मीडिया के मंचों पर फैला देती थी। भाजपा कार्यकर्ता तब मोदी को लेकर इतने उत्साहित थे कि वे ऐसे हर चुटकले को अपने हर व्हाट्सऐप समूह में फैला देते थे। तब आम जनता भी कांग्रेस से इस कद्र दुखी थी कि वे चुटकुले हर किसी को पसंद आते थे। मीडिया भी मोदी की इस रणनीति का शिकार बना और इन चुटकलों को मीडिया ने भी खूब प्रचारित किया।

मोदी की एक रणनीति यह भी थी कि विरोधियों के पक्ष में सार्वजनिक रूप से उतरने वाले हर व्यक्ति का इतना अपमान किया जाए कि वह दोबारा ऐसा करने का साहस ही न कर सके। कांग्रेस के एक टीवी विज्ञापन में युवा कांग्रेस की एक कार्यकर्ता जब राहुल गांधी की प्रशंसा करते हुए नजर आई, तो मोदी की टीम ने उसे इस हद तक प्रताडि़त किया कि उसका बाहर निकलना ही मुहाल हो गया। अपनी इस रणनीति की सफलता से खुश मोदी ने सत्ता में आने के बाद भी यह खेल जारी रखा और राहुल गांधी, केजरीवाल, लालू यादव आदि को अपमानजनक चुटकलों का शिकार बनाते रहे और अपनी छवि चमकाने के लिए झूठ और सच के मिश्रण से बने संदेश प्रसारित करवाते रहे। उनकी यह रणनीति अब भी बदस्तूर जारी है। सन् 2014 के लोकसभा चुनावों के समय गुजरात के विकास की ऐसी तस्वीर पेश की गई कि गुजरात मॉडल को विकास के आदर्श मॉडल के रूप में देखा जाने लगा। प्रधानमंत्री बनने के बाद भी मोदी ने नारों और जुमलों की सहायता से लोकप्रियता हासिल की, अपना जनाधार बढ़ाया और चुनाव जीते। लेकिन बातों से सच्चाई नहीं बदल जाती।

पहली बार मुख्यमंत्री बनने के 49 दिनों बाद ही इस्तीफा देकर खुद को हीरो समझ रहे केजरीवाल ने देश का प्रधानमंत्री बनने का सपना पाल लिया था। इस्तीफा देने के बाद वह गुजरात गए और उन्होंने मोदी के विधानसभा क्षेत्र का दौरा किया। तब केजरीवाल ने वहां के स्कूलों और सड़कों की दुरावस्था की तस्वीर पेश की थी, लेकिन तब मोदी के सितारे बुलंदी पर थे और केजरीवाल का वह दौरा कुछ ही दिनों बाद इतिहास के गर्त में दफन हो गया। मोदी अंततः प्रधानमंत्री बन गए और केजरीवाल को फिर से दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से ही संतोष करना पड़ा। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद आनंदीबेन पटेल और विजय रूपाणी मोदी जैसी छवि नहीं गढ़ पाए। मोदी के मुख्यमंत्रित्व काल में मोदी की छवि ऐसी थी कि कोई उनकी आलोचना नहीं करता था, लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है। यही नहीं, मोदी ने भारत के लोगों को सोशल मीडिया का उपयोग भी सिखा दिया है।

परिणाम यह है कि अब जब गुजरात में विकास की पोल खुलने लगी है तो गुजरात के लोग सोशल मीडिया के माध्यम से मोदी द्वारा उछाले गए जुमलों का प्रयोग करके गुजरात सरकार का मजाक बनाने लग गए हैं, जो अप्रत्यक्ष रूप से मोदी की भी आलोचना है। पिछले दिनों हुई बारिश के बाद सड़कों में बने गड्ढे की तस्वीर लोगों ने खूब शेयर की और सवाल किया कि क्या यही विकास है? पहले हर पोस्ट में ‘विकास’ शब्द का इस्तेमाल किया जा रहा था। धीरे-धीरे बात आगे बढ़ती गई और इसने ‘विकास पगला गया है’ का रूप ले लिया। एक व्यक्ति ने सड़कों पर गड्ढों वाली तस्वीर शेयर करते हुए लिखा है कि यह भारत की पहला स्मार्ट सिटी है, जहां हर घर में व्यक्तिगत स्वीमिंग पूल है, तो एक अन्य व्यक्ति ने ट्विटर पर गुजरात के एक गांव में पुल टूटने की घटना की तस्वीर शेयर की है। उस पर एक बस आधे टूटे पुल पर लटकी हुई सी खड़ी है। ‘विकास पगला गया है’ नाम से ट्विटर हैंडल भी बन गया है तथा इस हैंडल से एक फोटो शेयर की गई है, जिसमें ट्रेन की पटरियां पानी में डूबी हैं और पूछा गया है कि विकास क्यों दिखाई नहीं देता और उसका उत्तर इस रूप में दिया गया है कि विकास बुलेट ट्रेन में बैठा है, इसलिए दिखाई नहीं दे रहा है। इस प्रकार मोदी के विकास का मजाक उड़ाया जा रहा है, उनके नारों का मजाक उड़ाया जा रहा है और उनसे सवाल पूछे जा रहे हैं। गुजरात के लोग अब सोशल मीडिया पर हैशटैग लगा कर राज्य सरकार से भी सवाल कर रहे हैं। जैसे मोदी विरोधियों को सोशल मीडिया पर ट्रोल करवाते हैं, वैसे ही गुजरात की भाजपा सरकार ट्रोल हुई और मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को सफाई देने पर विवश होना पड़ा। इसके बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने रविवार को अहमदाबाद में आयोजित एक सभा में युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि वह भाजपा विरोधी प्रोपेगेंडा से सतर्क रहें, अपना दिमाग लगाएं और सोशल मीडिया पर चल रही चर्चाओं पर ध्यान न दें।

मोदी और शाह ने कभी नहीं सोचा होगा कि जिस हथियार से वे अपने राजनीतिक विरोधियों पर वार कर रहे हैं, वह हथियार कभी उनके खिलाफ भी इस्तेमाल हो सकेगा। रोजगार बढ़ नहीं रहे हैं, नोटबंदी और जीएसटी के कारण रोजगार छिने हैं, अर्थव्यवस्था में सुस्ती आई है और व्यावसायिक संगठन बड़ी शिद्दत से महसूस करने लगे हैं कि मोदी मजबूत नेता तो हैं, लेकिन उनके बहुत से निर्णय अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक साबित हुए हैं। अब मोदी को एहसास होने लगा है कि सोशल मीडिया का दुरुपयोग वस्तुतः एक दुधारी तलवार है। यदि आम आदमी तक यह संदेश चला गया कि मोदी के निर्णय असल में अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक साबित हुए हैं तो उनकी विश्वसनीयता खतरे में पड़ जाएगी। ऐसे में मोदी का करिश्मा और अमित शाह की चुनावी रणनीति के बावजूद 2019 के लोकसभा चुनाव में बहुमत हासिल करना बड़ी चुनौती बन सकता है। यही कारण है कि अब अमित शाह को यह सलाह देनी पड़ रही है कि लोग सोशल मीडिया की चर्चाओं के झांसे में न आएं। सच है कि जो दूसरों के लिए गड्ढे खोदता है, कभी वह भी उनमें गिर सकता है। आज मोदी और शाह के साथ भी यही हो रहा है।

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