हमीरपुर का बचपन ‘धुंधला’
हमीरपुर — हमीरपुर में बच्चों का बचपन भी धुंधला होने लगा है। बुढ़ापे में होने वाली मोतियाबिंद की बीमारी छोटी उम्र में ही हावी होने लगी है। आलम यह है कि क्षेत्रीय अस्पताल में मोतियाबिंद के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। बड़ों के साथ-साथ बच्चों में आंख की पुतली सफेद होने की शिकायत भी बढ़ गई है। क्षेत्रीय अस्पताल हमीरपुर के नेत्र विशेषज्ञ डा. शशि दत्त ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि पांच साल की कम उम्र के बच्चों में भी यह शिकायत देखने को मिल रही है। उन्होंने बताया कि इस रोग में जरा भी लापरवाही बरतने पर बच्चों का जीवन अंधकार में जा सकता है। डा. शशि ने बताया अस्पताल में हर साल मोतियाबिंद के 1100 से 1200 आपरेशन किए जाते हैं। बीते साल की बात करें तो अप्रैल, 2015 से मार्च, 2016 तक 1036 मोतियाबिंद के सफल आपरेशन किए गए हैं। वहीं, इस साल अभी तक 700 के करीब मोतियाबिंद के आपरेशन किए जा चुके हैं। इसके अलावा बच्चों में मोतियाबिंद की बात करें तो हर साल औसतन दो से तीन बच्चों के मोतियाबिंद के आपरेशन किए जाते हैं। नेत्र विशेषज्ञ डा. शशि दत्त के अनुसार इनमें कुछ बच्चे गर्वस्था से ही इसकी चपेट में आते हैं, तो कुछ में देरी से पता लगता है। जिला अस्पताल की आई ओपीडी में रोजाना सौ से डेढ़ सौ मरीज आंखों का चैकअप करवाने आते हैं। डा. शशि ने बताया कि इनमें से कुछ बच्चे आंखों में रिफलेक्टिव एरर के चलते धुंधला देखते हैं, जिन्हें नजरों का चश्मा लगाया जाता है। डा. शशि ने बताया कि इस तरह के कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत नेत्र विशेषज्ञ को ही दिखाएं।
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