हम श्राद्ध क्यों करते हैं
श्राद्ध शब्द संस्कृत का शब्द है, जो दो शब्दों के मेल से बना है। यह सत भाव सत्य और आधार से मिल कर बना है। इसका अर्थ है कोई भी ऐसा कार्य जो पूरी श्रद्धा और विश्वास से किया जाए। अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है। इसी के साथ श्राद्ध उत्तराधिकारियों का अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और सम्मान भाव भी प्रकट करता है। पुराणों के अनुसार सबसे पहली बार श्राद्ध की विधि ब्रह्मदेव के दस पुत्रों में से एक पुत्र ऋषि निमि द्वारा की गई थी। उनके पुत्र की अचानक मृत्यु हो गई थी और उसी की आत्मा की शांति के लिए ब्रह्मदेव ने श्राद्ध की विधि के बारे में बताया था। उस समय ऋषि निमि ने नारद मुनि के कहे अनुसार अपने पितृ देवों से प्रार्थना की थी। उनकी प्रार्थना पर सभी पितृ देव प्रकट हुए और उन्होंने ऋषि निमि को कहा कि उनके पुत्र को पहले ही पितृ देवों में स्थान मिल चुका है। इसलिए जब तुम अपने पुत्र की आत्मा की शांति के लिए विधियां कर रहे थे, तो उसके साथ ही पितृ देवों के लिए भी विधियां संपन्न हो गई हैं। बस उसी समय से सनातन धर्म में श्राद्ध की विधि जरूरी हो गई।
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