हां…मैं गुज्जर हूं

By: Sep 25th, 2017 12:10 am

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कुल आबादी

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हिंदू गुज्जर

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मुस्लिम गुज्जर 

हिमाचल की तरक्की में गुज्ज्र समुदाय का बेहतरीन योगदान रहा है। सियासत से लेकर सरकारी ओहदों तक समुदाय अपनी पैठ बनाए हुए है। गुज्जरों के योगदान को दखल के जरिए बता रहे हैं, नितिन राव….

गुर्जर शुद्ध संस्कृत का शब्द है, इसका संधि विच्छेद गुर और जर है। गुर का अर्थ होता है शत्रु और जर का अर्थ नाश करने वाला होता है। इसलिए गुर्जर शब्द का अर्थ शत्रु का नाश करने वाला होता है,लेकिन मौजूदा समय में भी समुदाय में महिला शिक्षा स्तर लगातार गिरता जा रहा है और यह चिंताजनक विषय है। समुदाय में बेटियों की अधिकतम संख्या स्कूल तक तो शिक्षा ग्रहण कर रही है। स्कूल के बाद कालेज में यह आंकड़ा लगभग 30 प्रतिशत ही रह जाता है। इसी कारण समुदाय की बेटियों की शादी 19 से लेकर 22 साल की उम्र तक कर दी जाती है। इसके लिए समाज में जागरूकता लाने के लिए प्रयास करने होंगे।  गुज्जर समाज, प्राचीन एवं प्रतिष्ठित समाज में से एक है। यह समुदाय गुज्जर, गूजर, गोजर, गुर्जर, गूर्जर और वीर गूर्जर नाम से भी जाना जाता है। प्रदेश में समुदाय के नाम  पर  मैरा, गजरेड़ा गांव चर्चित हैं। गुज्जर मुख्यतः  उत्तर भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में बसे हैं। इस समुदाय का नाम अफगानिस्तान के राष्ट्रगान में भी आता है। गुर्जरों के ऐतिहासिक प्रभाव के कारण उत्तर भारत और पाकिस्तान के बहुत से स्थान गुर्ज्जर जाति के नाम पर रखे गए हैं। इनमें भारत का गुजरात , पाकिस्तानी पंजाब का गुजरात जिला और गुज्जरांवाला जिला तथा रावलपिंडी जिला का गूजर खान प्रमुख शहर हैं।

भैंसों का व्यापार मुख्य पेशा

पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में व्यवसाय व रहन-सहन के अनुसार गुज्जर दो प्रकार के हैं। स्थायी गुज्जर और घुमंतू गुज्जर।   मौजूदा समय में समुदाय के लोग हर व्यवसाय और नौकरियों में भी अच्छे मुकाम तक पहुंच कर अपना योगदान दे रहे हैं। गुज्जर समुदाय के लोग आज भी पशुओं का व्यापार करते हैं। ये लोग अधिकतर संख्या में भैसों का व्यापार करते हैं। इसमें कुछेक बड़े व्यापारी सालाना करोड़ों रुपए का कारोबार करते हैं। समुदाय का एक वर्ग बकरी पालन में भी लघु कारोबार पर निर्भर है।

बिलासपुर के नैना गुज्जर को मां दुर्गा ने दिए दर्शन

देवभूमि हिमाचल के प्रसिद्ध शक्तिपीठ की स्थापना पर लोककथा आज भी बहुत अधिक प्रचलित है। लोककथा के अनुसार बिलासपुर जिला के एक जंगल में नैना गुज्जर अपने पशुओं को चराने के लिए जाता था। कई बार नैना गुज्जर ने देखा कि जंगल में स्थित एक पीपल के पेड़ के नीचे गाय के थनों से दूध अपने आप निकलने लगता है। यह देखकर नैना गुज्जर डर गया कि पता नहीं यह क्या हो गया। उसी रात आदिशक्ति दुर्गा माता ने नैना गुज्जर के सपने में आकर कहा कि जिस जगह गाय खड़ी होती है, उस के नीचे मेरी पिंडी है। मां ने उसे आशीर्वाद दिया और बताया कि उस स्थान पर जो कोई भी सच्चे दिल से मन्नत मांगेगा, उसकी मन्नत पूरी होगी, यह सुनकर नैना गुज्जर की नींद खुल गई। नैना ने सुबह जाकर जंगल में उस पीपल के नीचे देखा तो सचमुच मां नैना की पिंडी थी, और इस स्थान का नाम नैना गुज्जर के नाम से प्रसिद्ध हो गया। आज भी यह मंदिर नयना माता के नाम से प्रसिद्ध है।

लखदाता पीर में आस्था

इस समुदाय का मुख्य देवता लखदाता पीर है। भ्यानू लखदाता पीर और ऊना वाले पीर निगाह इनका बहुत पूजनीय स्थान हैं। हर हिंदू गुज्जर के गांव में लखदाता पीर का मंदिर होता है। हिंदू गुज्जर समुदाय कुलदेवी की पूजा भी करता है। इसके साथ ही वह देवी-देवताओं व हिंदू धर्म के अनुसार मान्य सभी भगवान की पूजा भी करते हैं।  मुस्लिम गुज्जर समुदाय अपनी आस्था व रीति-रिवाजों के हिसाब से अल्लाह को मानते हैं।

कुश्ती से अखाड़े में अलहदा रुतबा

हिमाचल में गुज्जर समुदाय ने पुराने समय से ही कुश्ती में महारत हासिल की है और आज के दौर में भी युवा अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदेश में कुश्ती के अखाड़ों में समुदाय के लोगों ने राजा महाराजाओं के समय से ही अपना परचम लहराया है। बिलासपुर के कोटधार के पहलवान ठाकरू राम चौहान आज भी कुश्ती दंगल में इनाम के रूप में मिली पेंशन ले रहे हैं।  प्रदेश में मुश्किल से ही कोई ऐसा दंगल होगा, जिसमें गुज्जर समुदाय के सूरमाओं ने अपनी छाप न छोड़ी हो। गुज्जर समुदाय में कुश्ती को आस्था के आधार पर लड़ा जाता है। समुदाय के बारे में इस बात को कहने में भी कोई परहेज नहीं होगा कि समुदाय के लोग अधिकतम मन्नत अपने लखदाता पीर से कुश्ती के नाम पर ही मांगते हैं।

छडि़ए के बिना दंगल अधूरा

अखाडे़ में कुश्तियों की जोड़ी छोड़ने से पहले गुज्जर समुदाय का छडि़या (रैफरी) ढोल की ताल पर विधिवत रूप से पूजा करता है और टमक को अखाडे़ में बजाने के बाद झंडी के पास उल्टा कर रख दिया जाता है । यह पीर से अरदास कर संकल्प किया जाता है, उसके बाद मुस्लिम गुज्जर अखाड़े में धमाल डालकर अखाडे़ को शुद्ध करता है इसके बाद छोटे बच्चों की कुश्तियों से दंगल की शुरुआत होती है।

एकजुट हो समुदाय

हमीरपुर के खगल निवासी सोम दत्त का कहना है कि समुदाय के लोग प्रदेश की तरक्की के लिए विभिन्न सेक्टर में  योगदान दे रहे हैं, लेकिन समुदाय के लोगों को पहचान नहीं मिल पाती है। इसका एक कारण समुदाय के छोटे-छोटे कस्बों में बसना है। लोग एकजुट नहीं हो पाते हैं। इसके लिए समुदाय के लोगों को आगे आकर एक साझा मंच तैयार करना चाहिए।

नशे से दूर रहें युवा

अखाडे़  में छडि़ए की अहम भूमिका निभाने वाले सुंदर राम का कहना है कि आज की युवा पीढ़ी को नशे से दूर रहना चाहिए । सुंदर का मानना है युवा नशे से दूर रह कर स्वास्थ्य के प्रति सजग रहें। उन्होंने कहा कि नौजवान पहलवानी में भी आगे आकर प्रदेश का नाम रोशन करें व नशे के खिलाफ समाज में जागरूकता मुहिम चलाएं, ताकि स्वस्थ समाज का निर्माण हो सकें।

भूमि दे सरकार

प्रदेश गुज्जर कल्याण बोर्ड के सदस्य व जिला चंबा के भटून के लतीफ ने मांग की है कि गुज्जर समुदाय के घुमंतू वर्ग को स्थायी डेरे के लिए भूमि मिलनी चाहिए। भूमिहीन होने से समुदाय के लोग एक जगह नहीं रह सकते, जिससे कि उनके बच्चे भी अनपढ़ रह रहे हैं और यह वर्ग आज इंटरनेट की दुनिया में भी भैंसों को ही चराने पर मजबूर है।

राजनीतिक आरक्षण जरूरी

अखिल भारतीय वीर गुज्जर महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग गुर्जर ने मांग की है कि हिमाचल प्रदेश में गुज्जर समुदाय को राजनीतिक आरक्षण मिलना चाहिए।  इसके साथ ही उन्होंने मांग की है कि 1857 के क्रांतिकारियों को स्वतंत्रता सेनानी घोषित किया जाए। राजनीतिक आरक्षण मिलने से समुदाय अपनी मांगों को सही मंच पर उठा पाएगा और जनसेवा में अहम योगदान दे सकेगा।

गुज्ज्रों ने कुल्लू में बनाए मंदिर

प्रदेश में गुज्जर राजाओं ने कई मंदिर बनवाए हैं, जिसमें कुल्लू जिला में दो प्राचीन मंदिर आज भी हैं।  इसमें गौरी शंकर मंदिर नग्गर और दूसरा बजौरा में स्थित बसेश्वर महादेव शामिल है।  इन दोनों ही मंदिरों का निर्माण गुज्जर सम्राट मिहिर भोज द्वारा करवाया गया था।

गुज्ज्र रेजिमेंट की मांग

विकास खंड सरकाघाट की ग्राम पंचायत जकैण उपप्रधान कमलेश कुमार ने मांग की है कि भारतीय सेना में प्रदेश सहित देश के हजारों युवा सेवाएं दे रहे हैं। लिहाजा,  सेना में गुज्जर रेजिमेंट होनी चाहिए।

महिलाओं का गिरता शिक्षा ग्राफ चिंताजनक

प्रदेश सरकार के शिक्षा सलाहकार पद से सेवानिवृत्त अनिता राव का कहना है कि गुज्जर समुदाय में दसवीं या बारहवीं तक तो लोग अपनी बेटियों को पढ़ा रहे हैं, लेकिन कालेज में मात्र 50 फीसदी बेटियां ही पहुंच रही हैं । समुदाय के लिए यह गिरता ग्राफ चिंताजनक है,इस पर परिजनों को जागरूक होना जरूरी है ।

गुज्जरों के मुख्य लीडर रंगीला राव

इंदिरा गांधी ने किया सम्मानित

एमर्जेंसी के बाद 1977 के चुनाव में रंगीला राम राव ने कांग्रेस विरोधी मुहिम के बावजूद देश भर में सबसे अधिक वोट अंतर से जीत हासिल की थी। इस जीत का महत्त्व इसलिए बढ़ गया था, क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उन्हें सम्मानित करने के लिए विशेषतौर पर सरकाघाट पहुंची थीं।

प्रदेश में गुज्जर समुदाय से एकमात्र विधायक रहे रंगीला राम राव, जो मात्र 26 वर्ष की आयु में प्रदेश की विधानसभा में बतौर विधायक पहुंचे थे। देश में आपातकाल के बाद 1977 में भी रंगीला राम राव को कांग्रेस विरोधी लहर नहीं हरा सकी थी, जिससे उनकी लोगों में राजनीतिक पकड़ साफ झलकती है।   उन्होंने बीए एलएलबी की पढ़ाई पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ से प्राप्त की। कालेज समय से ही राव छात्र राजनीति में सक्रिय हो गए थे। एलएलबी की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने वकालत शुरू  की और वह गरीब लोगों के केस निःशुल्क लड़ते थे। 1972 में पहली बार गोपालपुर विधानसभा क्षेत्र से राव बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरे। पहली बार में ही राव जीत हासिल कर विधानसभा पहुंचे। इसके बाद रंगीला राम राव कांग्रेस में शामिल हो गए। 1977 का चुनाव प्रदेश की जनता ने कांग्रेस के विरोध में लड़ा ,लेकिन राव  ने गोपालपुर विधानसभा क्षेत्र से एकतरफा जीत हासिल की।  चुनाव में राव के विरोध में खड़े सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी। इस दौर में राव आल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सचिव रहे। 1980-82 तक राव प्रदेश सरकार के पीडब्ल्यूडी और स्वास्थ्य विभाग में बतौर सीपीएस रहे। 1982 में राव को आबकारी एवं कराधान, स्वास्थ्य और एग्रीकल्चर राज्य मंत्री के रूप में कार्यभार सौंपा। 1993 में राव ने उद्योग, कानून, संसदीय कार्य और श्रम और रोजगार प्रशिक्षण के कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। 2003 में रंगीला राम राव को एक्साइज एंड टैक्सेशन, सोशल जस्टिस एंड एंपावरमेंट और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के कैबिनेट मंत्री नियुक्त किया, 2007 तक मंत्री पद पर उन्होंने कार्य किया। वर्तमान में रंगीला राम राव प्रदेश सरकार में बतौर मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

 

अंग्रेजों ने दिया बागी का दर्जा

गुलाम भारत को आजादी दिलाने के लिए गुज्जर समुदाय ने भी उग्र आंदोलन का रास्ता अपनाया। देश की रक्षा के लिए वीर गुज्जर  समुदाय के वीर योद्धाओं ने कुर्बानियां भी दीं। अंग्रेजों की नाक में नकेल कसने वाले गुज्जरों को अंग्रेजों ने क्रिमिनल ट्राइब यानी अपराधी जनजाति कह कर पुकारा था। जिसके चलते उस समय अंग्रेजों की सरकार ने गुज्जरां को बागी समुदाय घोषित कर दिया था। इतना ही नहीं अंग्रेजों ने गुज्जरों को दिखते ही गोली मारने के निर्देश जारी कर दिए थे। इसी वजह से अधिकतर गुज्जर जंगलों और पहाड़ों में रहने लगे।

यूं टूटी शिक्षा की डोर

अंग्रेजों के डर से समुदाय के लोगों ने दुर्गम क्षेत्रों में रहन-सहन शुरू कर दिया, उसी दौर में समुदाय का शिक्षा से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं रहा। समुदाय खेतीबाड़ी और पशुधन पालकर ही अपना गुजारा करने लगा। आजादी के बाद केंद्र सरकार की शिक्षा के लिए चलाई गई मुहिम के दौरान अभिभावकों को जागरूक कर दुर्गम व पिछडे़ क्षेत्रों के बच्चों को भी स्कूल भेजने के लिए प्रेरित किया। इसी दौर में समुदाय के लोगों ने शिक्षा ग्रहण करना शुरू की।

तीन धर्मों में बंटा समुदाय 

हिमाचल प्रदेश में एकमात्र गुज्जर समुदाय ऐसा समुदाय है, जो तीन धर्मों में बंटा है। इसमें सबसे सर्वाधिक संख्या हिंदुओं की है,। प्रदेश में  मुस्लिम और गुर्ज्जर सिख भी हैं।

प्रदेश की दूसरी बड़ी जनजाति

हिमाचल प्रदेश में गुज्जर जाति अब दूसरी बड़ी जनजाति के रूप में विकसित हो चुकी है। गुज्जर मुख्य रूप से हिमाचल  के बिलासपुर, मंडी, चंबा, हमीरपुर सोलन, ऊना और सिरमौर जिलों में केंद्रित हैं। पिछले एक दशक के दौरान गुज्जर समुदाय की आबादी 35  से लेकर 92 हजार तक पहुंच गई है। इस आंकडे़ ने गद्दी समुदाय के बाद उन्हें हिमाचल प्रदेश का दूसरी सबसे बड़ी जनजाति बना दिया।

स्थानीय और गोजरी बोली 

गुज्जर समुदाय में हिंदू और मुस्लिम दोनों ही लगभग एक जैसी ही भाषा का प्रयोग करते थे। लेकिन वर्तमान में गुज्जर समुदाय के अधिकतम लोग स्थानीय भाषा का प्रयोग करते हैं। कुछेक क्षेत्रों में ही गोजरी भाषा का प्रयोग किया जाता है। जिसमें चंबा व मंडी के जोगिंद्रनगर के लोग  स्थानीय भाषा के साथ-साथ  गोजरी बोली का प्रयोग करते हैं।

पशुधन-खेतीबाड़ी से किनारा 

गुज्जर समुदाय के लोग अधिक संख्या में पशु पालकर और खेतीबाड़ी कर अपना गुजारा करते थे, लेकिन वर्तमान में लोगों ने पशुधन और खेतीबाड़ी  से रुचि हटा ली है। कुछेक लोग  शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं तो कुछ  खेतीबाड़ी व पश्ुधन छोड़ दिहाड़ी मजदूरी की तरफ भी अपनी ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं।

शादियों पर न हो ज्यादा खर्च

गुज्जर कल्याण बोर्ड के पूर्व सदस्य प्रकाश राव का कहना है कि समुदाय के युवा विवाह शादियों पर कर्ज लेकर गहने बनना रहे हैं, जो कि जरूरी नहीं हैं । पैसा अपनी व परिवार की बेहतर शिक्षा पर खर्च करें, ताकि भविष्य उज्ज्वल हो सके।

पंजाब सरकार का लीगल विभाग संभाल रहे गोरसी

जिला हमीरपुर के भरेड़ी के साथ लगते गांव के एडवोकेट संदीप गोरसी पंजाब सरकार में लीगल विभाग संभाल रहे हैं। संदीप गोरसी वर्तमान में परिवार सहित अमृतसर में रहते हैं। संदीप गोरसी पंजाब कांग्रेस में लीगल सैल भी संभाल रहे हैं।

हरकिरपाल खटाना कस्टम विभाग में दे रहे सेवाएं

जिला सोलन के नालागढ़ के हरकिरपाल सिंह कस्टम डिपार्टमेंट में बतौर आयुक्त लुधियाना का कार्यभार देख रहे हैं। हरकिरपाल सिंह ने वर्ष 2009 में सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की थी। इसके बाद वह पंजाब सरकार में सेवाएं दे रहे हैं।

जगदीश कुमार ने कुश्ती में छोड़ी छाप

जिला मंडी की तहसील सरकाघाट की थौना पंचायत के गैहरा के  जगदीश पहलवान ने कुश्ती में प्रदेश ही नहीं, ब्लकि देश का नाम भी रोशन किया है। जगदीश पहलवान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीत चुके हैं।

संजय यादव को परशुराम अवार्ड

मंडी की थौना पंचायत के संजय यादव बतौर खिलाड़ी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतरीन प्रदर्शन कर चुके हैं। संजय कुश्ती, किक बॉक्सिंग और जूडो में अपनी प्रतिभा दिखा चुके हैं। इतना ही नहीं संजय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बतौर कोच भारत का प्रतिनिधित्व भी कर चुके हैं। संजय यादव को प्रदेश सरकार ने परशुराम अवार्ड से भी सम्मानित किया है।

चंद्रवीर सिंह ने ताइवान को सिखाए दांव-पेंच

जिला मंडी के चंद्रवीर राष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती खिलाड़ी रह चुके हैं। चंद्रवीर रेस्लिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के तहत बतौर कुश्ती कोच सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। चंद्रवीर वर्ष 2016 में ताइवान टीम के साथ बतौर कोच और हाल ही में इसी माह वर्ल्ड चैंपियनशिप में बतौर भारतीय कोच बेहतरीन कोचिंग की मिसाल कायम की है। चंद्रवीर की कोचिंग में भारत विश्व भर में दूसरे स्थान पर रहा है।

एचएएस हुसन चौधरी 

जिला सोलन की तहसील बद्दी के भूड से संबंध रखने वाले हुसन चौधरी तहसीलदार सरकाघाट के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने वर्ष 2015 में हिमाचल प्रशासनिक सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की थी।

धर्मपाल राव रक्षा मंत्रालय में इंजीनियर

जिला मंडी की तहसील सुंदरनगर से संबंध रखने वाले धर्मपाल राव रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत बतौर इंजीनियर सेवाएं दे रहे हैं। वर्तमान में धर्मपाल बंगलूर में कार्यरत हैं।

बिलासपुर के अरविंद राजस्थान सरकार में संयुक्त सचिव 

जिला बिलासपुर के अरविंद कुमार पोसवाल वर्तमान में राजस्थान सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग में संयुक्त सचिव का कार्यभार देख रहे हैं। अरविंद पोसवाल ने 2015 में भारतीय प्रशासनिक सेवा परीक्षा पास की थी। पोसवाल ने अपनी शिक्षा हिमाचल प्रदेश से ही ग्रहण की है।


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