हिंदी दिवस

By: Sep 10th, 2017 12:05 am

14 सितंबर को हमारे देश में ‘हिंदी दिवस’ मनाया जाता है।  इसी दिन 1949 को भारतीय संविधान में हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया था। हिंदी को सिर्फ अपने देश में ही नहीं, बल्कि दूसरे देशों में भी बहुत सम्मान दिया जाता है। आप जानते हैं कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है अपनी राष्ट्रभाषा को सहेजने और प्रसारित करने के लिए हर वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है।

प्यारे बच्चो, आज के समय में हिंदी की जगह अंग्रेजी भाषा पर ज्यादा जोर दिया जाता है । स्कूलों में इंग्लिश में बात करनी है। घर पर भी इंग्लिश का इस्तेमाल करने के लिए माता-पिता अपने बच्चों को प्रेरित करते हैं। यह सही है क्योंकि प्रतिस्पर्धा के इस युग में इंग्लिश की मांग बढ़ गई है। इसका मतलब यह नहीं है कि अपनी राष्ट्रभाषा की जानकारी न हो,  भले ही आप इंग्लिश में अपना कार्य करो, मगर हिंदी का ज्ञान होना भी आवश्यक है। हिंदी हमारे देश हिंदुस्तान को बांधती है। कभी गांधीजी ने इसे जनमानस की भाषा कहा था, तो इसी हिंदी की खड़ी बोली को अमीर खुसरो ने अपनी भावनाओं को प्रस्तुत करने का माध्यम भी बनाया।  यह हिंदी भाषा की लोकप्रियता का ही सबूत है कि हिंदी भाषा के इतिहास पर पहले साहित्य की रचना एक फ्रांसिसी लेखन ‘ग्रासिन द तैसी’ ने की थी । इतना ही नहीं, हिंदी एवं दूसरी भाषाओं का विस्तृत सर्वेक्षण ‘सर जोर्ज अब्राहम गीर्यस्न’ ने किया था और हिंदी भाषा पर ‘थीओलोजी ऑफ तुलसीदास’  नामक पहला शोध कार्य लंदन विश्वविद्यालय में अंग्रेज विद्वान जेआर कारपेंटर द्वारा पहली बार प्रस्तुत किया गया था। देश को आजादी मिलने के बाद 14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया कि हिंदी ही भारत की राजभाषा होगी। यह तिथि भारतीय इतिहास के गौरव का प्रतीक है। इसी दिन 1949 में स्वतंत्र भारत का संविधान समान हिंदी को राष्ट्रभाषा और देवनागरी को राष्ट्र लिपि घोषित किया गया था।

26 जनवरी, 1950 को भारतीय संविधान लागू होने का साथ-साथ हिंदी पूरे देश की राजभाषा बन गई हालांकि  इसके बावजूद आज भी ज्यादातर सरकारी कार्यों में अंग्रेजी भाषा का प्रयोग किया जाता है। वास्तव में 14 सितंबर, एक महत्त्पूर्ण तिथि ही नहीं वरन राष्ट्रीय पर्व है। इसी स्मृति में 1953 से संपूर्ण देश में हिंदी दिवस राष्ट्रीय दिवस के रूप में तथा सितंबर में ही हिंदी पखवाड़ा मनाया जाता है। इस आयोजन ने देश में बड़ी लोकप्रियता प्राप्त की है । इस अवसर पर हमारा कर्त्तव्य है कि अपने स्वाभिमान की रक्षा एवं राष्ट्र व राष्ट्रभाषा की प्रतिष्ठा को सर्वदा बनाए रखने का संकल्प लें। हिंदी समृद्ध भाषा है और इसका एक गौरवमयी इतिहास है। इस भाषा में रचा हुआ साहित्य आज भी हम सबके लिए प्रेरणा स्रोत है। हिंदी भाषा का एक विपुल शब्द भंडार है। शौर्य के साकार के हिंदी के रूप में सुभाषचंद्र बोस ने बलिदानों के ढेरों पर खड़े होकर जब ‘जय हिंद’  का उद्घोष किया था, तभी ‘भारत’ अपने दूसरे नाम ‘हिंद ’ से प्रसिद्ध हो गया और हिंद की भाषा का नाम हिंदी स्वभाव सिद्ध है । हिंद महासागर की प्रत्येक लहर भी यही स्वर गुंजा रही है कि भारत ही ‘हिंद’ है और ‘हिंद’ की भाषा को हिंदी ही कहा जा सका। प्रादेशिक भाषाओं का अपना महत्त्व है।  वे भारतीय अनेकता का स्वरूप है, परंतु राष्ट्र को एकता की लड़ी में पिरोने में असमर्थ है और विदेशी भाषा को इस दिशा में मात्र भ्रम ही है ।


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