हिंदी हैं हम

By: Sep 14th, 2017 12:05 am

( स्वास्तिक ठाकुर, पांगी, चंबा )

एक सोची-समझी साजिश कहें या हमारी मानसिक कंगाली कि हम खुद को अंग्रेजी का विद्वान साबित करने के लिए हरसंभव प्रयास करते हैं। इससे बड़ी और क्या त्रासदी हो सकती है कि विद्यार्थी जीवन का जो महत्त्वपूर्ण समय जीवन व उससे जुड़े अन्य पहलुओं को समझने के लिए उपयोग होना चाहिए था, उसे एक परायी भाषा को समझने में खर्च कर दिया जाता है। दुखद यह कि उसके बाद भी ऐसा प्रयास करने वाले बहुत से लोग अंग्रेजी भाषा को नहीं सीख पाते। ऐसे में अंग्रेजी सीखने की उस बचकानी हठ का क्या लाभ? इसके विपरीत हम न तो अंग्र्रेज हैं और न ही अंग्रेजी का हमारे अस्तित्व से कोई सरोकार है। हम मूल रूप से हिंदी हैं और हिंदी ही हमारी अस्मिता की भाषा है। ‘हिंदी हैं हम’ महज एक वाक्य नहीं है, बल्कि समग्र रूप में भारतीयता की नींव है, उसकी आत्मा है। ऐसे में जब कभी भाषायी ज्ञान का संदर्भ छिड़े, तो प्राथमिकता में अपनी मातृभाषा हो।

 


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