आज भी प्रासंगिक है डाक

By: Oct 9th, 2017 12:05 am

(रमेश सर्राफ धमोरा, झुंझुनू )

भले ही हाइटेक होती जा रही दुनिया में अब चिट्ठियां भेजने का सिलसिला कम हो गया हो, लेकिन डाक विभाग की प्रासंगिकता अब भी बरकरार है। कई दशकों तक देश के अंदर ही नहीं, बल्कि एक देश से दूसरे देश तक सूचना पहुंचाने का सर्वाधिक विश्वसनीय, सुगम और सस्ता साधन डाक रहा है। लेकिन इस क्षेत्र में निजी कंपनियों के बढ़ते दबदबे और फिर सूचना तकनीक के नए माध्यमों के प्रसार के कारण डाक विभाग की भूमिका लगातार कम होती गई है। वैसे इसकी प्रासंगिकता पूरी दुनिया में अब भी बरकरार है, लेकिन डाक विभाग का एकाधिकार लगभग खत्म हो गया है। यही कारण है कि डाक विभाग दुनिया भर में अब कई नई तकनीकी सेवाओं से जुड़ रहा है। जहां तक किसी तरह के विश्सनीय सबूत को पेश करने का मसला हो, तो इस मामले में डाक द्वारा भेजी गई सामग्री और उसके नेटवर्क से ढूंढे गए पते को सबूत के तौर पर मान्यता दी जाती है। दुनिया भर में नौ अक्तूबर को विश्व डाक दिवस के तौर पर मनाया जाता है। वर्ष 1874 में इसी दिन यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन, यूपीयू का गठन करने के लिए स्विट्जरलैंड की राजधानी बर्न में 22 देशों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। आज दुनिया भर में 55 प्रकार की पोस्टल ई-सेवाएं उपलब्ध हैं। डाक ने 77 फीसदी ऑनलाइन सेवाएं दे रखी हैं। 133 पोस्ट वित्तीय सेवाएं मुहैया कराती है। 142 देशों में पोस्टल कोड उपलब्ध है। डाक के इलेक्ट्रॉनिक प्रबंधन और निगरानी के लिए 160 देशों की डाक सेवाएं यूपीयू की अंतरराष्ट्रीय पोस्टल सिस्टम सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करती हैं। इस तरह 141 देशों ने अपनी यूनिवर्सल पोस्टल सेवा को परिभाषित किया है।


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