आलू के लिए कागजों में बना कारखाना हुआ नहीं चालू

By: Oct 4th, 2017 12:15 am

ऊना में 196 करोड़; पालमपुर में आलू चिप्स-भुजिया उत्पादन के लिए बनी थी 78 लाख की परियोजना, फिर नहीं बनी बात

newsपालमपुर – सालाना हजारों टन आलू पैदा करने वाले प्रदेश में किसान एक अदद बड़े उद्योग की राह ताक रहे हैं। प्रदेश के आलू की डिमांड चिप्स उद्योग में रहती है, लेकिन आलू आधारित बड़े उद्योग की कमी से आलू उत्पादक अच्छे दामों से वंचित रह जाते हैं। आलू प्रदेश की अति महत्त्वपूर्ण नकदी फसलों में से एक है। वैज्ञानिकों के अनुसार प्रदेश की शीत समशीतोष्ण जलवायु अच्छी किस्म के बीज आदि की पैदावार के लिए अति उत्तम है। इसलिए इस पर विशेष रूप में शिमला, लाहुल-स्पीति में रहने वाले किसानों की आर्थिक स्थिति काफी सीमा तक निर्भर करती है। प्रदेश का बीज आलू विभिन्न रोगों से मुक्त होने तथा अधिक पैदावार की क्षमता रखने के परिणामस्वरूप इसकी मांग देश के विभिन्न राज्यों में काफी अधिक है। आलू की फसल आमतौर पर खरीफ फसल है, परंतु जहां कहीं सिंचाई की सुविधा है, वहां इसे सर्दियों में भी पैदा किया जाता है। पूरे देश में आलू और बीज आलू की पैदावार के लिए हिमाचल की देश में अलग पहचान है और देश के आधे से अधिक आलू का उत्पादन प्रदेश में हो रहा है। हिमाचल ही ऐसा राज्य है, जो बीज आलू की विभिन्न किस्में बड़े पैमाने पर पैदा करता है। आलू चंबा, कुल्लू, लाहुल, शिमला, कांगड़ा, मंडी और सिरमौर के ऊंचे स्थानों में पैदा किया जाता। हिमाचल का बीज आलू पूरे देश की 20 प्रतिशत से अधिक जरूरत पूरी करता है। यहां का आलू बीमारी रहित गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध है। बीज मुख्यतः महाराष्ट्र, गुजरात, मैसूर, मध्य प्रदेश, और ओडिशा आदि राज्यों को निर्यात किया जाता है। पालमपुर के गांव रोड़ा में लोजपा अध्यक्ष रामविलास पासवान ने आलू आधारित उद्योग का नींव पत्थर रखा, लेकिन वह योजना कागजों में ही सिमट गई, वहीं मौजूदा सरकार ने ऊना जिला में 196 करोड़ की लागत से आलू आधारित उद्योग की स्थापना और कांगड़ा के पालमपुर में आलू चिप्स और भुजिया उत्पादन के लिए 78 लाख की लागत से परियोजना स्थापित करने की बात कर आलू उत्पादकों को आस जरूर बंधाई थी। पंचायत चुनावों के बाद चुने गए नए प्रतिनिधियों की ओर से आलू उत्पादकों के लिए भी अच्छे संकेत मिले थे। कांगड़ा के विकास खंडों में करीब 15-20 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में आलू का उत्पादन किया जाता है। इसमें से भी पांच विकास खंडों में ही करीब 90 प्रतिशत आलू की पैदावार होती है। कांगड़ा में ही सालाना आलू की पैदावार 40-50 हजार टन होती है और नगरोटा व पठियार में पैदा होने वाला आलू चिप्स के लिए बहुत अच्छा माना जाता है।

…तो बदल जाती उत्पादकों की किस्मत

कांगड़ा में आलू आधारित उद्योग उत्पादकों की किस्मत बदल सकता है। दिसंबर 2009 में पूर्व लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राम विलास पासवान ने पालमपुर के रोड़ा में आलू चिप्स फैक्टरी के निर्माण की घोषणा की थी और एक नामी कंपनी ने 40 कनाल भूमि खरीद ली थी। इससे उत्पादकों को बिचौलियों से राहत मिलने की उम्मीद जगी थी।


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