ऊना… कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा

By: Oct 20th, 2017 12:05 am

ऊना —  जिला ऊना में सत्ता पर काबिज होने के लिए हमेशा ही भाजपा व कांग्रेस के मध्य कांटे की लड़ाई रही है। सत्तर, अस्सी व नब्बे के दशकों में हुए विधानसभा चुनावों में जिला में अमूमन एक ही पार्टी के पक्ष में रूझान देखने को मिलता था, परंतु 1998 के बाद इस रूझान में बदलाव आया है। अब जिला में भाजपा व कांग्रेस के मध्य हर बार कांटे की टक्कर रहती है तथा जिला में क्लीन स्वीप अब दोनों ही दलों के लिए एक चुनौतीपूर्ण टास्क बन गया है। 1998 से लेकर 2012 तक हुए पिछले तीन विधानसभा चुनावों में भाजपा व कांग्रेस के मध्य शह व मात का खेल बदस्तूर जारी है। पिछले चार विधानसभा चुनावों में जिला की पांच सीटों से दो बार भाजपा तीन तथा दो बार कांग्रेस पार्टी तीन सीटों पर जीत दर्ज कर पाने में सफल रही। 1998 में हुए विधानसभा चुनावों में जिला में भाजपा ने पांच में से तीन विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज कर कांग्रेस के प्रभुत्व को चुनौती दे डाली। 1998 में भाजपा ने कुटलैहड़ को अपने दुर्ग के रूप में मजबूती देते हुए लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की, वहीं कांग्रेस की परंपरागत सीटों हरोली व चिंतपूर्णी विधानसभा क्षेत्रो में धमाकेदार जीत दर्ज कर धमाका कर दिया था। कांग्रेस पार्टी को इन चुनावों में गगरेट व ऊना विधानसभा सीटों से ही संतोष करना पड़ा था। जबकि 1993 के विधानसभा चुनावों में जिला में कुटलैहड़ को छोड़कर शेष चारों सीटों पर कांग्रेस का कब्जा रहा था। 2003 में हुए विधानसभा चुनावों में यहां प्रदेश में सत्ता की चाबी भाजपा से छिटकर कांग्रेस के हाथ आई, वहीं जिला ऊना में भी कांग्रेस ने बढ़त लेते हुए पांच में से तीन विधानसभा सीटों पर कब्जा जमाया। कांग्रेस ने हरोली व चिंतपूर्णी की अपनी परंपरागत सीटों को भाजपा से छीन पुनः अपना परचम लहराया, वहीं गगरेट सीट को बरकरार रखा। जबकि भाजपा ने इस दफा कुटलैहड़ के किले को पुरी तरह सुरक्षित रखने के अलावा ऊना सीट कांग्रेस से छीन जिला में अपनी प्रभावी उपस्थिति बनाए रखी। 2007 के विधानसभा चुनावों में एक बार फिर से प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ। वहीं जिला ऊना में भी हुए विधानसभा चुनावों में पांच में से तीन सीटे भाजपा ने जीतकर कांग्रेस पर बढ़त बनाई। भाजपा ने ऊना व कुटलैहड़ की सीटों को बरकरार रखने के अलावा गगरेट की सीट कांग्रेस से छीन ली। जबकि कांग्रेस पार्टी ने हरोली व चिंतपूर्णी की अपनी सीटों को बचा पाने में कामयाबी हासिल की। 2012 के विस चुनावों में कांग्रेस ने प्रदेश में सत्तारूढ़ होने में सफलता हासिल की तो ऊना में भी कांग्रेस ने पांच में से तीन सीटे जीतकर अपना प्रभुत्व साबित किया। कांग्रेस ने हरोली व चिंतपूर्णी के साथ-साथ गगरेट विस क्षेत्र में जीत दर्ज की। जबकि भाजपा ने ऊना व कुटलैहड़ में अपने किले को बचाए रखा। अब पांच साल बाद पुनः भाजपा व कांग्रेस पांचों विधानसभा सीटों पर एक बार फिर से आमने-सामने आ खड़ी है। राजनीतिक विशलेषकों की माने तो जिला में इस बार भी मुख्यतः मुकाबला भाजपा व कांग्रेस के मध्य होगा,लेकिन बहुजन समाज पार्टी, माकपा व अन्य राजनीतिक दल चुनावी समर में उतर कर भाजपा व कांग्रेस के समीकरणों को प्रभावित कर सकते है।


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