ऊना सदर में विधानसभा को खूब पकती है सियासी खिचड़ी

By: Oct 20th, 2017 12:01 am

55 साल में भाजपा-कांग्रेस-जनता पार्टी ने दर्ज की तीज

ऊना —  ऊना सदर विधानसभा क्षेत्र हमेशा ही प्रदेश की राजनीति में अहम रहा है। अस्तित्व में आने के बाद ऊना सदर के विधायक प्रकाश चंद ने ऊना को जिला बनाने की लड़ाई लड़ी, वहीं वरिष्ठ नेता सुरेंद्र नाथ गौतम पंजाब असेंबली में ऊना का प्रतिनिधित्व करते रहे। ठाकुर देशराज  यहां आम आदमी के नेता के रूप में प्रचलित रहे व शांता सरकार में 1990 में ग्रामीण विकास राज्यमंत्री भी बने। पंजाब के तत्कालीन सीएम बेअंत सिंह के प्रेस सचिव रहे ओपी रतन ने 1993 में वीरभद्र सिंह के विरोध के बावजूद न केवल वीरेंद्र गौतम का टिकट कटाकर कांग्रेस टिकट हासिल किया, बल्कि वीरेंद्र गौतम के विरोध स्वरूप आजाद खड़े होने व सिटिंग एमएलए व मंत्री रहे देशराज ठाकुर को पराजित कर विधानसभा चुनाव भी जीता। ऊना की राजनीतिक लड़ाई 70 से 80 के दशक के बीच ठाकुर देशराज व वीरेंद्र गौतम के मध्य रही, वहीं 90 के दशक में ओपी रतन व वीरेंद्र गौतम के बीच द्वंद रहा। 2003 के बाद सतपाल सिंह सत्ती ने वीरेंद्र गौतम के खिलाफ मात्र 51 वोटों से मिली जीत के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसके बाद 2007 में 11852 मतों के अंतर तथा 2012 में 4746 मतों से जीत दर्ज कर अपनी पकड़ बनाए रखी। पिछले 55 सालों के दौरान 12 विधानसभा चुनावों में भाजपा ने पांच तो कांग्रेस ने पांच बार जीत दर्ज की, जबकि एक बार जनता पार्टी व एक बार आजाद प्रत्याशियों ने जीत का स्वाद चखा। पूर्व मंत्री ठाकुर देशराज दो बार भाजपा व एक बार जनता पार्टी के टिकट पर विजयी रहे। प्रदेश भाजपाध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती लगातार तीन बार विधायक बने, जबकि सुरेंद्र नाथ गौतम 1962 से 1966 तक पंजाब असेंबली में ऊना से तथा 66 से 67 तक ऊना के हिमाचल में विलय के बाद एक बार कांग्रेस टिकट पर विधायक रहे। मास्टर प्रकाश चंद 1967 में आजाद व 1972 में कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़कर विधायक बने। कांगड़ा बैंक के पूर्व अध्यक्ष वीरेंद्र गौतम 1985 व 1998 में कांग्रेस की तरफ से दो बार तथा 1993 में ओपी रतन कांग्रेस टिकट से ऊना के विधायक बने।

महिला को कुर्सी नसीब नहीं

ऊना सदर विधानसभा क्षेत्र से पिछले 55 सालों से किसी भी राजनीतिक दल ने किसी महिला को प्रत्याशी बनाने की जहमत तक नहीं उठाई। महिलाओं के हितों की आवाज उठाने वाले दल ऊना सदर विधानसभा क्षेत्र में महिला प्रत्याशी को मैदान में उतारने से हमेशा ही हिचकते रहे। गौर हो कि ऊना विधानसभा क्षेत्र में 1962 से लेकर 2012 तक हुए 12 चुनावों में भाजपा से राजपूत, तो कांग्रेस से ब्राह्मण प्रत्याशियों ने जीत दर्ज कर विधानसभा की दहलीज तक पहुंच पाने में सफलता पाई। भाजपा ने 1998 में ब्राह्मण प्रत्याशी के रूप में सुभाष सहोड़ को मैदान में उतारा तो उन्हें हार का स्वाद चखना पड़ा। 2012 में कांग्रेस ने राजपूत प्रत्याशी सतपाल सिंह रायजादा को चुनाव में उतारा, लेकिन उन्हें भी हार झेलनी पड़ी।

कौन कब बना विधायक

1962      सुरेंद्र नाथ गौतम      कांग्रेस

1967      मास्टर प्रकाश चंद    आजाद

1972      मास्टर प्रकाश चंद    कांग्रेस

1977      ठाकुर देशराज         जनता पार्टी

1982      ठाकुर देशराज         भाजपा

1985      वीरेंद्र गौतम                       कांग्रेस

1990     ठाकुर देशराज         भाजपा

1993      ओपी रतन             कांग्रेस

1998      वीरेंद्र गौतम                       कांग्रेस

2003      सतपाल सत्ती         भाजपा

2007      सतपाल सत्ती         भाजपा

2012      सतपाल सत्ती         भाजपा


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