करियर की क्लीनिकल रिसर्च

By: Oct 4th, 2017 12:08 am

जब कोई नई दवा लांच करने की तैयारी होती हैए तो दवा लोगों के लिए कितनी सुरक्षित और असरदार है, इसके लिए क्लीनिकल ट्रायल होता है। भारत की जनसंख्या और यहां उपलब्ध सस्ते प्रोफेशनल की वजह से यह कारोबार तेजी से फलने-फूलने लगा है। यदि आप भी इस बढ़ते हुए बाजार का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो क्लीनिकल ट्रायल या क्लीनिकल रिसर्च से जुड़े कोर्स कर सकते हैं…

करियर की क्लीनिकल रिसर्चकरियर की क्लीनिकल रिसर्चक्लीनिकल रिसर्च एक ऐसा प्रोसेस है, जिसके माध्यम से तमाम नई दवाओं को बाजार में लांच करने से पहले उन्हें जानवरों और इनसानों पर टेस्ट किया जाता है। मोटे तौर पर किसी दवा को लैब से केमिस्ट की शॉप तक पहुंचने में 12 साल का वक्त लग जाता है। जानवरों पर प्री-क्लीनिकल टेस्ट करने के बाद इन दवाओं को इनसानों पर टेस्ट किया जाता है, जिसके तीन फेज होते हैं। टेस्टिंग के लिए इन तीनों फेजों में पहले के मुकाबले ज्यादा संख्या में लोगों को शामिल किया जाता है। इन तीनों फेजों का टेस्ट हो जाने के बाद कंपनी सभी नतीजों को एफडीए या टीपीडी को सौंप देती है, जिसके आधार पर एनडीए (न्यू ड्रग अप्रूवल) मिलता है। एक बार एनडीए हासिल हो जाने के बाद कंपनी उस ड्रग को मार्केट में उतार सकती है। जब कोई नई दवा लांच करने की तैयारी होती है, तो दवा लोगों के लिए कितनी सुरक्षित और असरदार है, इसके लिए क्लीनिकल ट्रायल होता है। भारत की जनसंख्या और यहां उपलब्ध सस्ते प्रोफेशनल की वजह से क्लीनिकल का कारोबार तेजी से फलने-फूलने लगा है। यदि आप भी इस बढ़ते हुए बाजार का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो क्लीनिकल ट्रायल या क्लीनिकल रिसर्च से जुड़े कोर्स कर सकते हैं। भारत में क्लीनिकल ट्रायल इंडस्ट्री करीब 30 करोड़ डॉलर की है और आने वाले समय में बढ़ कर यह इंडस्ट्री दो अरब डॉलर तक पहुंच जाने की उम्मीद है। गौरतलब है कि दुनिया की प्रमुख दवा कंपनियां अब क्लीनिकल रिसर्च संबंधी जरूरतों के लिए भारतीय बाजार की ओर रुख कर रही हैं।

क्या है क्लीनिकल रिसर्च

क्लीनिकल रिसर्च में किसी मेडिकल उत्पाद के फायदे-नुकसान, जोखिम व प्रभावशीलता का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है। मोटे तौर पर कहा जाए तो किसी दवाई को बाजार में लांच करने से पहले उसका वैज्ञानिक अध्ययन क्लीनिकल रिसर्च के अंतर्गत ही आता है। क्लीनिकल शोधकर्ताओं द्वारा रोग के कारण और रोग के बढ़ने की प्रक्रियाएं रोगी का बेहतर इलाज कैसे हो सकता है, इसका आकलन करने के बारे में भी जानकारी दी जाती है। यह सब अध्ययन क्लीनिकल रिसर्च के दायरे में आता है।

प्रमुख संस्थान

* पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीच्यूट ऑफ  मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च चंडीगढ़

* पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी जालंधर

* जीएनडी डेंटल कालेज एंड रिसर्च इंस्टीच्यूट, संगरूर

* कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी, कुरुक्षेत्र

* नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ  आयुर्वेदिक फार्मास्यूटिकल रिसर्च, पटियाला

* ढिल्लों आयुर्वेदिक चैरिटेबल हास्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, जालंधर

* गुरु गोबिंद सिंह इन्फार्मेशन टेक्नोलॉजी एंड रिसर्च , बठिंडा

प्रमुख नियोक्ता कंपनियां

सिपला, रेनबैक्सी, फाइजर, जोनसन एंड जोनसन, असेंचर, एक्सेल लाइफ  इंश्योरेंस, पैनेसिया बायोटेक, जुबलिएंट, परसिस्टेंट जैसी बड़ी कंपनियां इस क्षेत्र में मौजूद हैं। एमबीए फार्मा इस उद्योग के लिए विशेष कोर्स है। इसमें फार्मास्यूटिकल मैनेजमेंट शामिल है।

रोजगार की संभावनाएं

टेलेंटेड लोगों का एक बड़ा पूल और तमाम तरह के मरीजों की बढ़ती संख्या के चलते भारत में क्लीनिकल रिसर्च के क्षेत्र में अवसर तेजी से बढ़ रहे हैं। क्लीनिकल प्रोफेशनल्स की मांग और सप्लाई में भारी अंतर के कारण ही भारत में कई ट्रेनिंग इंस्टीच्यूट शुरू किए गए हैं।  अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस उद्योग में बहुत अच्छा वेतन मिलता है, जो सालाना 40 हजार डॉलर से लेकर एक लाख डॉलर तक होता है। भारत में शुरुआती सालाना सैलरी 1.8 लाख से लेकर पांच लाख रुपए तक होती है। तेज गति से बढ़ोतरी के बावजूद भारत में अच्छे क्लीनिकल प्रैक्टिस वाले प्रशिक्षित इन्वेस्टिगेटर्स, बायो एनालिटिकल साइंटिस्ट और फार्मा कोकाइनेटिक्स की काफी कमी है। इसके अलावा आप रिसर्च एग्जीक्यूटिव, क्लीनिकल रिसर्च एडवाइजर, प्रोजेक्ट मैनेजर, ग्रुप प्रोजेक्ट मैनेजर और आपरेशन डायरेक्टर के रूप में भी बेहतर रोजगार प्राप्त कर सकते हैं। अपनी क्वालिफिकेशन के आधार पर आप इस क्षेत्र में कैरियर बना सकते हैं। अगर आप क्लीनिकल आपरेशंज और प्रोजेक्ट के क्षेत्र में जाना चाहते हैं, तो आपके पास लाइफ  साइंस, खासतौर से फार्माकोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री, बायोलॉजी, इम्यूनोलॉजी, फिजियोलॉजी में डिग्री होनी चाहिए। इस क्षेत्र से जुड़े लोग ही सीधे तौर पर क्लीनिकल रिसर्च के लिए जिम्मेदार होते हैं। जिन लोगों का केमिस्ट्री या इंजीनियरिंग बैकग्राउंड है, वे क्वालिटी एश्योरेंस या नए कंपाउंड को डिवेलप करने का काम कर सकते हैं। क्लीनिकल डाटा मैनेजर के रूप में काम करने के लिए आपके पास आईटी डिग्री होनी चाहिए।

वेतनमान

आजकल क्लीनिकल रिसर्च के क्षेत्र में रोजगार की बेहतर संभावनाएं हैं और इस क्षेत्र में योग्य प्रोफेशनल्ज की मांग में भी वृद्धि हुई है। क्लीनिकल रिसर्च के क्षेत्र में एक फ्रेशर का वेतनमान 15000 या इससे अधिक प्रतिमाह हो सकता है। यदि आपके पास मास्टर डिग्री है, तो वेतनमान दोगुना हो जाता है। निजी कंपनियों में अनुभव मायने रखता है और इस आधार पर आप आकर्षक वेतनमान प्राप्त कर सकते हैं।

शैक्षणिक योग्यता

क्लीनिकल रिसर्च के कोर्स में एंट्री के लिए दस जमा दो मेडिकल होना जरूरी है। इसके अलावा डी फार्मा, बी फार्मा, एम फार्मा आदि के स्टूडेंट्स भी इस कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं। कई प्रतिष्ठित संस्थानों से क्लीनिकल रिसर्च में डिप्लोमा, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा आदि किया जा सकता है।

प्रमुख कोर्सेज

* एडवांस प्रोग्राम इन क्लीनिकल रिसर्च

* डिप्लोमा इन क्लीनिकल रिसर्च

* बीएससी इन क्लीनिकल लैबोरेटरी टेक्नोलाजी

* बीएससी इन क्लीनिकल माइक्रोबायोलॉजी

*  सर्टिफिकेट प्रोग्राम इन क्लीनिकल रिसर्च

* इंटिग्रेटेड पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन क्लीनिकल रिसर्च

*  एमएससी इन क्लीनिक माइक्रोबायोलॉजी

* पीएचडी इन क्लीनिकल रिसर्च

* कॉरेसपोंडेंस कोर्स इन क्लीनिकल रिसर्च

* डिस्टेंस लर्निंग प्रोग्राम इन क्लीनिकल रिसर्च

* प्रोफेशनल डिप्लोमा इन क्लीनिकल रिसर्च

* बैचलर डिग्री इन क्लीनिकल रिसर्च


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App