कविता

By: Oct 29th, 2017 12:05 am

चूमे थे फांसी के फंदे

जी रहे हम आजादी से किसने हमें दिलाई थी,

चूमे थे फांसी के फंदे

गोली किसने खाई थी।

अंग्रेज खून के प्यासे थे।

तब किसने प्यास बूझाई थी,

चूमे थे फांसी के फंदे,

आजादी किसने दिलाई थी।

भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव ने फांसी के फंदे चूमे,

खुशी-खुशी कुर्बान हुए

तभी आजादी आई थी।

महात्मा गांधी, नेहरू, जी ने अंहिसावादी होकर भी  सीने पे गोली खाई थी

तब अंग्रेजों के छक्के छूटे भाग गए हिंदुस्तान छोड़कर,

इन्होंने आजादी  दिलाई थी।

आया  15 अगस्त, 1947 था,

भारत का झंडा लहराया था,

तब एहसास हुआ था कि शहीदो…. तुमने भारत को आजाद करवाया था।

अरुवंश हमीरपुर


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