कांग्रेस का मजबूत किला रहा है नयनादेवी हलका

By: Oct 23rd, 2017 12:01 am

पिछले दो साल से भाजपा लगातार लगा रही सेंध, इस विधानसभा चुनाव में मुकाबला रोचक होने के आसार

बिलासपुर – बिलासपुर जिला का नयनादेवी विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस का मजबूत किला रहा है। यहां से वरिष्ठ नेता रामलाल ठाकुर ने सात चुनाव लड़े और चार बार जीत दर्ज की, तो तीन बार हार का सामना भी करना पड़ा। अब पिछले दो इलेक्शन में कांग्रेस के इस मजबूत किले में भाजपा सेंध लगा रही है। यह तीसरा मौका है, जब भाजपा अपनी लाज बचाने के लिए जुगत भिड़ा रही है, जबकि कांग्रेस के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुकी है। ऐसे में नयनादेवी सीट पर मुकाबला रोचक होने के आसार हैं। पहले यह हलका कोटकहलूर हुआ करता था। वर्ष 1972 में कांग्रेस पार्टी के बैनर से तत्कालीन नेता कुलदीप चंदेल ने चुनाव जीता था। उसके बाद 1977 में जनता पार्टी से दौलतराम सांख्यान ने चुनाव जीता था। पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ नेता शांता कुमार की सरकार के समय जब उन्हें मंत्री पद से नवाजा नहीं गया, तो उन्होंने खिलाफत कर शांता की सरकार को अढ़ाई साल के कार्यकाल में ही तोड़ने में अहम भूमिका निभाई थी। इसके बाद 1982 में चुनाव हुआ और कांगे्रस के टिकट पर दौलतराम सांख्यान फिर से जीत गए। उस सरकार के कार्यकाल में वह राज्यमंत्री भी रहे। 1985 में पूर्व प्रधानमंत्री की मृत्यु के बाद सरकार भंग हो गई और उसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में पहली बार रामलाल ठाकुर को कांग्रेस से मैदान में उतारा गया। अपने प्रतिद्वंद्वी दौलतराम शर्मा की जमानत करवाकर रामलाल ठाकुर को पहली बार चुनाव जीतने पर तत्कालीन सरकार में आयुर्वेद एवं खेल मंत्री बनाया गया था। 1990 में रामलाल ठाकुर भाकपा की तरफ से लड़े केके कौशल से हार गए थे और इस चुनाव में दौलतराम सांख्यान को 800 वोट ही मिल पाए, जिसके चलते उनकी जमानत जब्त हो गई थी। 1993 में सदर बिलासपुर में जेपी नड्डा की एंट्री के चलते भाजपा ने कोटकहलूर से सदाराम को टिकट दिया था, लेकिन इस चुनाव में रामलाल ठाकुर विजयी हुए और सदाराम ठाकुर छह हजार वोट ही मिलने की वजह से तीसरे नंबर पर चले गए थे। इस बार रामलाल ठाकुर को सरकार में स्वास्थ्य मंत्री के पद से नवाजा गया था। फिर रणधीर शर्मा बीजेपी के बैनर तले राजनीति में आए और 1998 में टिकट न मिलने की वजह से केके कौशल बीजेपी की तरफ से लड़े। हालांकि इस चुनाव में कौशल की पराजय हुई, लेकिन बीजेपी सरकार बनने पर उन्हें को-आपरेटिव बैंक के चेयरमैन से नवाजा गया था। उसके बाद 2003 में रणधीर शर्मा पर बीजेपी ने दांव खेला, लेकिन इसमें फिर रामलाल ठाकुर ने विजय प्राप्त कर सरकार बनने पर उद्योग मंत्रालय पाया। यहां तक कोटकहलूर हलके में रामलाल ठाकुर का वर्चस्व कायम रहा, लेकिन 2007 में रणधीर शर्मा ने कांग्रेस के किले में सेंध लगा दी और कांग्रेस प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव में रणधीर शर्मा को 4954 वोट पड़े थे, जबकि लगातार दूसरी बार 2012 के इलेक्शन में भी रणधीर शर्मा का परचम कायम रहा और पिछले दो इलेक्शन से कोटकहलूर हलके में भाजपा अपना झंडा बुलंद किए है।

इनके हाथ में कमान

प्रत्याशी    वर्ष        पार्टी

कुलदीप चंदेल        1972      कांग्रेस

दौलतराम सांख्यान   1977      जनता पार्टी

दौलतराम सांख्यान   1982      कांग्रेस

रामलाल ठाकुर        1985      कांग्रेस

केके कौशल          1990     भाकपा

रामलाल ठाकुर        1993      कांग्रेस

रामलाल ठाकुर        1998      कांग्रेस

रामलाल ठाकुर        2003      कांग्रेस

रणधीर शर्मा           2007      भाजपा

रणधीर शर्मा           2012      भाजपा


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