किरपु राम ने लिया ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में भाग

By: Oct 4th, 2017 12:05 am

किरपु राम ने भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया, जिसके कारण जाहू, जिला हमीरपुर से इन्हें निर्वासति कर दिया गया। उन्हें 1945 ईस्वी में प्रजा मंडल के कार्यों में भाग लेने के लिए जेल में डाल दिया गया। जेल में ही वर्ष 1948 में उन की मृत्यु हो गई…

कर्म सिंह ठाकुर

इनके पिता का नाम हुरमत सिंह ठाकुर था। 10 जुलाई, 1919 ई. को जिला मंडी, तहसील सदर गांव अणु में इनका जन्म हुआ। इन्होंने बीएससी (कृषि) तक शिक्षा प्राप्त की। मूलतः यह बागबान थे। 1947ई. तक सेना में सेवा की। 1947 ई. में प्रजामंडल में शामिल हुए और 1948 ईस्वी में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए। शुरू से ही लोकतंत्र व समाजवाद के आदर्शों से ओत-प्रोत प्रदेश में किसान वर्ग के उत्थान के लिए निरंतर प्रयासरत रहे। 1952 ई. में प्रदेश विधानसभा के लिए महादेव निर्वाचन क्षेत्र में निवार्चित हुए। 1957 ईस्वी में द्वि-सदस्यीय निर्वाचन क्षेत्र चच्योट से टैरिटोरियल परिषद के लिए निर्वाचित, 1962 ईस्वी में सराज निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए। 1967 और 1972 में दोबारा चच्योट निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए। 1952 -56 में प्रदेश कांग्रेस विधायक दल के महासचिव रहे। 1957-63 तक टैरिटोरियल परिषद के चेयरमैन, 1963-67 तक राजस्व मंत्री और 1967-72 तक वित्त मंत्री रहे।

किरपु राम

किरपु राम अमाबदानीघाट गांव, तहसील व डाकघर घुमारवीं, जिला बिलासपुर से हैं। वह आठवीं कक्षा तक ही पढ़े थे। उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया, जिसके कारण जाहू, जिला हमीरपुर से इन्हें निर्वासति कर दिया गया। उन्हें 1945 ईस्वी में प्रजा मंडल के कार्यों में भाग लेने के लिए जेल में डाल दिया गया। जेल में ही वर्ष 1948 में उन की मृत्यु हो गई। उसके बाद इनकी सारी जायदाद जब्त कर ली गई और इनके बेटे को भी गिरफ्तार कर लिया गया।

कृष्ण चंद वैद

कृष्ण चंद वैद,सुपुत्र स्वर्गीय श्री नंद लाल, का जन्म 1 अप्रैल, 1917 ईस्वी को मंडी में हुआ। इनकी शिक्षा एफएससी तक थी। इनके परिवार में तीन बेटे एक बेटी हैं। मुख्यतः सामाजिक कार्यकर्ता थे। इन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया। मंडी प्रजा मंडल के सचिव रहे। मंडी जिला कांग्रेस के महासचिव भी रहे। भारत सेवक समाज के संयोजक और 1946 से 1949 तक  मंडी परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक रहे। सन् 1952 में प्रदेश  विधानसभा के लिए चुने गए। 1952 से 1956 तक हिमाचल प्रदेश विधानसभा के पहले उपाध्यक्ष रहे। 19 अगस्त 2004 को इनका निधन हो गया।


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