कैसे करें तुलसी विवाह
शाम के समय सारा परिवार उसी तरह तैयार हो, जैसे विवाह समारोह के लिए होते हैं। तुलसी का पौधा एक पटिये पर आंगन, छत या पूजा घर में बिलकुल बीच में रखें। तुलसी के गमले के ऊपर गन्ने का मंडप सजाएं। तुलसी देवी पर समस्त सुहाग सामग्री के साथ लाल चुनरी चढ़ाएं। गमले में सालिग्राम जी रखें। सालिग्राम जी पर चावल नहीं चढ़ते हैं। उन पर तिल चढ़ाई जा सकती है।
* तुलसी और सालिग्राम जी पर दूध में भीगी हल्दी लगाएं।
* गन्ने के मंडप पर भी हल्दी का लेप करें और उसकी पूजन करें।
* अगर हिंदू धर्म में विवाह के समय बोला जाने वाला मंगलाष्टक आता है तो वह अवश्य करें। देव प्रबोधिनी एकादशी से कुछ वस्तुएं खाना आरंभ किया जाता है। अतः भाजी, मूली, बेर और आंवला जैसी सामग्री बाजार में पूजन में चढ़ाने के लिए मिलती है, वह लेकर आएं। कपूर से आरती करें। इसका जाप करें – ‘नमो नमो तुलजा महारानी, नमो नमो हरि की पटरानी’।इसके बाद प्रसाद चढ़ाएं।
* 11 बार तुलसी जी की परिक्रमा करें।
* प्रसाद को मुख्य आहार के साथ ग्रहण करें।
* प्रसाद वितरण अवश्य करें।
* कहते हैं कि तुलसी विवाह के पांच दिनों में किसी एक दिन तुलसी के पौधे के नीचे बैठ कर खिचड़ी बनाकर खानी चाहिए।
* आंवला खाना भी अच्छा माना जाता है।
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