क्वालिटी से समझौता नहीं
कंट्रोल नियमों के पेच कसेगा भारत, चीन की बढ़ेगी परेशानी
नई दिल्ली — भारत कंज्यूमर और कैपिटल गुड्स के क्वॉलिटी कंट्रोल नियमों के पेच कसने में जुट गया है। इससे चीन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, जो बड़े पैमाने पर भारत में निर्यात करता है। यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है, जब दोनों देशों के बीच सीमा पर दो महीने तक तनाव रहा। नए नियम खिलौने, बिजली के सामान, मशीनरी, फूड प्रोसेसिंग, कंस्ट्रक्शन एंड केमिकल्स जैसे सेक्टर्स को टारगेट करेंगे, जिनमें चीन का दबदबा है। इसके अलावा इसकी कई कंपनियां भारत के अरबों डालर वाले पावर ट्रांसमिशन और टेलिकॉम बिजनस में प्रवेश करना चाहती हैं। दिवाली सीजन के बीच नए नियमों से भारत के उन खिलौना विक्रेताओं पर असर पड़ेगा, जो खिलौना कार से लेकर म्यूजिकल फोन्स और रोबोट चीन से मंगा रहे हैं। अधिकारियों के मुताबिक ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स के सभी सेक्टर्स के लिए करीब 23000 स्टैंडर्ड्स हैं, जिनमें से कई पूरी तरह लागू नहीं किए जा रहे हैं। अब सरकारी विभागों से कहा गया है कि वे लैबोरेटरी टेस्ट और स्पॉट इंस्पेक्शन करें, ताकि सामानों की गुणवत्ता और रेग्युलेशन सुनिश्चित हो। डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रोमोशन के चीफ रमेश अभिषेक ने बताया, हमने इस काम की शुरुआत युद्ध स्तर पर की है। देश में हम जितने भी सामानों का इस्तेमाल कर रहे हैं, सभी के लिए क्वॉलिटी कंट्रोल का आर्डर दिया गया है। नए नियम विदेशी और घरेलू सभी मैन्युफैक्चरर्स पर लागू होंगे। हालांकि, इस मामले से जुड़े दो लोगों ने नाम सार्वजनिक न करने की शर्त पर बताया कि जिन सेक्टर्स को टारगेट किया गया है, उनमें चीन का दो-तिहाई कब्जा है, जैसे खिलौने, स्टील के सामान। इन सामानों की गुणवत्ता को लेकर बहुत शिकायतें हैं। इंडियन स्टील सेक्रेटरी अरुणा शर्मा ने कहा कि उनका डिपार्टमेंट जल्द ही नए गाइडलाइन्स जारी करेगा और ऑइल व गैस के साथ कंस्ट्रक्शन सेक्टर में इस्तेमाल होने वाले स्टील के पाइप की गुणवत्ता मानकों को ऊंचा किया जाएगा।
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