खुलने से पहले बंद हुआ स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ

By: Oct 11th, 2017 12:15 am

टीएमसी को एक और बड़ा झटका

newsटीएमसी— इसे डा. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कालेज टांडा का दुर्भाग्य कहें या कम्युनिटी मेडिसिन डिपार्टमेंट की नाकामी कि यहां के लिए मंजूर हुआ स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ खुलने से पहले ही बंद हो गया। चुनावी मौसम में टीएमसी के लिए लगा यह बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है। आपको बता दें कि पूरे नॉर्थ इंडिया में किसी स्टेट रन मेडिकल कालेज में खुलने वाला यह पहला स्कूल होना था। गौरतलब है कि वर्ष 2015 में कैबिनेट ने टीएमसी में स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ को मंजूरी दी थी और 15 मार्च 2016 को सरकार की ओर से इसके लिए अधिसूचना भी जारी कर दी गई थी। उसके बाद इस स्कूल को चलाने के लिए यहां प्रोसेस शुरू हो गया था। स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ की कक्षाएं कांगड़ा स्थित छेब में चलनी थीं। यहां डीपीएच (डिप्लोमा इन पब्लिक हैल्थ), एमपीएच (मास्टर इन पब्लिक हैल्थ) और पीएचडी के शोध कार्य भी होने थे। इस स्कूल के  खुलने के बाद टीएमसी की देश क्या दूसरे देशों में भी अपनी विशेष पहचान बन जानी थी, जहां स्वास्थ्य संबंधी आपदाएं आती हैं। सूत्र बताते हैं अब इस स्कूल को आईजीएमसी शिमला में खोलने की बात की जा रही है। अगर ऐसा होता है तो इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा कि यहां के लिए मंजूर हुए स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ को टीएमसी प्रशासन संभाल नहीं पाया। साथ ही उन लोगों की मेहनत पर भी पानी फिरा, जिन्होंने इस स्कूल को यहां चलाने के लिए न जाने कितने कठिन प्रयास किए होंगे। स्वास्थ्य मंत्री से इस बारे में जब दूरभाष पर बात करनी चाही तो संपर्क नहीं हो पाया।

यह होना था फायदा

पब्लिक हैल्थ से संबंधित जितनी भी ट्रेनिंग हैं वह टीएमसी में होनी थीं, जो स्टूडेंट एमपीएच या पीएचडी के कोर्स करने चंडीगढ़ पीजीआई जाते हैं, उन्हें बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़नी थी। इस कोर्स को करवाने में सरकार का जो प्रति स्टूडेंट दो से अढ़ाई लाख खर्च आता है वह बच जाना था।

क्या है कम्युनिटी मेडिसिन

कम्युनिटी मेडिसिन स्वास्थ्य महकमे का बहुत ही महत्त्वपूर्ण विभाग होता है। इसमें देशभर में स्वास्थ्य से संबंधित जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाते हैं। कहीं किसी भी तरह की स्वास्थ्य संबंधी आपदा जैसे महामारी आदि फैलती है तो यह विभाग सबसे पहले वहां पहुंचकर लोगों को जागरूक करता है,साथ ही पता लगाने की कोशिश करता है कि आखिर यह स्वास्थ्य आपदा यहां आई कैसे इस पर रिसर्च की जाती है। आगे इस बीमारी के क्या परिणाम होंगे और उनसे कैसे बचा जा सकता है


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