झील में रहने वाला डायनासोर

By: Oct 14th, 2017 12:05 am

स्कॉटलैंड के हाइलैंड्स में लॉकनेस की झीलों में रहने वाला मॉनस्टर पिछली कई सदियों से पश्चिमी किंवदंतियों में है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पानी में रहने वाला डायनासोर है, लेकिन अभी तक इसकी प्रामाणिकता नहीं है। वर्ष 1947 में अमरीका के रोजवैल में आकाश से धरती पर एक अज्ञात वस्तु का टकराना भी रहस्य से कम नहीं है…

यह दुनिया रहस्यों से भरी पड़ी है। यहां अनेक रहस्य हैं जिन्हें लाख कोशिशों के बावजूद सुलझाया नहीं जा सका है। इस अंक में हम विश्व के छह रहस्यों की चर्चा करेंगे।

लॉकनेस मॉनस्टर

स्कॉटलैंड के हाइलैंड्स में लॉकनेस की झीलों में रहने वाला मॉनस्टर पिछली कई सदियों से पश्चिमी किंवदंतियों में है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पानी में रहने वाला डायनासोर है, लेकिन अभी तक इसकी प्रामाणिकता नहीं है।

रोजवैल यूएफओ

वर्ष 1947 में अमरीका के रोजवैल में आकाश से धरती पर एक अज्ञात वस्तु आकर टकराई। सरकार ने काफी सफाई दी, लेकिन आज भी लोगों का मानना है कि यह एलियन शिप थी जिसमें एलियन भी सवार थे।

बर्फीले इलाके का येती

बर्फीले इलाकों में विचरण करने वाले येती के किस्से आज भी लोगों की जुबान पर हैं। कई लोगों ने येती की तस्वीर उतारने का दावा भी किया है। हिमालय में भी येती के देखे जाने के बारे में दावे किए जाते हैं।

बरमूड़ा ट्रायएंगल

उत्तरी एटलांटिक महासागर में कैरेबियन द्वीप समूह में स्थित बरमूड़ा ट्राइएंगल में आज तक कई जहाज और विमान रहस्यमय ढंग से लापता हो चुके हैं। कभी चुंबकीय प्रभाव तो कभी कुछ और कारण इस संबंध में बताए जाते हैं, लेकिन राज अभी भी कायम है।

मैक्सिको का टियाटिहुआकन शहर

मैक्सिको सिटी के ठीक बाहरी इलाके में टियाटिहुआकन स्थित है। यह पिरमिडों की एक खंडहर सिटी है। इस जगह का मूल नाम टियाटिहुआकन नहीं है। इसकी खोज एजटेक्स ने की थी और उसी ने यह नाम इस जगह को दिया था। दरअसल टियाटिहुआकन का अर्थ होता है प्लेस ऑफ द गॉड। एजटेक्स का मानना था कि यह शहर मध्ययुग में अचानक प्रकट हुआ। 500 वर्ष पहले यह जगह खंडहर में बदल गई। हालांकि इसके अस्तित्त्व को लेकर कोई भी अन्य अवधारणा प्रचलित नहीं है क्योंकि लिखित में भी इसके बारे में कुछ भी उपलब्ध नहीं है। फिर भी यह स्ट्रक्चर आज भी रहस्य बना हुआ है। इस बस्ती को देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि यहां 25000 लोग रहते रहे होंगे। इसका निर्माण अर्बन ग्रिड सिस्टम की तरह हुआ है जिस तरह न्यूयार्क का हुआ है। यहां एक पिरामिड के अंदर जितनी भी हड्डियां मिली हैं, उससे पता चलता है कि बड़ी संख्या में यहां इनसानों का बलिदान

हुआ होगा।

लोहे का पेंच

1998 में रूसी वैज्ञानिक दक्षिण-पश्चिम मॉस्को से करीब 300 किलोमीटर दूर एक उल्का के अवशेष की जांच कर रहे थे। इस दौरान उन्हें एक पत्थर का टुकड़ा मिला, जिसमें लोहे का पेंच संलग्न था। भूवैज्ञानिकों के मुताबिक, ये पत्थर 300 मिलियन (30 करोड़) साल पुराना है। तब न तो कोई प्रबुद्ध प्रजाति हुआ करती थी और न ही धरती पर डायनासोर हुआ करते थे। पत्थर के बीच लोहे का पेंच साफ दिखाई पड़ता है। इसकी लंबाई एक सेंटीमीटर और व्यास तीन मिलीमीटर है।


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