टैक्सी पर जिंदगी और पहाड़ सा इरादा

By: Oct 22nd, 2017 12:07 am

कुल्लू जिला की एक बेटी ने टैक्सी चालक बनकर अपने परिवार को पालना शुरू कर दिया है। इस बेटी का सपना आर्मी आफिसर बनना है, लेकिन जिंदगी जीने की शुरुआत टैक्सी चालक बनकर की। 20 साल की रवीना ने विश्व पटल में प्रसिद्ध आस्था से परिपूर्ण हिडिंबा सड़क से टैक्सी चलाना शुरू कर दिया और देशी-विदेशी सैलानियों को मनाली के विभिन्न पर्यटन स्थलों पर टैक्सी में घुमाएगी। वह एक बार पर्यटकों को  रोहतांग दर्रे की सैर करवा चुकी हैं।  इसी के साथ  वह लाहुल-स्पीति के प्रसिद्ध  धार्मिक स्थल त्रिलोकनाथ मंदिर में भी पर्यटकों को घुमा लाई। यही नहीं, इसके बाद मनाली की इस बेटी ने चंडीगढ़ और दिल्ली जैसे शहरों में भी  पर्यटकों को पहुंचाया। इस लड़की का यह हौसला जल्द बड़ा मुकाम हासिल कर सकता है। वह निडर होकर  सैकड़ों टैक्सी चालकों के बीच रहकर टैक्सी को दौड़ा रही है। यह कुल्लू-मनाली ही नहीं, पूरे प्रदेश के लिए बड़ी गौरव की बात है।

पिता से ही सीखा टैक्सी चलाना

स्कूल की पढ़ाई के दौरान पिता (अब स्वर्गीय) ने अपनी बेटी को टैक्सी चलाना सिखाया। पिता को ही वह अपना गुरु मानती हैं। तीन साल पहले पिता की मृत्यु के बाद अचानक जब परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा, तो परिवार के पालन-पोषण का सवाल खड़ा हो गया।  तब रवीना ने ठान लिया कि जिस तरह पिता  टैक्सी चलाकर परिवार का पालन- पोषण करते थे, वह भी अपने पिता के इस व्यवसाय को संभालेगी। वहीं, मां शारदा का भी इस तरह से सहयोग मिला कि परिवार का भी पालन-पोषण होने लगा।  रवीना कहती हैं कि उसकी मां ने जिस तरह से उसे आगे बढ़ने, खासतौर पर टैक्सी चलाने को लेकर प्रेरित किया है, शायद ही कोई मां  ऐसा प्रोत्साहन देती होगी। वैसे आम वाहन आज हर महिला व युवती चलाती हैं, लेकिन टैक्सी चलाकर परिवार का पालन-पोषण करना वाकई लीक से हटकर कुछ करने जैसा है। रवीना ने बताया कि जितने भी पुरुष टैक्सी चालक हैं, वे सब उसका पूरा सम्मान करते हैं। यही नहीं, जब वह किसी सैलानी को साइट सीन पर ले जाती है, तो वे भी उसके साथ सम्मान से बात करते हैं। टैक्सी चलाने में उन्हें किसी तरह की भी कोई दिक्कत पेश नहीं आ रही है। मूलतः जोगिंद्रनगर के बठा गांव की रहने वाली रवीना काफी लंबे समय से मनाली में ही रह रही हैं। रवीना ने 12वीं की शिक्षा मनाली के सरकारी स्कूल से करने के बाद पिता की मृत्यु हो जाने पर परिवार की जिम्मेदारी संभाल ली। घर में सबसे बड़ी बेटी होने पर रवीना ने अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए पिता के ही व्यवसाय को आगे बढ़ाया। 23 फरवरी, 1997 को जन्मी रवीना आगे ही पढ़ाई इग्नू के माध्यम से कर रही हैं। फाइनल ईयर में पहुंची रवीना का सपना है कि आर्मी आफिसर बनकर परिवार का नाम देशभर में रोशन करना है। पिता के जाने के बाद मां और छोटे भाई -बहन ने जो दुख देखा है, उन्हें हमेशा खुशी प्रदान करना है। दुख का साया कभी उनके परिवार पर न पड़ सके, रवीना का अब यही मकसद है। वर्ष 2012 से रवीना टैक्सी चला रही हैं। सूमो वाहन से उन्होंने गाड़ी चलाना सीखा। हालांकि उन्हें बचपन से ही गाड़ी चलाने का काफी शौक था। रवीना कहतीं है कि आज भी हमारे समाज में बेटा -बेटी में भेदभाव किया जाता है। इस सोच को बदलना चाहिए। आज बेटी बेटों के मुकाबले में हर क्षेत्र में आगे है। परिवार को कैसे पालना है व संजोए रखना है, बेटी से बेहतर कोई नहीं कर सकता। अनेकों परिवारों में तो आज बेटों के मुकाबले में बेटियां आगे बढ़कर काम कर रही हैं। अपनी मां को प्ररेणास्रोत मानने वाली रवीना कहती हैं कि मां से बड़ा कोई नहीं है। हालांकि उनके मामू ने दुख की घड़ी में उनके परिवार को संभाला है, जिसे वह हमेशा याद रखेंगी और साथ ही समाज को बेटी कितनी अनमोल है इसका भी संदेश देती रहेगी और अपने सपने को साकार करने में वह पीछे नहीं रहेगी। टैक्सी चलाने के साथ- साथ पढ़ाई जारी है और आर्मी में जाने के लिए भी तैयारी जारी है।

— शालिनी राय भारद्वाज, कुल्लू

मुलाकात

मेरे इस प्रोफेशन में आने से दूसरी लड़कियों का हौसला बढ़ा…

किसी सामान्य लड़की से खुद को कितना भिन्न पाती हैं और इसकी वजह?

मैं किसी भी लड़की को अपने आप से अलग नहीं मानती हूं। बस दिल में जो एक बार ठान लेती हूं, उसे हमेशा पूरा करने की कोशिश करती हूं।

खुद पर कितनी प्रतिशत निर्भर और इस उपलब्धि पर कितना नाज?

मैं अपने पूरे काम खुद ही करती हूं। मैं किसी पर भी निर्भर रहने की कोशिश नहीं करती हूं। इस तरह मुझे किसी काम को करने में दिक्कत नहीं आती है।

टैक्सी चालक के रूप में  आपकी चुनौतियां और समाधान?

टैक्सी चालक के तौर पर अभी तक तो कोई दिक्कत नहीं आई है, लेकिन अगर आने वाले समय में कोई दिक्कत आएगी भी तो उसे मैं अपनी क्षमता के अनुसार हल कर लूंगी। मुझे अपने ऊपर इतना विश्वास है।

कोई कड़वा या सुखद अनुभव जो प्रोफेशन ने दिया?

अभी तो ऐसा कुछ नहीं है, लेकिन हां मेरे इस प्रोफेशन से जिला की अन्य लड़कियों का हौसला भी बढ़ा है।

पर्यटकों  के सामने आपके नारी आदर्श काम आते हैं या गैर जरूरी बंधनों से  बाहर आप एक स्वतंत्र व्यक्तित्व के रूप में अधिक स्वीकार्य हैं?

पर्यटकों के सामने मेरे नारी आदर्श ही काम आते हैं। वहीं, अन्य टैक्सी चालक भी हमेशा मेरी मदद कर मेरे हौसले को बढ़ाते हैं, जिससे कि मुझे हमेशा स्वंतत्रता का भी एहसास रहता है।

हिमाचल में आकर पर्यटक सबसे पहले किस विषय से संतुष्ट होते हैं?

हिमाचल में आकर सबसे पहले पर्यटन यहां की ताजा आबोहवा से काफी संतुष्ट होते हैं। यहां का वातावरण पर्यटकों को खूब भाता है।

पढ़ाई के लिए वक्त कैसे जुटा पाती हैं और अध्ययन की निरंतरता कैसे बना पाती हैं?

रात के समय मैं अधिकतर अपने परिवार के पास ही होती हूं। रात को जल्दी घर पहुंचने की कोशिश रहती है, जिससे कि रात को पढ़ाई करने का मौका भी मिल जाता है।

सैन्य अधिकारी बनने की कोई खास वजह या प्रेरणा?

सेना में जाकर मैं देश की सेवा करना चाहती हूं। वहीं, इसके लिए मैं निरंतर मेहनत भी कर रही हूं।

रवीना के भीतर खुद्दारी?

मैं हमेशा हर किसी की मदद करने की कोशिश करती हूं, ताकि हर कोई अपने पैरों पर खड़ा हो सके।

किसके विचारों से प्रभावित होती हैं, कोई महिला आइकन?

प्रदेश में ही नहीं, बल्कि देश में महिलाएं बड़े-बड़े ऊंचे पदों पर बैठी हैं। ऐसे में प्रदेश के ऊंचे पदों पर बैठी महिलाओं से प्रभावित होकर मैंने भी देश के लिए कुछ करने की ठान ली है।

हिमाचल में ट्रैफिक व्यवस्था के लिए किसे दोष देंगी?

हिमाचल में कई जगहों पर गाडि़यों को बेतरतीब ढंग से खड़ा कर दिया जाता है, जिससे कि अकसर जाम लग जाता है। वहीं, कम पार्किंग भी टैक्सी चालकों के लिए दिक्कत है। इस के लिए सरकार को भी कदम उठाने होंगे।

कोई एक काम या सुझाव, जो टैक्सी चालकों की जिंदगी बदल सकता है?

टैक्सी चालक हमेशा अपनी ईमानदारी का परिचय देते आए हैं। उनसे यह आग्रह है कि वे हमेशा ऐसे ही अपनी ईमानदारी को बरकरार रखें।

सबसे लंबा ट्रिप, बड़ी कमाई और संतोष?

देश की राजधानी दिल्ली तक मैंने सबसे लंबा ट्रिप लगाया है तथा इससे मेरा हौसला भी बढ़ा है।

जब आप सिर्फ  एक बेटी बनकर जीना चाहती हैं, तो क्या करती हैं?

जब मैं घर जाती हूं , तो अपने प्रोफेशन को पूरी तरह से भूल जाती हूं तथा एक बेटी की तरह मैं अपने पूरे फर्ज निभाकर अपने घर वालों का कामकाज में पूरा हाथ बंटाती हूं।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App