ढांचागत सुविधाओं की बाट जोहता पर्यटन

By: Oct 3rd, 2017 12:05 am

विजय शर्मा विजय शर्मा लेखक, हिम्मर, हमीरपुर से हैं

सरकार सुविधाओं के मापदंड के अनुरूप होटलों की श्रेणी निर्धारित कर उनके लिए रेट निर्धारण करती है, लेकिन पर्याप्त संख्या में होटल उपलब्ध न होने के कारण होटल वाले मनमानी करते हैं। हिमाचल में बढ़ते पर्यटकों के हिसाब से न तो पार्किंग की व्यवस्था है और न ही होटलों में पर्याप्त कमरे हैं। ऐसे में होटल मालिकों और पार्किंग वालों की मनमानी पर कैसे रोक लगेगी…

सुहाने मौसम की चाह में पर्यटक बरबस ही हिमाचल की हरियाली से भरपूर खूबसूरत वादियों में खिंचे चले आते हैं। हिमाचल में पर्यटकों की संख्या 2005 की अपेक्षा अब लगभग तीन गुना हो चुकी है। 2005 में जहां पर्यटकों की संख्या 71.36 लाख थी, जो 2016 में बढ़कर 184.51 लाख हो चुकी है और इसका आंकड़ा इस साल के अंत तक दो करोड़ के आसपास पहुंचने का अनुमान है। इसके साथ ही विदेशी पर्यटकों की आमद भी बढ़ी है। 2005 में जहां 2.08 लाख विदेशी पर्यटक हिमाचल पहुंचे, वहीं 2016 में यह संख्या बढ़कर 4.53 लाख पहुंच चुकी है। यह आंकड़ा इस साल पांच लाख तक पहुंचने का अनुमान है। हालांकि विदेशी पर्यटकों की संख्या कई बार बढ़ी-घटी है। 2012 में पांच लाख पर्यटक हिमाचल पहुंचे थे और 2014 में यह घटकर 3.90 लाख पहुंच गई थी, लेकिन उसके बाद यह निरंतर बढ़ रही है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार लगभग दो करोड़ पर्यटकों की आवासीय सुविधा के लिए हिमाचल में कुल 2604 होटलों में 70,869 कमरे उपलब्ध हैं और 787 होम स्टे में 2137 कमरे उपलब्ध हैं। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश पर्यटन निगम के कुछ होटल हैं तथा विभिन्न विभागों के विश्राम गृहों को भी पर्यटन से जोड़ा गया है। इसके बावजूद पर्यटकों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर लगभग 50,000 होटल कमरों की जरूरत है, जिस पर कोई विशेष काम नहीं हो रहा है। लिहाजा होटलों की कमी के चलते होटल मालिकों की मनमानी पर्यटकों का उत्साह कम करती है। सरकार द्वारा टूरिज्म के नाम पर बड़े स्तर पर हेलिपैड का निर्माण किया गया है। प्रदेश में कुल 63 हेलिपैड चालू हालत में हैं और पांच से अधिक हेलिपैड बनाने के लिए मंजूरी दी जा चुकी है। यह सारे हेलिपैड मुख्यमंत्री और मंत्रियों के दौरों के अलावा शायद ही कभी पर्यटन की दृष्टि से उपयोग किए जाते हों, लेकिन सरकार बड़े पैमाने पर टूरिज्म के नाम पर इनके रखरखाव तथा बनाने पर खर्च करती है। सरकार यदि प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देना चाहती है, तो उसे उपलब्ध हवाई अड्डों पर सुगम हवाई यातायात संचालन के लिए केंद्र के साथ मिलकर प्रयास करना चाहिए। वर्ष 2015 में प्रदेश के लगभग 60 हेलिपैड के जरिए हेलिकाप्टर से हिमाचल दर्शन की योजना बनाई गई थी, लेकिन वह अब तक सिरे नहीं चढ़ सकी है। आज प्रदेश में हवाई यातायात नाम मात्र के लिए है और वह भी पर्यटकों की पहुंच से कोसों दूर है। सुस्त प्रशासनिक रवैये और भ्रष्टाचार के चलते हिमाचल के विभिन्न शहरों में पहुंचने वाले पर्यटक किसी भी दूसरे पर्यटन स्थल की अपेक्षा यहां अधिक असुरक्षित एवं असहज महसूस करते हैं।

होटल वालों की मनमानी, पार्किंग की समस्या, साफ-सफाई का अभाव, बढ़ती भू-स्खलन की घटनाएं एवं विचलित करने वाले हादसे, रेल व हवाई यातायात की सुगम व्यवस्था न होने के कारण हिमाचल का पर्यटन उद्योग स्थायी पर्यटन स्थल के रूप में विकसित नहीं हो पा रहा है। सरकार सुविधाओं के मापदंड के अनुरूप होटलों की श्रेणी निर्धारित कर उनके लिए रेट तय करती है, लेकिन पर्याप्त संख्या में होटल उपलब्ध न होने के कारण होटल वाले मनमानी करते हैं। हिमाचल में बढ़ते पर्यटकों के हिसाब से न तो पार्किंग की व्यवस्था है और न ही होटलों में पर्याप्त कमरे हैं। ऐसे में होटल मालिकों और पार्किंग वालों की मनमानी पर कैसे रोक लगेगी? हिमाचल में हर वर्ष सभी होटलों को ओवर चार्ज न करने के निर्देश दिए जाते हैं, लेकिन उन पर कितना अमल होता है, इसका कोई निर्धारित पैमाना नहीं है और यहां पर्यटन विभाग की सांठगांठ जाहिर होती है। पिछले कुछ वर्षों से यहां देशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है, लेकिन हिमाचल में पर्यटकों की संख्या में इजाफे का मूल कारण जम्मू-कश्मीर में फैली अशांति है, जिसके कारण जम्मू-कश्मीर पर्यटन उद्योग को हर वर्ष लगभग 3500 करोड़ का घाटा हो रहा है। इसका सीधा लाभ हिमाचल प्रदेश को मिल रहा है। कश्मीर जाने की चाह रखने वाले पर्यटक अब हिमाचल का रुख करने लगे हैं।

पर्यटन से राज्य सरकार को होने वाली इस कमाई की तुलना में शिमला, मनाली, धर्मशाला और अन्य बड़े शहरों में सड़कें, सफाई और पार्किंग जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी है। राज्य की जीडीपी में सात प्रतिशत योगदान पर्यटन उद्योग का है, जिसे 10 से 15 प्रतिशत आसानी से अधिक बढ़ाया जा सकता है। पर्यटन की रीढ़ कहे जाने वाले होटलों, ढाबों, टूरिस्ट गाइडों तथा टैक्सी वालों पर नियंत्रण के लिए निश्चित दरें निर्धारित कर टूरिस्ट पुलिस, विशेष दस्तों का गठन कर सकती है। कई प्रदेशों में इस प्रकार के प्रयोग बेहद सफल हुए हैं। हिमाचल में देवदार के जंगल और मनभावन मौसम, ट्रैकिंग तथा पिकनिक के काफी अवसर देते हैं। प्राकृतिक खूबसूरती, सुहाना मौसम और यहां के लोगों का मैत्रीपूर्ण व्यवहार पर्यटकों में सुरक्षा का भाव जगाता है। हालांकि पर्यटकों की सुविधा के लिए बाईपास, विक्ट्री टनल और माल रोड पर सूचना केंद्र खुले हैं। लेकिन पर्यटन राज्य की कल्पना को साकार करने के लिए अभी काफी कुछ किया जाना शेष है।

हिमाचल प्रदेश में पहुंचने वाले पर्यटकों को बर्फ से ढके पहाड़ और घने देवदार के जंगल अलग ही एहसास कराते हैं। मनाली की प्राकृतिक छटाओं का आकर्षण देखने पर्यटक यहां पहुंचते हैं, लेकिन यहां पर मूलभूत सुविधाओं के अभाव के कारण उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। सरकार को पर्यटन स्थलों के विकास व विस्तार के लिए सुविधाओं में इजाफा कर पर्यटकों को आकर्षित करने पर बल देना चाहिए।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App