तोहफों पर जीएसटी-नोटबंदी भारी

By: Oct 20th, 2017 12:03 am

कारपोरेट जगत ने 40 फीसदी तक कम किया बजट

नई दिल्ली —  कुछ साल पहले तक औद्योगिक घराने और बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने कर्मचारियों और सहयोगियों के लिए दिवाली को खास बनाने के लिए उन्हें बोनस के साथ-साथ तोहफे भी देती थीं। मगर धीरे-धीरे कारपोरेट क्षेत्र ने इस बजट में कटौती शुरू की और इस साल कम से कम 40 फीसदी तक की कटौती की गई है। उद्योग संगठन एसोचैम का कहना है कि आर्थिक विकास की सुस्त रफ्तार, मांग में कमी और कम पैदावार का हवाला देकर दिवाली तोहफे में कटौती करने की यह परंपरा करीब एक दशक पहले शुरू हुई थी। इस साल कारपोरेट घरानों ने आर्थिक सुस्ती और बैलेंस शीट पर दबाव का हवाला देकर दिवाली तोहफे में कम से कम 35 से 40 फीसदी तक की कटौती की है।  एसोचैम की सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, दिवाली तोहफे के बजट में की गई कटौती का असर कर्मचारियों पर तो पड़ा ही है। सबसे अधिक कटौती उन बाहरी लोगों के तोहफे के मद में की जा रही है, जिनसे संबंधों को गहरा करने के लिए ये दिए जाते थे। कर्ज के बोझ तले दबी और परिचालन लागत में कटौती करने वाली कंपनियों में काम कर रहे कर्मचारियों का बोनस भी इससे प्रभावित हुआ है। इसके अलावा वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के लागू होने तथा नोटबंदी से उठे मसलों के कारण  भी दिवाली तोहफों पर गाज गिरी है।

कम हुई चॉकलेट-कुकीज मिठाइयों की बिक्री

एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने बताया कि एफएमसीजी कंपनियों को उम्मीद रहती है कि त्योहारी सीजन पर चॉकलेट, कुकीज और मिठाइयों की अच्छी खासी बिक्री होगी, लेकिन दिवाली तोहफे खरीदने में आई कमी का असर इतना अधिक है कि इनकी बिक्री आम बिक्री से भी कम है। यही हाल उपभोक्ता वस्तुओं जैसे वॉशिंग मशीन, फ्रिज, ओवन, इलेक्ट्रिक स्टोव और अन्य ऐसे ही उत्पादन बनाने वाली कंपनियों का है। यहां तक कि स्मार्टफोन की त्योहारी बिक्री भी प्रभावित हुई है।


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