दीप आस्था-विश्वास के

By: Oct 20th, 2017 12:02 am

(शब्द शिल्प, मंदसौर )

आंगन-आंगन चौबारे नाच उठे,

दीपोत्सव के उल्लास में।

मन की कोयलिया कुहूक उठी,

दीप पर्व के उल्लास से।

दीपशिखा प्रज्वलित हो उठी,

प्यार की दीप-ज्योत से।

दमक उठे कण-कण रूप,

रोशनी के शृंगार से।

द्वार-द्वार जले जगमग,

दीप आस्था और विश्वास के।


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