धर्मशाला में अंतरराष्ट्रीय खेल छात्रावास

By: Oct 13th, 2017 12:02 am

भूपिंदर सिंह

लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं

धर्मशाला में अंतरराष्ट्रीय स्तर का खेल छात्रावास बनने से जहां भारतीय टीम के प्रशिक्षण में निखार आएगा, वहीं पर हिमाचली प्रतिभाओं को अपने यहां एशियाई स्तर के धावक व धाविकाओं के साथ प्रशिक्षण कार्यक्रम साझा कर काफी लाभ मिलेगा…

हिमाचल प्रदेश में खेल प्रशिक्षण के लिए जलवायु बहुत ही अच्छा है। गर्मियों में धर्मशाला की जलवायु खेल प्रशिक्षण के लिए यूरोप व अमरीका के अच्छे प्रशिक्षण केंद्रों से भी बेहतर होता है। धर्मशाला में सिंथेटिक ट्रैक बिछने के बाद राष्ट्रीय स्तर के प्रशिक्षण शिविर पिछले कई वर्षों से धर्मशाला में लग रहे हैं। विदेशी एथलेटिक्स प्रशिक्षकों द्वारा इस केंद्र को विकसित करवाने के लिए भारतीय खेल प्राधिकरण को कई बार लिखने के बाद अब यहां पर अंतरराष्ट्रीय स्तर का एक खेल छात्रावास भी बनने जा रहा है। भारतीय खेल प्राधिकरण युवाओं की प्रतिभा को निखारता है एवं उनके परिपूर्ण विकास के लिए आवश्यक बुनियादी सुविधाएं, उपकरण, प्रशिक्षण सुविधाएं प्रदान करता है। इसके लिए यह समय-समय पर प्रतियोगिताओं का भी आयोजन करता है। प्रारंभ में इसका उद्देश्य 1982 में एशियाड के दौरान दिल्ली में निर्मित खेलकूद की बुनियादी सुविधाओं के कारगर रखरखाव तथा उनके अधिकतम उपयोग को सुनिश्चित करना था। अब यह देश में खेलों के विस्तार तथा राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलों में विशेष उपलब्धि के लिए खिलाडि़यों के प्रशिक्षण की नोडल एजेंसी बन गई है। धर्मशाला में बनने जा रहे अंतरराष्ट्रीय स्तर के खेल छात्रावास  के लिए पहले तो दस-बारह किलोमीटर दूर खनियारा के पास जमीन देखी जा रही थी, मगर अब ट्रैक से मात्र तीन किलोमीटर की दूरी पर सकोह में लगभग आठ बीघा जमीन फाइनल कर दी गई है।

भारतीय खेल प्राधिकरण की कार्यकारी निदेशक टीम जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भाग लेने वाली टीमों के प्रतियोगिता पूर्व प्रशिक्षण तथा प्रतियोगिता में प्रतिनिधित्व का पूरा जिम्मा देखती है, स्वयं धर्मशाला आकर खेल छात्रावास की रूपरेखा तैयार कर प्राधिकरण को बता चुकी है। तीन दशक पूर्व एसपीडीए नाम से यहां धर्मशाला में भारतीय खेल प्राधिकरण ने अपना खेल प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया था। बाद में जब शिलारू का विशेष क्षेत्र खेल योजना का खेल छात्रावास बंद हो गया, तो फिर धर्मशाला में लड़कियों के लिए साई ने खेल छात्रावास चलाया और लड़कों के लिए बिलासपुर का छात्रावास रखा गया। धर्मशाला खेल छात्रावास से राष्ट्रीय स्कूली खेलों में पहली बार मंजु कुमारी ने दस हजार मीटर दौड़ में हिमाचल के लिए पदक जीता। इस छात्रावास से ही संजो ने भाला प्रक्षेपण में राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक जीते। कबड्डी में प्रशिक्षक मेहर चंद वर्मा के प्रशिक्षण में पूजा ठाकुर तथा कविता ठाकुर एशियाई खेलों की स्वर्ण पदक विजेता टीम की सदस्य रहीं। राष्ट्रीय स्तर पर कबड्डी के परिणाम इस खेल छात्रावास के कारण हिमाचल के बहुत अच्छे रहे। वालीबाल, हाकी तथा बास्केटबाल में भी यहां की लड़कियों ने कनिष्ठ तथा वरिष्ठ स्तर पर भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया। इस समय एथलेटिक्स में हरमिलन कौर तथा सीमा एशियाई कनिष्ठ एथलेटिक्स प्रतियोगिताओं में भारत के लिए पदक जीत चुकी हैं। प्रशिक्षक केहर सिंह पटियाल के प्रशिक्षण में यहां से भविष्य में कई लड़कियां भारत का प्रतिनिधित्व करती नजर आएंगी।

इसी केंद्र को एथलेटिक्स के लिए विशेष प्रशिक्षण केंद्र का दर्जा देने की बात हो रही है, क्योंकि यहां पर अगर राष्ट्रीय  टीमों के प्रशिक्षण लगने जा रहे हैं और उसके लिए सुवधि की भी जरूरत रहेगी। इसलिए इतनी अच्छी सुविधा जहां मिलेगी, वहां पर पूरा वर्ष प्रशिक्षण जारी रखने के लिए एक्सीलेंसी सेंटर चलाया जाना लाजिमी हो जाता है। सरकार हजारों किशोर व किशोरियों को खेल प्रतिभा चयन के माध्यम से चयनित करके उनमें से जो उत्कृष्ट खेल परिणाम देने वाले होंगे, उन्हें ऐसे विशेष खेल प्रशिक्षण केंद्रों में लाकर प्रशिक्षण कार्यक्रम दिलाया जाएगा। धर्मशाला खेल परिसर में एथलेटिक्स के लिए जहां विश्व स्तरीय प्रशिक्षण सुविधा है, वहीं पर इंडोर खेलों के लिए राज्य खेल विभाग का एक स्टेडियम भी है। इस बहुमूल्य खेल अधोसंरचना का विभिन्न खेलों के प्रशिक्षण के लिए अधिकाधिक उपयोग किया जाना चाहिए। एथलेटिक्स ट्रैक पर प्रशिक्षण कार्यक्रम देर शाम तक चल सके, उसके लिए फ्लड लाइट्स का प्रबंध भी भारतीय खेल प्राधिकरण यहां से करने जा रहा है। धर्मशाला में अंतरराष्ट्रीय स्तर का खेल छात्रावास बनने से जहां भारतीय टीम के प्रशिक्षण में निखार आएगा, वहीं पर हिमाचली प्रतिभाओं को अपने यहां एशियाई स्तर के धावक व धाविकाओं के साथ प्रशिक्षण कार्यक्रम साझा कर काफी लाभ मिलेगा। धर्मशाला में एथलेटिक्स के लिए अगर एक्सीलेंसी सेंटर बनता है तो हिमाचल के उत्कृष्ट धावकों व धाविकाओं को भी हिमाचल में रहकर प्रशिक्षण का मौका मिलेगा। देर बाद ही सही हिमाचल में अंतरराष्ट्रीय खेल प्रशिक्षण को बढ़ावा मिल रहा है। यह राज्य में खेल पर्यटन को भी और अच्छा करने में सहायता देगा। इस कॉलम के माध्यम से प्रदेश में अच्छे ट्रेनिंग सेंटर तैयार करने की बात कई वर्षों से हो रही थी। अब वह समय आ गया, जब यूरोप व अमरीका में प्रशिक्षण के लिए जाने की जगह भारतीय टीम अब धर्मशाला में अपना प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाकर भारत का प्रतिनिधित्व कर देश के लिए पदक जीतती नजर आएगी।

ई-मेल : penaltycorner007@rediffmail.com


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