नियंत्रण रेखा पर ‘फौजी’ दिवाली

By: Oct 21st, 2017 12:05 am

प्रधानमंत्री मोदी की लगातार चौथी दीपावली भी सेना के जवानों के बीच, उनके साथ, सैनिक के लिबास में, जवानों को लड्डू खिलाते, हंसते-खेलते, उन्हें नई ऊर्जा देते और खुद भी नई उष्मा ग्रहण करते हुए…! सचमुच, ऐसे लम्हे ऐतिहासिक और प्रेरणादायक लगते हैं। एक प्रधानमंत्री का उस नियंत्रण-रेखा तक पहुंचना, जहां पाकिस्तान की ओर से लगातार गोलाबारी, ग्रेनेड हमले जारी रहते हैं। प्रधानमंत्री मोदी कश्मीर से कटे गुरेज इलाके में दो घंटे से ज्यादा रहे। सैनिकों के साथ बहुत कुछ बांटा, खुशियां साझा कीं। ऐसा लगा मानो एक परिवार दिवाली को जी रहा हो! दीपावली पर हम सब अपने परिवारों में, अपने परिजनों के साथ, समय बिताते हैं। उस लिहाज से देखें, तो 2014 से लेकर आज तक दीप पर्व प्रधानमंत्री ने सैनिकों के साथ ही मनाया है। बेशक सियाचिन हो, पंजाब में भारत-पाकिस्तान सीमा का क्षेत्र हो, हिमाचल के बर्फीले किन्नौर इलाके में हों या इस बार गुरेज क्षेत्र में…प्रधानमंत्री मोदी ने सैनिकों के साथ ही दिवाली मनाई है। सेना और उसके जवानों के प्रति प्रधानमंत्री के दिल में एक खास जज्बा है, खास सम्मान है। प्रधानमंत्री मोदी ने दिवाली के दिन सैनिकों से हाथ मिलाया, उनके संघर्ष साझा करने की कोशिश की, साथ देने और जरूरतें पूरी करने के वादे किए, तो जवान गदगद हो उठे होंगे कि वे देश के ‘सरदार’ की ऊर्जा और ताकत के स्रोत हैं। ऐसे त्योहारी दिन पर प्रधानमंत्री को अपने बीच पाकर हमारे सैनिकों की छातियां जरूर चौड़ी हुई होंगी! लाक्षणिक भाषा में यही 56 इंच का सीना है, जो माइनस 30-40 के तापमान, मरुस्थलों, बर्फीले, काला पानी और बारूद के धुओं वाले इलाकों में जाने का हौसला देता है। सेना के प्रति प्रधानमंत्री का जुड़ाव और लगाव कुछ ऐसा है, जो उन्हें अपने मुख्यालय पर बेचैन करने लगता है और वह बार-बार उनके बीच पहुंच कर, उनका मनोबल बढ़ाने की प्रेरणा बनने लगते हैं। बेशक प्रधानमंत्री की ऐसी मुद्रा को भी ‘नौटंकी’ करार देने वाले कम नहीं हैं, लेकिन वे कुछ भी करें, प्रधानमंत्री को अपनी सोच को जीना ही है। सैनिकों के बीच प्रधानमंत्री ने एहसास दिलाया कि भारत माता क्या है? तिरंगा झंडा क्या है? इनकी शान सैनिकों से ही क्यों है? हरेक सैनिक तिरंगे के लिए जीता है और ‘शहीद’ होने पर तिरंगे में ही लिपट कर जाता है। यह मातृभूमि, यह तिरंगा ही सैनिक का गौरव और सम्मान है। एक बार फिर सरहद पर दीये जले, रोशनी की बारात सजी, प्रधानमंत्री मोदी ने मिठाई के डिब्बे बांटे और अपने हाथों से सैनिकों को लड्डू खिलाए। इतनी अंतरंगता, इतना स्नेह, इतना सामीप्य…सचमुच आंखें पनियाली हो गईं। इतनी निरंतरता से सरहदों पर, खतरों के बीच, कोई भी प्रधानमंत्री नहीं गया, लेकिन मोदी जब बालक थे, तब भी चाय की केतली और साधारण कपों के साथ रेलगाड़ी में सैनिकों के साथ बहुत दूर तक चले जाते थे। आज प्रधानमंत्री होने के बावजूद वह लगातार सैनिकों के बीच रहते हैं, उनका जीवन जीते हैं, उन्हें भी ‘न्यू इंडिया’ का हिस्सा बनाने को आह्वान करते हैं। प्रधानमंत्री बार-बार कहते हैं कि यदि देश का प्रत्येक नागरिक एक-एक संकल्प ले और उसे पूरा करने की कोशिश करे, तो 125 करोड़ संकल्प पूरे हो सकते हैं। उन्होंने सैनिकों को याद दिलाया कि 2022 में स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं, लिहाजा देश की शक्ल भी अभिनव होनी चाहिए। एक व्यक्ति होने के नाते प्रधानमंत्री की भी इच्छा होती होगी कि वह जिस घर में रहते हैं, उसी में पूजन करें या अपनी मां, भाई-बहन के साथ दिवाली मनाएं, लेकिन मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री होने तक वह कभी भी मुख्यालय पर नहीं रहे। उन्होंने किसी और को अपना ‘परिवार’ बनाया और उसी के साथ दिवाली मनाई। प्रधानमंत्री मोदी ने सैनिकों के बीच ‘वन रैंक, वन पेंशन’ का मुद्दा उठाया और एक महत्त्वपूर्ण वादा पूरा करने की बात कही। यदि इस मौके पर प्रधानमंत्री इसका उल्लेख न करते, तो यह दिन और ये क्षण और भी ज्यादा यादगार बन जाते। बहरहाल प्रधानमंत्री का फौजियों के बीच जाना और ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदे मातरम्’ के नारे  बुलंद कराना भी एक एहसास जगाने समान है। प्रधानमंत्री के अलावा, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन भी अंडमान-निकोबार में सैनिकों के बीच गईं और वहीं दिवाली मनाई। इस इलाके को कभी ‘काला पानी’ कहते थे। आज भी यह इलाका दुर्गम सा है। बहरहाल मुद्दा राजनेताओं की चेतना का है, जो अकसर झकझोरती नहीं है। तमाम राजनीतिक और विवादास्पद मुद्दों को छोड़ कर ऐसे त्योहारों, पर्वों पर सैनिकों के बीच नेताओं और दूसरे अतिविशिष्ट जनों को पहुंचना चाहिए। हमारे सैनिक विस्फोटक हालात में, अपने परिवारों से बहुत दूर, खासकर त्योहार के मौके पर अकेलापन महसूस करते हैं। सरहदों की रक्षा के जरिए देश की सुरक्षा उनका बुनियादी दायित्व है। यदि उनमें कुछ पल ऐसे मिल जाएं, जैसे प्रधानमंत्री मोदी ने जिए हैं, तो सैनिक मानसिक तौर पर हल्के महसूस करेंगे।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App