नीति में बदलाव का वक्त

By: Oct 2nd, 2017 12:02 am

(गुरमीत राणा, खुंडियां, कांगड़ा )

यह जानकर बड़ा अचरज हुआ कि जिस जगह बड़ा भंगाल में एसडीएम व बीडीओ महोदय 76 किलोमीटर का पैदल रास्ता तय कर पहुंच गए, वहां पर एक अध्यापक को छोड़ बाकी अध्यापक अनुपस्थित मिले। आयुर्वेदिक औषधालय तो चपरासी की रहमत से चल रहा था। अब प्रश्न यह है कि अगर ये शिक्षक खराब रास्ते का बहाना बनाकर वहां न पहुंच सके, तो इन्होंने शिक्षा विभाग के निदेशक को इसकी खबर क्यों नहीं दी? सरकार को बिना विलंब किए इनको दुर्गम क्षेत्र के लिए दिए गए विशेष भत्ते के साथ-साथ इनका वेतन भी काटना चाहिए। सरकार को इन अति दुर्गम क्षेत्रों में मुलाजिमों को पहुंचाने के लिए हेलिकाप्टर सुविधा मुहैया करवानी चाहिए, ताकि कोई बहानेबाजी न रहे। इन क्षेत्रों में मुलाजिमों की नौकरी के लिए समय अवधि घटाकर अधिकतम दो वर्ष करनी होगी, ताकि कोई भी शिक्षक वहां जाने से परहेज न करे। ऐसा भी देखने में आता है कि जो शिक्षक इन क्षेत्रों में एक बार फंस जाता है, वह अपने रिलीवर के इंतजार में वर्षों वहीं सेवाएं देने को मजबूर हो जाता है। अगर नीति में बदलाव न किया गया, तो इन अति दुर्गम क्षेत्रों में शिक्षा की लौ जलाने में अभी और अधिक वर्ष लग जाएंगे।


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