पहाड़ों में भूमिगत जलस्तर गिरने की संभावना नहीं होती

By: Oct 4th, 2017 12:05 am

विशेषज्ञों के अनुसार पहाड़ी क्षेत्रों में भूमिगत जल का स्तर गिरने की संभावना नहीं होती। फिर भी एहतियाती कदम उठाए जाने चाहिए। भूमिगत जल के अंधाधुंध उपयोग की छूट देने से न सिर्फ इन इलाकों में कृषि योग्य भूमि के बंजर होने का खतरा है, बल्कि पीने तथा सिंचाई के लिए भी पानी की कमी हो सकती है…

सिकुड़ते हिमालयी ग्लेशियर

राज्य में बढ़ते औद्योगिकीकरण के बीच भूमिगत जल का उपयोग बढ़ने लगा है, जिससे पिछले सालों में भू-जलस्तर में करीब एक फुट की कमी आई है। इसके अलावा हैंडपंपों की बढ़ती संख्या के चलते भी सूबे में भूमिगत जल स्तर के गिरने का अंदेशा है। भूमिगत जल के विवेकपूर्ण उपयोग के मकसद से सरकार ने भूमिगत जल नियमन एवं प्रबंधन कानून बनाया है। पेयजल संकट बढ़ने के साथ ही सरकार ने राज्य में वर्षा जल संग्रहण अनिवार्य किया है। गौरतलब है कि सूबे को मिले औद्योेगिक पैकेज के बाद यहां उद्योगों  में निवेश बढ़ा है। बद्दी, बरोटीवाला, नालागढ़, पांवटा, कालाअंब तथा संसारपुर टैरेस में औद्योगिक निवेश ज्यादा हुआ है। इन कस्बों में भूमिगत जल का उपयोग बढ़ने के साथ-साथ सरकार ने पेयजल संकट वाले इलाकों में हैंडपंप लगाए हैं। राज्य में करीब 13 हजार हैंडपंप तथा तीन सौ से अधिक ट्यूबवेलों (वर्ष 2004 तक) से भी हर रोज करीब एक लाख गैलन भूमिगत जल के दोहन से सूबे में इसके जल स्तर के गिरने का अंदेशा है। विशेषज्ञों के अनुसार पहाड़ी क्षेत्रों में भूमिगत जल का स्तर गिरने की संभावना नहीं होती। फिर भी एहतियाती कदम उठाए जाने चाहिए। भूमिगत जल के अंधाधुंध उपयोग की छूट देने से न सिर्फ इन इलाकों में कृषि योग्य भूमि के बंजर होने का खतरा है, बल्कि पीने तथा सिंचाई के लिए भी पानी की कमी हो सकती है। भूमिगत जल के उपयोग के मकसद से बनाए गए कानून के तहत उद्यमियों  को सरकार द्वारा तय मात्रा से अधिक पानी की जरूरत को अपने संसाधनों से पूरा करना होगा। भूमिगत जल की निकासी से पहले उद्यमियों  को सरकार से इजाजत लेनी होगी और उन्हें भूमिगत जल के अंधाधुंध उपयोग की छूट नहीं मिलेगी। भूमिगत जल से गिरते स्तर के साथ-साथ पेयजल की बढ़ती कमी को दूर करने के मकसद से सरकार ने पुरानी योजनाओं के जीर्णोद्धार के साथ-साथ वर्षा जल संग्रहण को अनिवार्य किया है।राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार सोलन में भूमिगत जलस्तर 30 फुट नीचे चला गया है। हैंडपंपों के नकुसान  के अध्ययन के लिए केंद्र ने हैदराबाद के एक रिमोट सेंसिंग  संस्थान को जिम्मा सौंप राज्य में पेयजल संकट को देखते हुए प्रदेश सरकार ने पेयजल संकट की समस्या से निजात दिलाने के लिए ग्रामीण तथा दूरदराज के इलाकों में हैंडपंपों की स्थापना का निर्णय लिया था।


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