पांच साल में कागजों से बाहर नहीं निकल सका ब्यास तटीकरण

By: Oct 15th, 2017 12:15 am

कुल्लू— ब्यास नदी की तटीकरण योजना फाइलों में ही दफन होकर रह गई है। सरकार के पांच साल पूरे हो गए, लेकिन अभी तक धरातल पर कहीं भी योजना उतरती दिखाई नहीं दे रही है। हालांकि गत वर्ष 2016 तक हर मंच और बैठकों में सरकार तथा सरकार के हुक्मरान चर्चा करते रहे, लेकिन एक वर्ष इस योजना पर कोई भी अमल करता हुआ दिख नहीं आ रहा है। जिला प्रशासन कुल्लू ने योजना को लेकर बैठकों के सिवाय कुछ नहीं किया है। यही नहीं, संबंधित विभाग ने तो योजना को कोठरी में बंद कर दिया है। लिहाजा योजना धरातल पर न उतरने से सरकार के दावे हवा-हवाई साबित होकर रह गए हैं। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने शिमला में अधिकारियों के साथ बैठक कर भी कई बार इस योजना पर चर्चा की और अधिकारियों को निर्देश भी देते रहे, लेकिन आगे कुछ नहीं हुआ। सूत्रों के मुताबिक अभी तक योजना को धरातल पर उतारने के लिए कागजी औपचारिकताएं ही पूरी की जा रही हैं। बता दें कि सरकार ने पर्यटन नगरी मनाली के पलचान से लेकर औट तक ब्यास नदी का तटीकरण की योजना तैयार की है। योजना के तहत नदी के दोनों ओर दीवार लगनी है, वहीं जहां नदी किनारे पर्यटकों को लुभाने के लिए अच्छे स्थान हैं, वहां पर सुरक्षित और बढि़या इंतजाम करने की रूपरेखा है। सरकार ने कुल्लू-मनाली में आकर भी अपने पांच वर्ष के कार्यकाल में तटीकरण योजना लाने प्रचार किया है, लेकिन सरकार की योजना चर्चा बनने के सिवाय आगे नहीं बढ़ी।

गोशाल-सोलंग गांव ने झेला बरसाती खतरा

बीती बरसात के मौसम में पर्यटन नगरी मनाली के गोशाल और सोलंग गांव में लगातार भू-स्खलन होता रहा, जिससे गांव को भी खतरा उत्पन्न हो गया। यदि समय पर ब्यास का तटीकरण हो गया होता तो शायद इन दोनों गांव में भू-स्खलन नहीं होता। ऐसे में अब यहां पर तटीकरण होना बेहद जरूरी हो गया है। पलचान से लेकर औट तक जल्द तटीयकरण नहीं हुआ तो ब्यास किनारे बसे गांव के लिए आगामी समय में खतरा उत्पन्न हो सकता है। एक तरफ ब्यास किनारे लगातार अवैध खनन तो दूसरी तरफ जमीन भी खिसक रही है।

सिरे नहीं चढ़ रही योजना

पिछली भाजपा सरकार के दौरान भी ब्यास नदी के तटीकरण पर योजना बनती रही। उस दौरान के कुल्लू सदर के विधायक भी बार-बार लेगों से कहते रहे कि जल्द तटीकरण किया जाएगा। हालांकि कांग्रेस सरकार इस योजना को धरातल पर उतारने के लिए मुखातिब तो हुई, लेकिन पांच साल बीत जाने तक योजना सिरे नहीं चढ़ी।

कांग्रेस नेता कहते रहे मुख्यमंत्री की है देन

ब्यास तटीकरण परियोजना को कांग्रेस के नेता  मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की देन कहते रहे, लेकिन योजना को धरातल पर उतारने में नेताओं ने कोई रुचि नहीं ली। एक हजार करोड़ से अधिक की इस परियोजना पर खर्च होने की बात मुख्यमंत्री बार-बार जतना के बीच आकर कहते रहे, लेकिन योजना कागजों में ही फीसडी साबित हो गई।

सर्वे के बाद कुछ नहीं हुआ

तटीकरण से नदी की सुंदरता बढ़ेगी और किनारों पर रह रहे लोगों को बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा से भी राहत मिलेगी। जगह-जगह पर्यटकों को लुभाने के लिए टूरिस्ट प्वाइंट भी बनाए जाने थे, जिन्हें अत्याधुनिक तरीके से सुरक्षित करना था। सेंटर वाटर पावर एंड सर्च कमीशन ने ब्यास के तटीकरण को लेकर पलचान से बजौरा तक सर्वे भी 2015 में किया था, लेकिन सर्वे के बाद भी कुछ भी नहीं हो पाया है।


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