पानी और हवा को प्रदूषित कर रहे उद्योग

By: Oct 11th, 2017 12:05 am

हैरत इस बात की है कि औद्योगिक क्षेत्र ही नहीं, प्रमुख नदियों के किनारे बसे शहर भी नदियों में प्रदूषण की मात्रा बढ़ा रहे हैं। प्रदेश के बद्दी, बरोटीवाला, परवाणू तथा कालाअंब में लगने वाले उद्योग प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों के लिए ही नहीं, पड़ोसी राज्यों के पर्यावरण के लिए भी विनाशक साबित हो रहे हैं…

प्रदेश के कांगड़ा जिला में सर्वाधिक 3702, हमीरपुर में 1505, चंबा में 715, ऊना में 964, बिलासपुर में 1138, मंडी में 1428, कुल्लू में 460, शिमला में 860, सोलन में 1321, सिरमौर में 949, लाहुल-स्पीति में 245 तथा किन्नौर में सबसे कम 121 हैंडपंप स्थापित किए गए थे। प्रदेश में स्थापित हैंडपंपों से हर रोज करीब आठ-नौ करोड़ लीटर पानी जमीन के नीचे से निकाला जाता था, जिसके चलते प्रदेश में जलस्तर लगातार गिरता जा रहा है। पता चला है कि राज्य पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बद्दी-बरोटीवाला में हैंडपंपों को लेकर एक अध्ययन किया। बद्दी-बरोटीवाला में ही हैंडपंपों से डेढ़ करोड़ लीटर से अधिक पानी भूमि के नीचे से निकाला जा रहा है। हर रोज करोड़ों लीटर भूमिगत जल खींचे जाने से यहां का जलस्तर 30 फुट नीचे चला गया है। हैंडपंपों से नीचे जा रहे जलस्तर को देखते हुए पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने राज्य में पेयजल की किल्लत वाले क्षेत्रों के साथ-साथ औद्योगिक कस्बों में वर्षा जल संग्रहण अनिवार्य करने की योजना की अनुशंसा सरकार को की थी।

प्रदूषण फैलाते उद्योगों पर प्रतिबंध: हिमाचल सरकार ने पर्यावरण की कीमत पर औद्योगिक विस्तार को छूट न देने का निर्णय लिया है। पर्यावरण और पर्यटन को नुकसान पहुंचाने वाले 20 श्रेणियों के उद्योगों की पहचान की गई है और इनकी स्थापना को राज्य में प्रतिबंधित कर दिया गया है। बड़ी आटा और चावल मिलें हिमाचल में नहीं चलाई जा सकेंगी। कोयला उद्योगों के प्रस्ताव पर हिमाचल सरकार कोई विचार नहीं करेगी। हिमाचल प्रदेश में हर माह 1715.93 टन की चड़नुमा राख, स्क्रेप तथा उड़ने वाली राख का विषैला कचरा पैदा हो रहा है। एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2007 तक इस कचरे की मात्रा पांच हजार टन तक पहुंच गई थी। इसी प्रकार पानी में प्रदूषण की मात्रा में भी दस प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। हैरत इस बात की है कि औद्योगिक क्षेत्र ही नहीं, प्रमुख नदियों के किनारे बसे शहर भी नदियों में प्रदूषण की मात्रा बढ़ा रहे हैं। प्रदेश के बद्दी, बरोटीवाला, परवाणू तथा कालाअंब में लगने वाले उद्योग प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों के लिए ही नहीं, पड़ोसी राज्यों के पर्यावरण के लिए भी विनाशक साबित हो रहे हैं। पंजाब तथा हरियाणा पर्यावरण नियंत्रक बोर्ड ने भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय से शिकायत की है कि हिमाचल के ये औद्योगिक क्षेत्र न केवल पानी को प्रदूषित कर रहे हैं, अपितु हवा में भी प्रदूषण की मात्रा बढ़ा रहे हैं।


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