भाईदूज की कहानी

By: Oct 15th, 2017 12:05 am

जब छोटे- छोटे भाई बहन आपस में भाईदूज का त्योहार मनाते हैं तो वह अपने माता-पिता से प्रश करते हैं कि मम्मी यह कैसा त्योहार है और इसको क्यों मनाया जाता है। तो मां बच्चों को इस त्योहार के पीछे का कारण बताती हैं। साल में एक दिन ऐसा है जब यमराज अपना सारा कामकाज छोड़कर धरती पर अपनी बहन के घर आते हैं। यह दिन है कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि। इस तिथि को यम द्वितीया और भाईदूज के नाम से भी जाना जाता है। भविष्योत्तर पुराण में भाईदूज की जो कथा मिलती है, उसके अनुसार यमराज अपने कामकाज में इतने व्यस्त हो गए कि उन्हें अपनी बहन यमुना की याद भी नहीं रही। एक दिन यमुना ने यमराज को संदेशा भिजवाया। बहन का संदेश मिलते ही यमराज बहन से मिलने निकल पड़े। भगवान यमराज अपनी बहन यमुना के घर पहुंचे तो यमुना ने यमराज के हाथों की पूजा की और अपने हाथ से भोजन बनाकर भाई को खाना खिलाया। भोजन के पश्चात संध्या के समय तक यमराज यमुना के घर में रहे। माना जाता है कि हर वर्ष यमराज यम द्वितीया यानी कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन यमुना के घर आते हैं। यमराज ने यमुना को वरदान दिया है कि जो भी व्यक्ति यम द्वितीया के दिन यमुना के जल में स्नान करता है और बहन के घर जाकर उनके हाथों से बना भोजन करता है, उसकी आयु लंबी होती है। यम द्वितीया के दिन अगर यमुना में स्नान नहीं करते हैं तो बहन के घर जाकर बहन के हाथों से यमुना जल का टीका लगवाएं और उनके हाथों से बना भोजन करें तो इससे भी अकाल मृत्यु से रक्षा होती है। माना जाता है कि यमुना और यमराज ने ही भाई दूज पर्व की शुरुआत की थी।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App