भारत का इतिहास
संविधान सभा की समितियों की रचना
गतांक से आगे-
इस नियम में कहा गया था कि सभा अपने कुल सदस्यों के कम से कम दो तिहाई सदस्यों द्वारा स्वीकृत प्रस्ताव द्वारा ही भंग होगी, अन्य किसी प्रकार से नहीं। छठे अध्याय में ही सभा की बैठकों की तिथियां, बैठकों के समय कार्य-विन्यास, ‘दिवस आदेश’ प्रस्तावों की सूचनाएं, सदस्यों के बैठने की व्यवस्था, संशोधन, समापन, औचित्य प्रश्नों के निर्णय, परामर्श समिति के प्रतिवेदन पर निर्णय, अप्रासंगिक बातों या पुनरावृत्ति को रोकने तथा व्यवस्था बनाए रखने के संबंध में सभापति की शक्तियों तथा अंत में सभाकक्ष तथा उसकी दीर्घाओं में सदस्यों के अतिरिक्त अन्य सदस्यों के प्रवेश आदि के बारे में उपबंध किए गए थे। नियम 22 में कहा गया था कि सभा अपने एक प्रस्ताव द्वारा संपूर्ण सभा की समिति का रूप धारण कर सकती है। नियम 28 और 29 में व्यवस्था की गई थी कि सदस्य अध्यक्ष द्वारा निर्दिष्ट क्रम में बैठेंगे और खड़े होकर बोला करेंगे। सभा का कार्य हिंदुस्तानी अथवा अंग्रेजी में हो सकता था, लेकिन यदि कोई सदस्य इन दोनों भषाओं में अपने विचार ठीक से व्यक्त कर सकने में असमर्थ हो, तो सभापति उसे अपनी मातृभाषा में बोलने की अनुमति दे सकते थे। औचित्य प्रश्नों के निर्णयों के बारे में कहा गया था कि सभा के कार्य-संचालन तथा प्रक्रिया विषयक- मामलों में सभापति का निर्णय अंतिम होगा, लेकिन यदि कोई प्रस्ताव द्वारा कोई बड़ा सांप्रदायिक प्रश्न उठे, तो सभापति किसी बड़े संप्रदाय के बहुसंख्यक प्रतिनिधियों की प्रार्थना पर उस पर अपना निर्णय लेने से पूर्व संघीय न्यायालय की राय ले लेंगे। यदि सभापति चाहते तो सभा की बैठकें बंद कमरे में हो सकती थीं। सारी समितियों की बातें तो बंद कमरे में ही होनी थी। सचिव से अपेक्षित था कि वह सभा की कार्यवाहियों की पूरी रिपोर्ट मुद्रित कराएं और उन्हें सदस्यों को दें। सातवें अध्याय में संविधान-सभा की विभिन्न समितियों की रचना और कार्यों का विवेचन किया गया था। संचालन समिति का काम यह था कि वह दिन के कार्य का क्रम निर्धारित करे। एक से प्रस्तावों तथा संशोधनों को एक वर्ग में रखे और यदि संभव हो तो संयुक्त प्रस्तावों तथा संशोधनों के बारे में संबद्ध पक्षों की स्वीकृति प्राप्त करे, सामान्य संपर्क सूत्र के रूप में कार्य करे और ऐसे किसी भी विषय पर विचार करे, जो नियमों के अंतर्गत आता हो, अथवा जो जो सभा अथवा अध्यक्ष उसके पास भेजें। स्टाफ तथा वित्त समिति का काम यह था कि वह अध्यक्ष को संविधान सभा के कार्यालय में नए पदों के निर्माण के बारे में सलाह दे। संविधान सभा से सिफारिश करे कि सभा के सदस्यों और अफसरों को क्या भत्ते दिए जाएं।
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