भारत को मंदी से सुधार के टिप्स

By: Oct 17th, 2017 12:10 am

आईएमएफ ने बैंकिंग को मजबूत बनाने पर भी बांटा ज्ञान

मुंबई— अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत के लिए त्रिपक्षीय ढांचागत सुधार दृष्टिकोण अपनाने का सुझाव दिया है। इसमें कारेपोरेट और बैंकिंग क्षेत्र को कमजोर हालत से बाहर निकालना, राजस्व संबंधी कदमों के माध्यम से वित्तीय एकीकरण को जारी रखना और श्रम एवं उत्पाद बाजार की क्षमता को बेहतर करने के सुधार शामिल हैं। आईएमएफ में एशिया प्रशांत विभाग के उप-निदेशक केनेथ कांग ने कहा कि एशिया का परिदृश्य अच्छा है और यह मुश्किल सुधारों के साथ भारत को आगे ले जाने का महत्त्वपूर्ण अवसर है। कांग ने कहा कि ढांचागत सुधारों के मामले में तीन नीतियों को प्राथमिकता देनी चाहिए। पहली प्राथमिकता कारर्पोरेट और बैंकिंग क्षेत्र की हालत को बेहतर करना है। इसके लिए गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) के समाधान को बढ़ाना, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी आधिक्य का पुननिर्माण और बैंकों की ऋण वसूली प्रणाली को बेहतर बनाना होगा। अभी तो कुछ पहले बता रहा था सबकुछ ठीक है।  अभी सुधार के मंत्र दे रहा है और पता चला कि मंत्र तो पढ़े लिखों को दी जाती है। साथ ही सबसिडी के बोझ को भी कम करना चाहिए। कांग के अनुसार, तीसरी प्राथमिकता बुनियादी ढांचा अंतर को पाटने के लिए ढांचागत सुधारों की गति बनाए रखना और श्रम एवं उत्पाद बाजार की क्षमता का विस्तार होना चाहिए। साथ ही कृषि सुधारों को भी आगे बढ़ाना चाहिए। श्रम बाजार सुधारों पर एक प्रश्न के उत्तर में कांग ने कहा कि निवेश और रोजगार के लिए अधिक अनुकूल माहौल बनाने के लिए मार्केट रेग्युलेशन में सुधार किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि श्रम कानूनों की संख्या घटाई जानी चाहिए, जो अभी केंद्र और राज्य के स्तर पर कुल मिलाकर करीब 250 हैं। उनके अनुसार, भारत को इसके साथ ही लिंगभेद को खत्म करने भी ध्यान देना चाहिए, ताकि देश में महिलाओं को रोजगार के अधिक अवसर मिल सकें।


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