मणिमहेश यात्रा को न अंतरराष्ट्रीय दर्जा, न ही समयावधि बढ़ी

By: Oct 6th, 2017 12:15 am

NEWSभरमौर—  उत्तरी भारत की प्रसिद्ध मणिमहेश यात्रा को अंतरराष्ट्रीय दर्जा दिलाने की घोषणा को मूर्तरूप देने के बजाय सियासतदानों ने इससे पूरी तरह से मुंह फेर लिया है। जन्माष्टमी से राधाअष्टमी तक चलने वाले इस आयोजन की आधिकारिक समयावधि बढ़ाने के निर्णय भी महज बैठकों तक ही सीमित रहे। आधिकारिक यात्रा आरंभ होने से करीब डेढ़ माह पूर्व ही मणिमहेश दर्शन के लिए यात्रियों का क्रम शुरू हो जाता है। नतीजतन मणिमहेश यात्रा के जरिए स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए शुरू की गई मुहिम पूरी तरह से ठप पड़ गई है। यात्रा का दायरा और समयावधि बढ़ाने को लेकर प्रदेश सरकारों की ओर से अभी तक कोई भी प्रयास नहीं किए गए, लेकिन यात्रा को अंतरराष्ट्रीय दर्जा प्रदान करने की घोषणा पर अमल करना भी सियासतदान भूल गए हैं। लिहाजा अब सबसे बड़े सवाल यही हैं कि क्या मणिमहेश यात्रा को कभी अंतरराष्ट्रीय दर्जा मिल पाएगा! क्या अब भी देश के विभिन्न हिस्सों से आने वाले यात्रियों को यहां सुविधाओं के लिए तरसना पडे़गा और क्या 15 दिन तक ही यात्रियों को सहूलियतें प्रदान करने की प्रथा सरकार चलाती रहेगी। अहम है कि पवित्र मणिमहेश रोचक है कि मणिमहेश यात्रा के प्रति श्रद्धालुओं के बढ़ते रुझान को देखते हुए इस आयोजन को अंतरराष्ट्रीय दर्जा देने की सियासी घोषणाएं भी हो चुकी हैं। बावजूद इसके इसे यह दर्जा हासिल नहीं हो पाया। अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यात्रा को लेकर अभी तक एक आधिकारिक वेबसाइट तक बनाने में प्रशासन नाकाम रहा है। इस वर्ष तो यात्रियों का सही आंकड़ा जानने तक की कोशिश नहीं की गई। महज अनुमान लगाकर यात्रियों का आंकड़ा यात्रा को अंतरराष्ट्रीय दर्जा नहीं दिला सकता।

यात्रा सुधार समिति की मांग भी अनसुनी

इस वर्ष यात्रियों की नाखुशी से भरमौर क्षेत्र को किरकिरी झेलनी पड़ी। नतीजतन मणिमहेश यात्रा से जुड़े मुद्दों के लिए स्थानीय बुद्धिजीवियों ने यात्रा सुधार कमेटी का गठन किया। कमेटी के अध्यक्ष मोती राम शर्मा कहते हैं कि यात्रा के संचालन के लिए अलग से बोर्ड बनना बेहद जरूरी है। चूंकि बोर्ड का काम मणिमहेश यात्रा में बेहतर प्रबंध समेत मूलभूत सुविधाएं जुटाने का ही होगा। बोर्ड बनाने की मांग को वह पिछले लंबे समय से हर मंच के माध्यम से करते आ रहे हैं, लेकिन परिणाम सामने नहीं आ पाए।

यात्रा के दौरान करोड़ों का कारोबार

मणिमहेश यात्रा के दौरान पूरे जिला चंबा में करोड़ों रुपए का कारोबार होता है। सड़क किनारे एक मामूली से ढाबा चलाने वाले से लेकर हर वर्ग को आर्थिक रूप से यात्रा का लाभ मिलता है। अगर यहां पर दो माह तक भी सरकार की ओर से यात्रियों को सुविधाएं प्रदान की जाती हैं तो जाहिर तौर पर श्रद्धालुओं का आंकड़ा बढे़गा और यहां के कारोबार को भी चार चांद लगेंगे।

बोर्ड बनाने की मुहिम भी ठुस

मणिमहेश यात्रा का संचालन अमरनाथ की तर्ज पर करने के लिए श्राइन बोर्ड बनाने की मांग स्थानीय लोगों की ओर से उठाई जाती रही है। बावजूद इसके गठित ट्रस्ट इस पर दिलचस्पी नहीं दिखा पा रहा है। इस वर्ष भी ट्रस्ट की बैठक में यात्रा का संचालन करने के लिए बोर्ड का गठन करने चर्चा की गई और हवाला दिया गया कि गैर सरकारी सदस्य बोर्ड के पक्ष में नहीं हैं।


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