मोदी की ‘विकास’ चुनौती

By: Oct 18th, 2017 12:02 am

प्रधानमंत्री मोदी को इतिहास बोध क्यों होने लगा है? वह जनसंघ और देश के अतीत में क्यों झांकने लगे हैं? सरदार पटेल और मोरारजी देसाई सरीखों को बार-बार क्यों याद कर रहे हैं? दरअसल यह गौरव गुजरात का ही नहीं, पूरे जनसंघ का है और व्यापक तौर पर पूरे राष्ट्र का है। गुजरात के जरिए प्रधानमंत्री मोदी ने देश का आह्वान किया है और कांग्रेस से सवाल किया है कि वह विकास के मुद्दे पर चुनाव क्यों नहीं लड़ती? देश कांग्रेस से जुड़े उस अतीत को जानता है, जिसे प्रधानमंत्री नए सिरे से जिंदा करने की कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस सांप्रदायिक तनाव, लोगों को भड़काना, जातिवादी जहर, लोगों को बांटना और उन्हें भ्रमित करके चुनाव निकालती रही है। कांग्रेस ही क्या, देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी जनसंघ के नाम से कांपते थे, लिहाजा गुजरात में ही ‘ज्योति संघ’ के एक कार्यक्रम में बार-बार जनसंघ ही बोलते रहे। तब जनसंघ शैशवास्था में था, लेकिन आज भाजपा देश के 17 राज्यों में सत्तारूढ़ है, तो उससे कांपना स्वाभाविक है। बेशक देश के औसत नागरिक को विकास की दरकार है। प्रत्येक गांव, कस्बे और शहर में बिजली, पानी, सड़क, स्कूल चाहिए। बहस यह होनी चाहिए कि किस पार्टी और सरकार ने ये काम कितने किए? छोटे-छोटे पत्थर लगाकर शिलान्यास करने से विकास नहीं होता। प्रधानमंत्री मोदी का कहना है कि उन्होंने 12 लाख करोड़ रुपए के ऐसे अधूरे कार्यों को ग्रहण कर शुरू कराया है। प्रधानमंत्री की गलतकथनी पर देश उन्हें कठघरे में खड़ा कर सकता है। कांग्रेस चाहे तो चुनौती दे सकती है, लेकिन विकास ‘पागल’ कैसे होता है, ऐसी गालियां देश को स्वीकार्य नहीं हैं। भ्रष्ट और अपराधियों की पार्टी कांग्रेस को यह स्पष्टीकरण देना होगा कि आखिर विकास ‘पागल’ कैसे होता है? बेशक कांग्रेस भ्रष्टाचार से मुंह नहीं मोड़ सकती, क्योंकि उस पर करीब 15 लाख करोड़ के भ्रष्टाचार के ‘साबित कलंक’ हैं। उन पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय हैं, कैग के आकलन हैं, कांग्रेस ने संसद में और संसद के बाहर उन्हें चुनौती क्यों नहीं दी? प्रधानमंत्री मोदी भी यही चाहते हैं कि कांग्रेस जनता को भ्रमित करना बंद करे और एक चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़ कर दिखाए। दरअसल कांग्रेस के भीतर विकास के प्रति नफरत है। प्रधानमंत्री ने उसे ‘जमानती पार्टी’ करार दिया है, क्योंकि मां-बेटा दोनों ही जमानत पर बाहर हैं। इस तरह प्रधानमंत्री मोदी ने एक अंतराल के बाद कांग्रेस और गांधी परिवार पर हमलावर रुख अपनाया है। बेशक यही आक्रामकता प्रधानमंत्री की खूबी है और इसी तरह वह अपने वोटरों को लामबंद करने की कोशिश कर रहे हैं। इस आक्रामकता में चिंता भी निहित है। जनसंघ के नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ क्या-क्या जुल्म किए गए, उन्हें जेल में ठूंसा गया, उनके चुनावों का अपहरण किया गया। यह देश की राजनीति का अतीत है। अब जनादेश इन मुद्दों पर हासिल नहीं किए जा सकते। बेशक भाजपा राहुल गांधी को कोई भी उपनाम दे, लेकिन कांग्रेस नेता अब आवरण तोड़ रहा है। यदि वह 12 मंदिरों में भगवान के दर्शन करने जाते हैं, तो भाजपा चिंतित क्यों होती है? भाजपा ने गुजरात में चुनावों की तारीख की घोषणा क्यों टलवाई? उसे हिमाचल के साथ घोषित क्यों नहीं होने दिया? प्रधानमंत्री ने एक ही माह में गुजरात के चार चक्कर क्यों लगाए और फिर बेहद आक्रामक क्यों हुए? दरअसल जिन नेताओं और दलों से जनता का मोहभंग हो चुका था, उन्हें जमीन खोद कर गाड़ दिया गया। वे अखिलेश यादव, मायावती, लालू और कांग्रेस कोई भी हो सकते हैं। अब जनता के सामने प्रधानमंत्री मोदी हैं। जनता ने उन्हें चुनकर मौका दिया है। उनसे अब भी ढेरों अपेक्षाएं हैं। प्रधानमंत्री के भाषण सुंदर और प्रभावशाली हैं, लेकिन इनसे पेट नहीं भरता, घर-कारोबार नहीं चलते। जवाब प्रधानमंत्री को देना है। वक्त देखा जाए, तो मात्र एक साल रह गया है। बाकी वक्त भाषणों और चुनाव प्रचार में निकल जाएगा। प्रधानमंत्री को अपने वादे सौ फीसदी न सही, एक निश्चित सीमा तक पूरे करने हैं, ताकि उन्हें पूरा करने के मद्देनजर एक और कार्यकाल जनता से मांगा जा सके। सबसे अहम सवाल रोजगार का है। सरकार के भीतर उसका एक ब्लू प्रिंट तैयार किया जा रहा है। प्रधानमंत्री विपक्ष को मुंह तोड़ जवाब दें कि सरकार और निजी क्षेत्र में इतना रोजगार मुहैया कराया गया है। बेशक मोदी सरकार के दौरान चारों ओर विकास की हलचलें दिखाई देती हैं। उद्घाटन किए जा रहे हैं, आधारभूत ढांचा आकार ग्रहण करता साफ दिखाई देता है, मुद्रा, जन-धन, उज्ज्वला सब ठीक है, लेकिन आक्रोश क्यों महसूस हो रहा है? प्रधानमंत्री मोदी को उसे शांत करना होगा। ऐसा न हो कि गुस्से और हताशा में जनता गलत जनादेश दे दे और फिर भ्रष्ट तबका सत्ता में आ जाए! लिहाजा प्रधानमंत्री के भाषण देने के बजाय ब्यौरे देने की शुरुआत करनी पड़ेगी, उससे विरोधियों की चीखें खुद ही मद्धिम पड़ती जाएंगी।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App