रेणुकाजी मेले पर ‘आचार संहिता’

By: Oct 29th, 2017 12:15 am

पहले दिन के भाषण पर भी रोक, मुख्यमंत्री को बुलाने के लिए चुनाव आयोग से मांगी परमिशन

ददाहू, श्रीरेणुकाजी— अंतरराष्ट्रीय रेणुकाजी मेला इस वर्ष विधानसभा चुनावों के चलते आचार संहिता में बीतेगा। लिहाजा पहले दिन रेणु मंच से होने वाले भाषणों पर भी रोक रहेगी। हालांकि पहले दिन मेले पर देव पालकियों में शीश नवाने के लिए मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को बुलाने के लिए भी रेणुकाजी विकास बोर्ड ने चुनाव आयोग को पत्र भेजकर परमिशन लेने की बात कही है। माना जाता है कि अजर अमर अवतार भगवान परशुराम की देव पालकियों को वंदन करने के लिए जो प्रदेश मुखिया नहीं पहुंच पाया, वह अगले पांच वर्ष सत्ता सुख से भी विहीन रहा। यह बात कई मर्तबा साबित हुई है। चुनावी वर्ष में प्रशासनिक अधिकारी भी व्यस्त हैं। लिहाजा मेले के लिए भरपूर समय नहीं मिल रहा है। हालांकि परंपरा और आस्था का प्रतीक रेणुकाजी मेला में मेलार्थियों और श्रद्धालुओं की कोई कमी नहीं है। 30 अक्तूबर से आरंभ होने जा रहे मां-पुत्र के पावन मिलन के प्रतीक रेणुकाजी अंतरराष्ट्रीय मेला के लिए तीर्थ स्थल में साधु समाज के साथ बाहरी राज्यों से दुकानदारों और श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू हो गया है। मेला रेणुकाजी के दौरान अचानक ददाहू और रेणुकाजी क्षेत्र में मांगने वालों की संख्या में इजाफा हो गया है। प्रवासी किस्म के युवा, बच्चे, महिलाएं तथा साधु वेषधारी क्षेत्र में बढ़ गए हैं। डीएसपी नाहन खजाना राम ने कहा है कि ऐसे तत्त्वों पर कड़ी नजर रखी जाएगी।

बेहद खास है 31 अक्तूबर

31 अक्तूबर को हरिप्रोभधनी एकादशी का पवित्र रेणुकाजी झील में खास महत्त्व होगा। ब्रह्ममुहूर्त से ही श्रद्धालु विशेषकर हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल इत्यादि क्षेत्रों के श्रद्धालु स्नान के लिए पहुंचते हैं। इस दिन माना जाता है कि भगवान बिष्णु समेत देवता पाताल लोक से निंद्रा के बाद जागृत अवस्था में आते हैं। भगवान परशुराम, जो कि भगवान बिष्णु के छठे अवतार हैं, अपनी माता रेणुकाजी को वर्ष में डेढ़ दिन के लिए मिलने के वचन को निभाने प्रतिवर्ष आते हैं। रेणुकाजी के आठवीं पीढ़ी के भगवान परशुराम जी मंदिर के पुजारी रमेश कपिल बताते हैं कि भगवान परशुराम चूंकि अजर अमर हैं, लिहाजा किसी न किसी रूप में रेणुकाजी अपनी मां से मिलने आते हैं। यह भाग्य की बात है कि विरला ही उनके दर्शन को समझे। इस दौरान सारी रेणुकाजी घाटी भक्तिमय हो जाती है।


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