सारे कार्बन को कहां ठिकाने लगाएं?

By: Oct 14th, 2017 12:05 am

पिछली दो शताब्दियों से हम जैव ईंधन को जला कर अपने वातावरण में कार्बन डायआक्साइड भर रहे हैं। यह कार्बन पृथ्वी की सतह के नीचे तेल और कोयले के रूप में दबा था। अब हमने इस सारे कार्बन को पृथ्वी के वातावरण से हटाना होगा अन्यथा हमें बदलते वातावरण के खतरे झेलने को तैयार रहना होगा…

विश्व अपने आप में ही एक रहस्य है। यहां कई अनसुलझे प्रश्न हैं जिनके जवाब लाख कोशिशों के बावजूद नहीं मिल पाए हैं। इस बार के अंक में हम चार ऐसे प्रश्नों को लेकर आए हैं। इनमें पहला सवाल है कि सारे कार्बन को कहां ठिकाने लगाया जाए। पिछली दो शताब्दियों से हम जैव ईंधन को जला कर अपने वातावरण में कार्बन डायआक्साइड भर रहे हैं। यह कार्बन पृथ्वी की सतह के नीचे तेल और कोयले के रूप में दबा था। अब हमने इस सारे कार्बन को पृथ्वी के वातावरण से हटाना होगा अन्यथा हमें बदलते वातावरण के खतरे झेलने को तैयार रहना होगा। यह खतरा इतना बड़ा है कि वह पृथ्वी से जीवन भी नष्ट कर सकता है। एक उपाय उसे वापस खाली कोयला और तेल खदानों में डालने का है, दूसरा उपाय उसे समुद्र की गहराई में दफन करने का है। लेकिन हम नहीं जानते कि वह वहां पर कितने समय रहेगा और उसके क्या दुष्परिणाम होंगे। तब तक हमें प्राकृतिक और टिकाऊ कार्बन के भंडार जैसे जंगल और कोयले को संरक्षित करना होगा। साथ ही ऊर्जा निर्माण के वैकल्पिक मार्ग ढूंढने होंगे जो हमारे पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाएं।

अधिक ऊर्जा प्राप्ति के उपाय क्या हैं?

यह दूसरा प्रश्न है। जीवाश्म ईंधन की आपूर्ति हमेशा के लिए नहीं है। हमें अपनी जरूरतों के लिए ऊर्जा के नए मार्गों की खोज करनी होगी। हमारा नजदीकी सितारा सूर्य एक वैकल्पिक उपाय है। हम वर्तमान में भी सौर ऊर्जा का प्रयोग कर रहे हैं, लेकिन वह पर्याप्त नहीं है। एक दूसरा उपाय सूर्य प्रकाश की ऊर्जा से जल को आक्सीजन और हाइड्रोजन में भंजित कर स्वच्छ ईंधन की प्राप्ति है। यह हमारी कारों के इंजन में प्रयोग में लाया जा सकता है। वैज्ञानिक पृथ्वी पर सूर्य के निर्माण का प्रयास भी कर रहे हैं, जो कि सूर्य पर ऊर्जा के उत्पादन की प्रक्रिया अर्थात नाभिकीय संलयन पर आधारित ऊर्जा उत्पादन केंद्र होंगे। आशा है कि यह हमारी ऊर्जा का भविष्य होगा।

अभाज्य संख्याएं विचित्र क्यों हैं?

यह तीसरा प्रश्न है। यह एक तथ्य है कि आप इंटरनेट पर सुरक्षित रूप से खरीददारी अभाज्य संख्याओं के विचित्र गुणधर्मों के कारण ही कर सकते हैं। अभाज्य संख्याएं स्वयं से ही भाज्य होती हैं। इंटरनेट की सुरक्षा पब्लिक-की-एंक्रिप्शन से होती है, जो आपकी सूचनाओं को इस तरह से कूटलेखित कर देती है कि उसे कोई और समझ नहीं सकता है। यह पब्लिक-की-एंक्रिप्शन प्रक्रिया अभाज्य संख्या पर आधारित होती है। हमारे दैनिक व्यवहार में प्रयुक्त होने वाली यह अभाज्य संख्या एक पहेली सी बनी हुई है। इन अभाज्य संख्याओं में एक विचित्र पैटर्न होता है जिसे रेमन हाइपाथिसिस कहते हैं। यह कई शताब्दियों से महान गणितज्ञों को चुनौती देते आई है। अभी तक एक अनसुलझी पहेली बनी अभाज्य संख्याएं इंटरनेट पर राज कर रही हैं। पहेली का सुलझना इंटरनेट सुरक्षा का अंत होगा!

जीवाणुओं को कैसे मात दी जाए?

यह चौथा प्रश्न है। एंटी-बायोटिक आधुनिक चिकित्सा प्रणाली का एक चमत्कार है। सर अलेक्जेंडर फ्लेमिंग की नोबेल पुरस्कार विजेता खोज ने एक ऐसी क्रांति उत्पन्न की जिससे मानव जाति ने अनेक खतरनाक बीमारियों से निजात पाई। इसी से शल्य चिकित्सा, अंग प्रत्यारोपण और कीमोथेरेपी संभव हो पाई। लेकिन अब यह वरदान खतरे में है। यूरोप में हर वर्ष 25,000 से ज्यादा मौतें ऐसे जीवाणु से हो रही हैं जिसने एकाधिक एंटी बायोटिक दवाइयों से प्रतिरोध क्षमता विक सित कर ली है। नई एंटी बायोटिक दवाइयों की खोज रुकी हुई है और हम एंटी-बायोटिक दवाइयों के दुरुपयोग से हालात को और कठिन बनाते जा रहे हैं। अमरीका में कई एंटी बायोटिक दवाएं मांस-उत्पादन के लिए जानवरों को दी जा रही हैं।


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