सियासत के आगे फिर बौने पड़े रिश्ते

By: Oct 27th, 2017 12:15 am

चुनाव मैदान में डटे रहे शांता के शिष्य प्रवीण कुमार, वापस नहीं लिया नाम

पालमपुर— सियासत के आगे रिश्ते एक बार फिर ‘बौने‘ साबित हो गए हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता और लोकसभा सांसद शांता कुमार के मान मनुहार के बावजूद चेले प्रवीण कुमार ने चुनावी समर से नाम वापस नहीं लिया है। अपने सबसे चहेते शिष्य को भाजपा का टिकट दिलवाने के लिए शांता कुमार अंतिम समय तक जोर लगाते रहे, लेकिन आलाकमान ने टिकट काट दिया। आलाकमान के फैसले से शांता नाराज दिखे, वहीं पूर्व विधायक प्रवीण कुमार ने बगावत का बिगुल फूंक दिया और बतौर निर्दलीय उम्मीदवार नामांकन भर दिया। समर्थकों के कहने पर प्रवीण द्वारा लिए गए फैसले पर शांता कुमार पर भी सवालों के तीर छोड़े गए। सांसद ने प्रवीण व उनके समर्थकों को बगावती तेवर छोड़ने व पार्टी से विद्रोह न करने को कहा। उन्होंने प्रवीण कुमार से अनेक बार बात की, लेकिन प्रवीण अपने फैसले पर अड़े रहे और नाम वापस लेने का समय पूरा होने के बाद उम्मीदवारों की सूची में प्रवीण के नाम ने साफ  कर दिया कि शिष्य ने गुरु का आग्रह टाल दिया है। उधर, प्रवीण कुमार ने अपना चुनाव प्रचार अभियान जारी रखा हुआ है तो दूसरी ओर सांसद शांता कुमार का चुनाव प्रचार कार्यक्रम भी जारी कर दिया गया है। उनके चुनाव प्रचार कार्यक्रम में छह व सात नवंबर का दिन संगठनात्मक जिला पालमपुर के लिए निर्धारित किया गया है। साफ है कि शांता कुमार पालमपुर से भाजपा उम्मीदवार के लिए प्रचार करेंगे और लगभग दो दशक बाद ऐसा होगा कि शांता प्रवीण की जगह किसी ओर के लिए समर्थन मांगेंगे। गौर रहे कि पूर्व में भी पालमपुर ऐसा घटनाक्रम देख चुका है। बैजनाथ के पूर्व विधायक दूलो राम को भी राजनीति में लाने का श्रेय शांता कुमार को जाता है। समय के साथ दूलो राम शांता कुमार से दूर होते गए और पिछले चुनावों में तो दूलो राम ने अपने राजनीतिक गुरु के गृह नगर में भाजपा के उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव भी लड़ा। हालांकि लोकसभा चुनावों से पूर्व दूलो राम की भाजपा में वापसी हो गई, लेकिन दूलो राम फिलवक्त पार्टी से एक कदम की दूरी बनाए हुए हैं।


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